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टाटा मोटर्स ने जीता सिंगूर प्लांट केसः टाटा नैनो को किया जाना था तैयार, अब पंश्चिम बंगाल सरकार देगी कंपनी को 766 करोड़ रुपये से ज्यादा का मुआवजा

संशोधित: अक्टूबर 31, 2023 06:38 pm | सोनू

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Tata Sanand plant

टाटा मोटर्स ने करीब एक दशक से पश्चिम बंगाल इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड के साथ चल रहे सिंगूर प्लांट केस को जीत लिया है। कंपनी ने कहा है कि उसे आर्बिट्रल ट्रिब्यूनल के आदेश के अनुसार पश्चिम बंगाल सरकार से इसके लिए 766 करोड़ रुपये से ज्यादा का मुआवजा मिलेगा।

क्या था सिंगूर प्लांट केस?

Tata Nano

2006 में कंपनी को दुनिया की सबसे सस्ती कार टाटा नैनो को तैयार करने के लिए पश्चिम बंगाल के सिंगूर में करीब 1000 एकड़ जमीन अलॉट की गई थी। टाटा मोटर्स ने 2007 की शुरुआत में इस प्लांट का कंस्ट्रक्शन शुरू कर दिया था लेकिन कुछ समय बाद ही चीजें बदलने लगी थी। हालांकि भूमि अधिग्रहण की वहां के लोकल किसानों और राजनेताओं ने 2006 के आखिर से ही आलोचना शुरू कर दी थी, लेकिन अगले कुछ सालों में ही यह विरोध तेज हो गया और कई प्रदर्शन किए गए। समय पर कोई समाधान नजर नहीं आने के कारण टाटा मोटर्स को इस डील से पूरी तरह से हटने और सिंगूर प्लांट को छोड़ने का निर्णय लेना पड़ा।

ऐसा कहा जाता है कि अगर सबकुछ सही से चलता रहता तो टाटा मोटर्स की इस प्लांट में 1,000 करोड़ रुपये निवेश करने की योजना थी और यहीं पर कंपनी नैनो कार तैयार करने का विचार कर रही थी।

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नैनो के प्रोडक्शन में हुई देरी

टाटा मोटर्स ने नैनो कार को 2008 में शोकेस किया था और कंपनी की योजना उसी साल इसका प्रोडक्शन करने की थी। प्लांट से जुड़े विवाद को देखते हुए रतन टाटा ने खुद प्लांट बदलने की घोषणा की थी, जिसके कारण नैनो के प्रोडक्शन में देरी हुई।

Tata GenX Nano

इसके अगले साल ये छोटी हैचबैक कार लॉन्च की गई और टाटा के तत्कालीन उत्तराखंड के पंतनगर स्थित पैसेंजर व्हीकल मैन्युफैक्चरिंग प्लांट में इसका प्रोडक्शन हुआ। टाटा नैनो को कुछ ही महीनों में दो लाख से ज्यादा बुकिंग मिल गई थी और कंपनी ने जुलाई 2009 में एक लाख नैनो का पहला बैच ग्राहकों को डिलीवर किया।

Tata Tiago EV

उस वक्त महाराष्ट्र और गुजरात समेत कई अन्य राज्य टाटा मोटर्स का प्लांट अपने यहां पर शुरू कराने की रेस में थे। तब कंपनी ने गुजरात के सानंद में अपना नया प्लांट खोला और शुरुआती सालों में यहां पर नैनो कार के प्रोडक्शन पर फोकस रखा गया। बाद में कंपनी ने यहां पर कई कॉम्पैक्ट टाटा कार तैयार की जिनमें टियागो, टिगोर और हाल ही में लॉन्च हुई नई टियागो ईवी और टिगॉर ईवी शामिल है। हाल ही में टाटा ने फोर्ड इंडिया के सानंद प्लांट का भी अधिग्रहण किया है और यहां पर कंपनी की योजना इलेक्ट्रिक कारों को तैयार करने की है।

कहानी का दूसरा पहलू

इस विवाद के बारे में बात करने पर हमारे मन में एक महत्वपूर्ण प्रश्न आता हैः क्या अगर सब कुछ कंपनी के पक्ष में होता तो टाटा नैनो अधिक सफल होती? खैर, अब ये कहा जा सकता है कि ये संभावनाएं इसके पक्ष में हो सकती थी। भले ही टाटा मोटर्स ने सिंगूर डील से हटने में काफी तेजी से काम किया हो लेकिन तब तक कंपनी वहां पर काफी सारा पैसा, समय और मेहनत कर चुकी थी। अन्यथा टाटा नैनो को और ज्यादा वैल्यू-फोर-मनी प्रोडक्ट बनाया जा सकता था।

Ratan Tata Gets A New Electric Nano Built By Electra EV

इसके अलावा कंपनी ने नैनो का डीजल वर्जन भी उतारने की योजना बनाई थी और निवेश किए पैसों से कंपनी को इस हैचबैक को एक्सपोर्ट करने में भी मदद मिल सकती थी। अब संभावनाएं हैं कि टाटा नैनो इलेक्ट्रिक अवतार में फिर से मार्केट में वापसी कर सकती है

क्या आपको लगता है कि अगर टाटा नैनो सिंगूर प्लांट में तैयार होती तो ये और बेहतर प्रोडक्ट होती? हमें कमेंट सेक्शन में बताएं।

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