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चैटजीपीटी के अनुसार एक एसयूवी कार में होनी चाहिए ये 5 बातें

प्रकाशित: मार्च 02, 2023 11:54 am । cardekhoमहिंद्रा स्कॉर्पियो

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Mahindra XUV700 And Tata Safari

भारत में पिछले कुछ सालों से एसयूवी कारों का काफी ट्रेंड चला है जहां अब लोग हैचबैक या सेडान के बजाए 'स्पोर्ट्स युटिलिटी व्हीकल' लेना ज्यादा पसंद कर रहे हैं। आज आप एक हैचबैक या फिर सेडान की कीमत पर एसयूवी कार खरीद सकते हैं जो एक बड़ी कार होने की फीलिंग देती है। 

हम सब जानते हैं कि कई एसयूवी कारों मेंं असल में वो बात नहीं होती जो होनी चाहिए और ये इस कैटेगरी में आती भी नहीं है। हमारें द्वारा चैटजीपीटी से किए गए सवाल कि कौनसी कारें भारतीयों के लिए हैं बेहतर? अब हमनें पूछा कि एक एसयूवी कार का टैग लेने के लिए कार में किन चीजों की होती है जरूरत? इसका जवाब कुछ इस प्रकार से मिला:

एसयूवी का पूरा मतलब होता है 'स्पोर्ट्स युटिलिटी व्हीकल'। पहले के समय एसयूवी को कुछ इस तरह से डिजाइन किया जाता था कि उनसे ट्रक की युटिलिटी और पैसेंजर कार वाला कंफर्ट मिल सके। फिर कुछ समय बाद एसयूवी की परिभाषा बदलने लगी और आज इसकी कोई सटीक परिभाषा नहीं है। हालांकि कुछ फैक्टर्स जरूर हैं जिनसे कोई कार एक एसयूवी कहलाई जा सकती है और वो इस प्रकार से है:

 1) हाई ग्राउंड क्लीयरेंस: एक रेगुलर कार के मुकाबले एसयूवी का ग्राउंड क्लीयरेंस ज्यादा उंचा होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस तरह के व्हीकल्स खराब या उंचे नीचे रास्तों पर ड्राइव किए जा सके। 

Mahindra Thar

हमारी राय: इन दिनों बाजारों में 170-180 ग्राउंड क्लीयरेंस वाली एसयूवी कारें उपलब्ध हैं। टाटा नेक्सन (209 मिलीमीटर), हुंडई वेन्यू (190 मिलीमीटर), और महिंद्रा थार (226 मिलीमीटर) इसके कुछ बेहतरीन उदाहरणों में से एक है। गड्ढों से भरी भारतीय सड़कों और बेतरतीब ढंग से उंचे स्पीड ब्रेकरों के चलते उंचे ग्राउंड क्लीयरेंस देने का चलन बढ़ा जबकि इसमें लोगों के ऑफ रोडिंग के शौक का काफी कम योगदान रहा है। 

2) ऑल व्हील या 4 व्हील ड्राइव: कई एसयूवी कारों में ऑल व्हील या फोर व्हील ड्राइव सिस्टम दिया जाता है। इस सिस्टम के रहते बर्फ,कीचड़ या फिर मिट्टी से भरे मुश्किल रास्तों पर कार आराम से ड्राइव की जा सकती है। 

Maruti Grand Vitara AWD

हमारी राय: यदि इस क्राइटिरिया पर गौर करें तो इस वक्त 40 लाख रुपये से कम बजट वाली कारों को एसयूवी का टैग नहीं दिया जाना चाहिए। महिंद्रा थार, नई मारुति जिम्नी, महिंद्रा स्कॉर्पियो एन, टोयोटा फॉर्च्यूनर और यहां तक ​​कि मर्सिडीज बेंज जी वैगन जैसी कारें ऑल व्हील ड्राइव सिस्टम से लैस हैं और इन्हें मुश्किल रास्तों पर ड्राइव किए जाने के लिहाज से डिजाइन किया गया है। दूसरी तरफ ऑल व्हील ड्राइव व्हीकल्स वहां नहीं चल सकते जहां 4 व्हील ड्राइव व्हीकल चल सकते हैं मगर ये थोड़े बहुत खराब रास्तों या कीचड़ से भरे रास्तों पर ड्राइव किए जा सकते हैं। ​इनमें फिसलन भरे रास्तों या लो ट्रेक्शन ड्राइविंग कंडीशन में एक्सट्रा सेफ्टी मिल जाती है। महिंद्रा एक्सयूवी700, जीप कंपास,हुंडई ट्यूसॉन और यहां तक कि मारुति ग्रैंड विटारा इसके कुछ बेहतरीन उदाहरण हैं। 

