इन सात पॉपुलर कारों के नाम को फिर से मार्केट में देखना चाहते हैं हम, ये है पूरी लिस्ट
प्रकाशित: मई 12, 2023 03:52 pm । भानु
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एक कार का नाम उतना ही महत्वपूर्ण होता है जितना कि उसे तैयार करने में उसके मैकेनिकल और टेक्निकल पहलू होते हैं। इनसे लोगों के बीच कारों की एक पहचान बनती है और एक कनेक्शन भी बनता है। ऐसे में कुछ स्पेशल लाने के लिए नई कार का नाम तय करना एक तरह से चैलेंज भी है और अवसर भी। कुछ ब्रांड्स के पास ऐसे नाम है जो अपने समय में काफी पॉपुलर रहे और यदि इन नामों का फिर से इस्तेमाल कर लिया जाए तो उनके लिए ये चीज फायदेमंद साबित हो सकती है। इंडियन ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में इस चीज का ट्रेंड बन चुका है और टाटा और मारुति की सफारी और ग्रैंड विटारा इसके प्रमुख उदाहरण हैं।
इससे दूसरे कुछ ऐसे ही पॉपुलर नामों के मार्केट में एक नए अवतार में दोबारा लौटने की संभावनाएं बन रही है। यहां हमनें ऐसी ही 7 कारों की एक सूची तैयार की है और हम उम्मीद करते हैं कि सभी लोग की इच्छा होगी कि ये एक बार फिर मार्केट में लौट आएं।
महिंद्रा अरमाडा
ये कार 2001 तक मार्केट में उपलब्ध थी और लंबे समय से ये नाम और ये कार यहां से गायब है और शायद फिर से बहुत जल्द इसकी वापसी हो सकती है। हमें उम्मीद है कि महिंद्रा 3 डोर थार से एक अलग पहचान देने के लिए अपनी अपकमिंग 5 डोर थार को अरमाडा नाम से लॉन्च कर सकती है। हालांकि, थार नाम अपने आप में ही एक ब्रांड है जिसका न्यू जनरेशन मॉडल 2020 में लॉन्च किया गया था।
बता दें कि ओरिजनल अरमाडा एक हार्डटॉप युटिलिटी व्हीकल था जो कि जीप पर बेस्ड था और इसे 1990 में ज्यादा पैसेंजर कैपेसिटी वाले व्हीकल के तौर पर पेश किया गया था।
टाटा सूमो
अलग डिजाइन वाली टाटा की एसयूवी कारें ऐसी नहीं है जो हर किसी को आकर्षित कर सके। मगर 1990 में आई सूमो कंपनी की काफी दमदार और आकर्षक कार थी। टाटा के पूर्व एमडी सुमंत मूलगांवकर के नाम पर इसका नाम सूमो पड़ा था और ये भारत में डिजाइन किया गया टाटा का पहला पैसेंजर व्हीकल था। इसके अलावा सूमो टाटा का पहला मल्टी युटिलिटी व्हीकल भी था जिसमें 4 व्हील ड्राइवट्रेन दिया गया था और इसे भारतीय सेना को भी सप्लाय किया जाता था। ये कार यहां इतनी ज्यादा पॉपुलर हुई कि लॉन्च होने के तीन साल के भीतर ही इसे 1 लाख यूनिट्स बिक्री के आंकड़े मिल गए।
इसका मॉडर्न वर्जन महिंद्रा स्कॉर्पियो एन को कड़ी टक्कर दे सकता है और कंपनी के एसयूवी लाइनअप में ये सफारी के नीचे फिट बैठ सकती है। इसके अलावा ये कंपनी द्वारा कुछ समय तक डीजल इंजन वाली कारें बनाने के फैसले को भी फायदा पहुंचा सकती है, मगर लंबे समय के लिए इसका इलेक्ट्रिक वर्जन ज्यादा कारगर साबित होगा।
टोयोटा क्वालिस
