मेड इन इंडिया रेनो ट्राइबर के साउथ अफ्रीकन वर्जन को ग्लोबल एनकैप क्रैश टेस्ट से मिली 2-स्टार सेफ्टी रेटिंग
- एडल्ट प्रोटेक्शन कैटेगरी में ट्राइबर को मिला 34 में से 22.29 स्कोर
- चाइल्ड प्रोटेक्शन कैटेगरी में इसे मिले 49 में से 19.99 स्कोर
- चार एयरबैग, ईबीडी के साथ एबीएस, एक रियर पार्किंग कैमरा और फ्रंट सीटों के लिए सीट बेल्ट रिमाइंडर जैसे सेफ्टी फीचर दिए गए हैं इसके साउथ अफ्रीकन मॉडल में
ग्लोबल एकनैप ने रेनो ट्राइबर के साउथ अफ्रीकन मॉडल के नए क्रैश टेस्ट रिजल्ट जारी किए हैं जिसका प्रोडक्शन भारत में हुआ है। इस सब 4 मीटर क्रॉसओवर एमपीवी को काफी खराब रेटिंग दी गई है जिसे एडल्ट और चाइल्ड प्रोटेक्शन कैटेगरी में महज 2-स्टार ही मिले हैं। ट्राइबर के इंडियन मॉडल का 2021 में ग्लोबल एनकैप की ओर से उस समय के प्रोटोकॉल के तहत क्रैश टेस्ट किया गया था। हालांकि ग्लोबल एनकैप नॉर्म्स के अपडेट होने के बाद इसबार ट्राइबर सेफ नहीं पाई गई।
रेनो ट्राइबर ने हर टेस्ट में किया कैसा परफॉर्म ये आप जानेंगे आगे:
प्रोटेक्शन |
एडल्ट प्रोटेक्शन |
चाइल्ड प्रोटेक्शन |
रेटिंग |
2-स्टार |
2-स्टार |
स्कोर |
22.29/34 |
19.99/49 |
बॉडीशेल इंटीग्रिटी |
अन्स्टेबल |
|
फुटवेल |
ड्राइवर साइड का पार्ट तो स्टेबल मगर पैसेंजर साइड का पार्ट स्टेबल नहीं |
एडल्ट प्रोटेक्शन (34 में से 22.29 पॉइंट्स)
फ्रंट इंपैक्ट (64 किलोमीटर प्रति घंटे)
फ्रंट इंपैक्ट क्रैश टेस्ट में रेनो ट्राइबर में ड्राइवर और को-ड्राइवर के सिर और गर्दन की सुरक्षा ‘अच्छी’ पाई गई। जबकि इस टेस्ट में ड्राइवर के घुटनों की सुरक्षा को ‘मार्जिनल’ प्रोटेक्शन मिली वहीं पैसेंजर के घुटनों को ‘अच्छी’ प्रोटेक्शन मिली। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि इसमें ड्राइवर के घुटने फ्रंट पार्ट के पीछे खतरनाक स्ट्रक्चर से टकरा सकते थे। इस टेस्ट में ड्राइवर की छाती की सुरक्षा ‘खराब’ करार दी गई वहीं पैसेंजर के मामले में इस चीज को ‘संतोषजनक’बताया गया। इसमें दोनों ही लोगों के पैर की हड्डी की प्रोटेक्शन को भी‘संतोषजनक’पाया गया।
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साइड इंपैक्ट (50 किलोमीटर प्रति घंटे)
इसमें सिर,पेट और एब्स को ‘अच्छी’ प्रोटेक्शन मिली तो वहीं छाती की प्रोटेक्शन को ‘खराब’ बताया गया।
साइड पोल इंपैक्ट
ट्राइबर में साइड और कर्टेन एयरबैग्स नहीं होने की वजह से इस मोर्चे पर इसका टेस्ट नहीं किया गया है।
चाइल्ड प्रोटेक्शन (49 में से 19.99 पॉइंट्स)
फ्रंट इंपैक्ट (64 किलोमीटर प्रति घंटे)
इस टेस्ट में एक 3 साल के बच्चे की डमी को फॉरवर्ड फेसिंग चाइल्ड सीट पर बैठाया गया जिसके लिए आईएसओफिक्स एंकरेज को इंस्टॉल किया गया था। हालांकि इसमें बच्चे की गर्दन की सुरक्षा खराब पाई गई और इसमें दिया गया एंकर फ्रंट इंपैक्ट होने पर सिर को टकराने से बचा भी नहीं पाया।
18 महीने के बच्चे की डमी के केस में इसमें चाइल्ड सीट को उल्टी दिशा में घुमाकर रखा गया है और इसमें बच्चे के सिर को फुल प्रोटेक्शन मिली।
साइड इंपैक्ट (50 किलोमीटर प्रति घंटे)
साइड इंपैक्ट टेस्ट के दौरान इसमें चाइल्ड रेस्ट्रेंट सिस्टम से फुल प्रोटेक्शन मिली।
बॉडीशेल इंटीग्रिटी और फुटवेल
साउथ अफ्रीका के लिए बनी भारत में बनी रेनो ट्राइबर के बॉडीशेल को अस्थिर पाया गया जो आगे किसी चीज से टकराने पर उसके इंंपैक्ट को सहन नहीं कर सकती थी। फुटवेल एरिया की बात करें तो इसमें ड्राइवर साइड का एरिया तो स्थिर पाया गया मगर इस लेवल की प्रोटेक्शन पैसेंजर साइड पर नहीं मिली।
ट्राइबर के साउथ अफ्रीकन मॉडल में दिए गए हैं ये सेफ्टी फीचर्स
ट्राइबर के साउथ अफ्रीकन मॉडल में चार एयरबैग, ईबीडी के साथ एबीएस, एक रियर पार्किंग कैमरा, रियर पार्किंग सेंसर और आगे की सीटों के लिए सीट बेल्ट रिमाइंडर जैसे सेफ्टी फीचर्स दिए गए हैं। इसमें इलेक्ट्रॉनिक स्टेबिलिटी कंट्रोल (ईएससी), टायर प्रेशर मॉनिटरिंग सिस्टम (टीपीएमएस), और हिल स्टार्ट असिस्ट जैसे फीचर्स नहीं दिए गए हैं जो कि इसके इंडियन मॉडल में दिए गए हैं। यहां तक कि इसके इंडियन वर्जन में रियर सीटों के लिए सीटबेल्ट रिमाइंडर्स और 3 पॉइंट्स सीटबेल्ट जैसे फीचर्स दिए गए हैं।
भारत में इसकी कीमत और इसके मुकाबले में मौजूद दूसरी कारें
भारत में रेनो ट्राइबर कार की कीमत 6 लाख रुपये से लेकर 8.97 लाख रुपये (एक्स-शोरूम दिल्ली)के बीच है। इसका सीधा मुकाबला तो किसी दूसरी कार से नहीं है मगर ये मारुति अर्टिगा और किआ कैरेंस का एक अफोर्डेबल विकल्प है।