3) बॉडी ऑन फ्रेम कंस्ट्रक्शन:कई एसयूवी कारें बॉडी ऑन फ्रेम होती है जिसका मतलब होता है कि उसकी बॉडी फ्रेम से अलग तैयार की जाती है। इस प्रक्रिया से तैयार व्हीकल्स ज्यादा दमदार होते हैं। 

Mahindra Bolero

हमारी राय: बॉडी ऑन फ्रेम या लैडर फ्रेम कारें काफी टफ और दमदार होती हैं जो रास्तों की मुश्किल से मुश्किल चुनौतियों का सामना करने में सक्षम होती हैं। इसलिए ये काफी ऑफ रोड फ्रेंडली भी होती हैं। टोयोटा फॉर्च्यूनर बॉडी ऑन फ्रेम एसयूवी का सबसे बेहतरीन उदाहरण जो काफी सालों से मार्केट में उपलब्ध है। कई फॉर्च्यूनर कारें 2 लाख किलोमीटर तक ड्राइव की जा चुकी हैं और 10 साल पुरानी हो चुकी है जिन्हें आज भी सड़कों पर देखा जा सकता है। दूसरी तरफ हुंडई क्रेटा, मारुति ग्रैंड विटारा, टाटा हैरियर और यहां तक कि जीप कंपास मोनोकॉक कारें हैं। ये सीधी सपाट सड़कों पर बेहतर तरीकेे से ड्राइव की जा सकती है और ज्यादा एफिशिएंट और सेफ होती हैं। 

यह भी देखें: भारत में उपलब्ध सभी एसयूवी कारों की पूरी लिस्ट

4) बड़ा साइज़ : एसयूवी कारों का साइज़ रेगुलर कारों से बड़ा होता है। इसमें पैसेंजर के बैठने के लिए अच्छी-खासी स्पेस मिलती है, साथ ही इसमें कार्गो स्पेस भी पर्याप्त मिल पाती है।  

हमारी राय  : इस पॉइंट पर आप एसयूवी और ऑफ-रोडर कार के बीच फर्क कर सकते हैं।  ज्यादातर ऑफ-रोडर कारें स्मॉल व बॉक्सी होती हैं जिसके चलते वह कठिन इलाकों को भी आसानी से पार कर लेती हैं। जिम्नी और थार पॉपुलर ऑफ-रोडर कारें हैं जिसमें चार लोग आसानी से बैठ सकते हैं, इन दोनों ही कारों की लंबाई 4-मीटर से कम है।  एसयूवी कारें अपने स्पेशियस केबिन और बड़े बूट के चलते दूसरे सेगमेंट की कारों (हैचबैक, सेडान, एमपीवी आदि) से ज्यादा बड़ी होती है। कई एसयूवी कारों जैसे महिंद्रा स्कॉर्पियो एन और टाटा सफारी में अतिरिक्त सीटें भी मिल पाती हैं। 

5. यूटिलिटी : एसयूवी कारों को वर्सटाइल व्हीकल के तौर पर डिज़ाइन किया जाता है जो कई सारे टास्क को पूरी कर सकती है। इसमें रोजाना आने-जाने से लेकर ऑफ-रोड एडवेंचर शामिल हैं।

Toyota Fortunerहमारी राय : टोयोटा फॉर्च्यूनर, रेनो डस्टर (बंद हो चुकी), फोर्ड एंडेवर कार कुछ ऐसे अच्छे उदहारण है जिनका उपयोग लंबी दूरी के सफर से लेकर ऑफ-रोडिंग के लिए भी किया जाता है। हालांकि, अपनी इन खूबियों के कारण यह कारें ज्यादा कीमतों पर आती हैं, जबकि कई टॉप सेलिंग मास मार्केट एसयूवी इस मानदंड को पूरा करने में अभी भी असमर्थ हैं।

यहां ध्यान देने वाली बात यह है की  ये विशेषताएं सभी एसयूवी कारों में एक जैसी नहीं होती हैं। मार्केट में कई ऐसे व्हीकल मौजूद हैं जिन्हें एसयूवी का नाम दिया गया है, लेकिन वह इन सभी आवश्यकताओं को पूरा नहीं करते हैं। आखिरकार, एक व्हीकल को एसयूवी कहा जाना है या नहीं यह कंपनी पर निर्भर करता है और यह अक्सर मार्केटिंग और ब्रांडिंग का मामला होता है।

इन सभी बातों के बारे में जानने के बाद चैटजीपीटी को भी ऑटोमोटिव इंडस्ट्री की वास्तविकता को स्वीकारना पड़ा। लेबल और शर्तों को हमेशा अलग-अलग उद्देश्यों के लिए अपनाया जाता रहा है। एसयूवी कहलाने वाले मॉडल्स के साथ भी एक ऐसी ही कहानी है। हालांकि, ब्रांडिंग करके ऐसी कारों में स्पोर्ट यूटिलिटी व्हीकल (एसयूवी) वाली क्षमताएं नहीं लाई जा सकती है। 

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