काफी भरोसेमंद इनोवा कार के जरिए भारत के एमपीवी सेगमेंट में आज भी टोयोटा ने अपना दबदबा बना रखा है, मगर इनोवा से पहले ही एक कार के साथ इसकी कवायद शुरू हो चुकी थी। सन 2000 में कंपनी ने ‘क्वालिस’ को भारत में लॉन्च किया था जो विदेशों में ‘किजांग’ नाम से उतारी गई थी। इसका सीधा मुकाबला टाटा सूमो से था और ये एक मल्टी पर्पज व्हीकल था। भारतीय बाजार में अपनी मौजूदगी के 5 सालों के बीच इसे 1.5 लाख यूनिट्स बिक्री के आंकड़े मिले और इसे बंद करके इनोवा को लाया गया। इनोवा भी यहां काफी अच्छा खासा नाम कमा चुकी है और कंपनी चाहे तो क्वालिस को फिर से यहां एक अफोर्डेबल और छोटी एमपीवी के तौर पर उतार सकती है।
चूंकि इनोवा अब अफोर्डेबल कार नहीं रह गई है और इसकी कीमत 20 लाख रुपये के आंकड़े को छू चुकी है, ऐसे में मारुति अर्टिगा और किया केरेंस को कड़ी टक्कर देने के लिहाज से टोयोटा के पास अवसर है कि एक छोटी एमपीवी उतार दी जाए।
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मारुति किजाशी
औसत भारतीय ग्राहकों को इस बात की जानकारी नहीं है कि स्विफ्ट और वैगन-आर जैसी मारुति सुजुकी की सबसे ज्यादा बिकने वाली कारें सुजुकी के जापान में बिकने वाले मॉडल्स पर ही बेस्ड हैं। 2011 में सुजुकी किजाशी के साथ भारत की इस सबसे बड़ी कारमेकर ने प्रीमियम सेडान सेगमेंट में एंट्री लेने की कोशिश की थी और उस समय यहां होंडा अकॉर्ड, स्कोडा लॉरा और फोक्सवैगन जेटा का दबदबा था।
ये सेडान इंटरनेशनल मार्केट में पहले से ही बिक रही थी जिसमें अमेरिका भी शामिल था और भारत में इसे पूरी तरह इंपोर्ट करके बेचा जा रहा था। इस कार में काफी शानदार 2.4 लीटर पेट्रोल इंजन के साथ मैनुअल और ऑटोमैटिक दोनों तरह के गियरबॉक्स की चॉइस दी गई थी। डायरेक्ट इंपोर्ट होकर आने वाली इस कार की शुरूआती कीमत 15 लाख रुपये एक्सशोरूम थी। कम माइलेज देने और डीजल इंजन का ऑप्शन ना मिलने के कारण इसे यहां लोकप्रियता नहीं मिली। इसके अलावा सुजुकी की ब्रांड इमेज भी ऐसी थी कि प्रीमियम सेडान के कस्टमर्स सुजुकी की तरफ आकर्षित नहीं होते थे, बावजूद इसके कि किजाशी के लुक्स काफी शानदार थे। लोगों को तब भी अकॉर्ड और स्कोडा की ही सेडान कारें ज्यादा पसंद थी।
हालांकि यदि मारुति चाहे तो इस नाम को टोयोटा कोरोला के क्रॉस बैजिंग विकल्प के तौर पर फिर से मार्केट में ला सकती है। मारुति जल्द ही टोयोटा बेस्ड एमपीवी कार उतारेगी जिसे देखकर ऐसा लगता है कि कंपनी एकबार फिर प्रीमियम सेडान सेगमेंट में एंट्री ले सकती है।
टाटा इंडिका
टाटा ने इंडिका को 1998 में लॉन्च किया था जिसके बाद ये कॉम्पैक्ट हैचबैक में अपने डिजाइन और स्टाइलिंग की वजह से चर्चा का विषय बन गई थी। बाद में कंपनी ने इसी पर बेस्ड कुछ और दूसरे मॉडल्स तैयार किए जो ऐसी ही बॉडी स्टाइल वाले थे। इनमें इंडिगो सेडान, इंडिगो मरीना एस्टेट और इंडिगो कॉम्पैक्ट सेडान शामिल थी।
2023 में एक बार फिर टाटा नई हैचबैक को इंडिका नाम से उतार सकती है जो कंपनी के पोर्टफोलियो में टियागो और अल्ट्रोज के बीच के गैप को भरने का काम कर सकती है। ये कार मिड साइज हैचबैक में मारुति स्विफ्ट और हुंडई ग्रैंड आई10 निओस के दबदबे को खत्म करने में टाटा की मदद कर सकती है।
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निसान टेरानो
भारत के कॉम्पैक्ट एसयूवी सेगमेंट में रेनो डस्टर काफी सफल कारों में से एक रही है जिसे देखते हुए 2013 में निसान ने टेरानो नाम से इसका अपना वर्जन उतारा। डस्टर की तरह इसमें भी पेट्रोल और डीजल इंजन के ऑप्शंस दिए गए थे। हालांकि काफी बार अपडेट दिए जाने के बावजूद भी हुंडई क्रेटा और मारुति एस-क्रॉस से मिल रही कड़ी टक्कर के बाद ये कार पापुलर नहीं हो पाई और 2020 में सख्त बीएस6 नॉर्म्स के लागू हो जाने से ये कार बंद कर दी गई।
निसान द्वारा भारत में एसयूवी कारें लॉन्च करने के प्लान की घोषणा को देखते हुए ऐसा माना जा सकता है कि कंपनी कॉम्पैक्ट एसयूवी सेगमेंट में फिर से एंट्री ले सकती है क्योंकि अब कंपनी ने किक्स को भी बंद कर दिया है। कंपनी के पास इस समय टेरानो को फिर से लाकर हुंडई क्रेटा और मारुति ग्रैंड विटारा को कड़ी टक्कर देने का ये सही मौका भी है।
टाटा नैनो
2009 कंपनी ने रतन टाटा के उस सपने जिसमें हर भारतीय परिवार के पास रोजाना की आने जाने की जरूरत को पूरा करने के लिए स्कूटर के बजाए कार हो, उसे पूरा करने के लिए नैनो को शोकेस किया। नैनो को तब ‘भारत की सबसे सस्ती कार’ का टैग दिया गया था, मगर ये मारुति ऑल्टो और 800 के आगे ज्यादा दिन टिक ही नहीं पाई जिनकी कीमत भी इसके आसपास ही थी।
अब नैनो के लिए वो समय चाहे कैसा भी रहा हो मगर आज हमारा मानना है कि इस नाम में कमबैक करने का दमखम है और कंपनी को इसका इलेक्ट्रिक अवतार लाना चाहिए। ये कंपनी के ईवी लाइनअप में टियागो ईवी से नीचे रखी जा सकती है। नैनो ईवी यहां एमजी कॉमेट ईवी को भी कड़ी टक्कर दे सकती है।
बोनसः टाटा सिएरा
टाटा के पास ऐसे कई आइकोनिक नाम है जिनकी वापसी की ख्वाहिश हम करते हैं, इसलिए हमनें इस लिस्ट में एक और एक्सट्रा नाम शामिल किया है। बता दें कि टाटा ये कंफर्म कर चुकी है कि वो 2025 तक सिएरा के पेट्रोल/डीजल और इलेक्ट्रिक वर्जन को तैयार कर लेगी।
1990 में लॉन्च हुई 3 डोर सिएरा भारत की पहली स्वदेशी रूप से तैयार की गई एसयूवी थी। इसमें पावर विंडोज़, टिल्ट एडजस्टेबल कॉलम और बड़ी सी अल्पाइन विंडो जैसे फीचर्स दिए गए थे। 2020 और 2023 ऑटो एक्सपो में टाटा इसके कॉन्सेप्ट वर्जन को शोकेस कर चुकी है और अब ये देखना दिलचस्प होगा कि इसके प्रोडक्शन वर्जन का डिजाइन कैसा होता है।
आपको इनमें से किस नाम की वापसी में है सबसे ज्यादा रुचि? कमेंट सेक्शन में हमें जरूर बताएं।