मारुति अर्टिगा और रेनो ट्राइबर ग्लोबल एनकैप न्यू एंड ओल्ट प्रोटोकॉल क्रैश टेस्ट कंपेरिजन
संशोधित: अगस्त 05, 2024 07:20 pm | भानु | मारुति अर्टिगा
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मेड इन इंडिया मारुति अर्टिगा और रेनो ट्राइबर का हाल ही में ग्लोबल एनकैप की ओर से क्रैश टेस्ट किया गया था और दोनों ही कारों को काफी खराब रेटिंग दी गई है। नए टेस्टिंग प्रोटोकॉल्स के तहत ट्राइबर को 2 स्टार और अर्टिगा को महज 1 स्टार मिला है। हालांकि इससे पहले दोनों एमपीवी कारों का पुराने प्रोटोकॉल के तहत भी टेस्ट हो चुका है जहां मारुति अर्टिगा को 2021 में 3 स्टार मिले थे तो वहीं रेनो ट्राइबर को साल 2018 में 4 स्टार मिले थे। हमनें यहां पुराने और नए क्रैश टेस्ट का कंपेरिजन किया है जिसके नतीजे इस प्रकार से है।
पुराने प्रोटोकॉल के तहत मिला स्कोर
टेस्ट |
मारुति अर्टिगा |
रेनो ट्राइबर |
एडल्ट प्रोटेक्शन कैटेगरी |
17 में से 9.25 पॉइंट्स |
17 में से 11.62 पॉइंट्स |
चाइल्ड प्रोटेक्शन कैटेगरी |
49 में से 25.16 पॉइंट्स |
49 में से 27 पॉइंट्स |
- पुराने प्रोटोकॉल के तहत फ्रंट इंपैक्ट टेस्ट में दोनों कारों को उपर बताए गए पॉइन्ट मिले।
- एडल्ट प्रोटेक्शन और चाइल्ड प्रोटोकॉल कैटेगरी में अर्टिगा को 3 स्टार मिले तो वहीं ट्राइबर को एडल्ट कैटेगरी में 4 तो वहीं चाइल्ड कैटेगरी में 3 स्टार दिए गए।
- दोनों एमपीवी कारों की बॉडीशेल इंटीग्रिटी अन्स्टेबल पाई गई जिसका मतलब ये हुआ कि ये दोनों कारें टक्कर झेलने में नाकाम साबित हुई है।
- इनमें डुअल फ्रंट एयरबैग्स दिए गए हैं।
नए प्रोटोकॉल के स्कोर
टेस्ट |
मारुति अर्टिगा |
रेनो ट्राइबर |
एडल्ट प्रोटेक्शन कैटेगरी |
34 में से 23.63 पॉइंट्स |
34 में से 22.29 पॉइंट्स |
चाइल्ड प्रोटेक्शन कैटेगरी |
49 में से 19.40 पॉइंट्स |
49 में से 19.99 पॉइंट्स |
- नए और सख्त प्रोटोकॉल के तहत दोनों एमपीवी कारों का फ्रंट और साइड इंपैक्ट टेस्ट किया गया था।
- एडल्ट प्रोटोकॉल के तहत अर्टिगा को 1 स्टार और चाइल्ड प्रोटेक्शन कैटेगरी में इसे 2 स्टार मिले वहीं इन दोनों कैटेगरी में ट्राइबर को 2 स्टार मिले थे।
- इनकी बॉडी शेल इंटीग्रिटी इसबार भी अस्थिर ही पाई गई।
- यहां तक कि नए टेस्ट में भी टेस्ट किए गए मॉडल केवल डुअल फ्रंट एयरबैग्स से लैस थे।
एडल्ट प्रोटेक्शन कैटेगरी
फ्रंट इंपैक्ट |
||||
मॉडल |
मारुति अर्टिगा |
रेनो ट्राइबर |
||
टेस्ट |
पुराने प्रोटोकॉल्स |
नए प्रोटोकॉल्स |
पुराने प्रोटोकॉल्स |
नए प्रोटोकॉल्स |
ड्राइवर का सिर |
अच्छा |
अच्छा |
अच्छा |
अच्छा |
ड्राइवर की गर्दन |
अच्छा |
अच्छा |
अच्छा |
अच्छा |
ड्राइवर की छाती |
मार्जिनल |
मार्जिनल |
मार्जिनल |
खराब |
ड्राइवर के घुटने |
मार्जिनल |
मार्जिनल |
मार्जिनल |
मार्जिनल |
ड्राइवर के पैर की हड्डी |
संतोषजनक |
संतोषजनक |
संतोषजनक |
संतोषजनक |
फुटवेल |
खराब |
खराब |
अच्छा |
संतोषजनक |
पैसेंजर का सिर |
अच्छा |
अच्छा |
अच्छा |
अच्छा |
पैसेंजर की गर्दन |
अच्छा |
अच्छा |
अच्छा |
अच्छा |
पैसेंजर की छाती |
अच्छा |
अच्छा |
संतोषजनक |
संतोषजनक |
पैसेंजर के घुटने |
मार्जिनल |
मार्जिनल |
अच्छा |
अच्छा |
पैसेंजर के पैर की हड्डी |
संतोषजनक |
संतोषजनक |
संतोषजनक |
संतोषजनक |
- पुराने और नए टेस्टिंग प्रोटोकॉल्स के तहत ड्राइवर और पैसेंजर को अर्टिगा में एकसमान ही प्रोटेक्शन मिली।
- हालांकि पुराने प्रोटोकॉल के तहत ट्राइबर में ड्राइवर की छाती और फुटवेल एरिया की प्रोटेक्शन को बेहतर बताया गया था।
साइड इंपैक्ट |
||||
मॉडल |
मारुति अर्टिगा |
रेनो ट्राइबर |
||
टेस्ट |
पुराने प्रोटोकॉल्स |
नए प्रोटोकॉल्स |
पुराने प्रोटोकॉल्स |
नए प्रोटोकॉल्स |
ड्राइवर सिर |
उपलब्ध नहीं |
अच्छा |
उपलब्ध नहीं |
अच्छा |
ड्राइवर छाती |
उपलब्ध नहीं |
संतोषजनक |
उपलब्ध नहीं |
खराब |
ड्राइवर एब्स |
उपलब्ध नहीं |
अच्छा |
उपलब्ध नहीं |
अच्छा |
ड्राइवर पेल्विस |
उपलब्ध नहीं |
अच्छा |
उपलब्ध नहीं |
अच्छा |
-
नए नॉर्म्स के तहत दोनों एमपीवी कारों को नई स्कोरिंग मिलने में साइड इंपैक्ट टेस्ट की अहम भुमिका रही।
-
छाती को छोड़कर दोनों मॉडल्स में हर मोर्चे पर प्रोटेक्शन अच्छी मिली।
चाइल्ड प्रोटेक्शन कैटेगरी
- पुराने टेस्ट के दौरान 3 साल के बच्चे के केस में चाइल्ड सीट को फॉरवर्ड फेसिंग किया गया था और इस दौरान इंपैक्ट पड़ने पर उसका सिर बच गया। वहीं 18 महीने के बच्चे के केस में चाइल्ड सीट को पीछे की तरफ फेस किया गया था जहां उसको काफी खराब प्रोटेक्शन मिली।
- नए टेस्ट में भी चाइल्ड सीट को ऐसे ही पोजिशन किया गया था। इसबार 3 साल के बच्चे का सिर तो बच गया मगर 18 महीने के बच्चे का सिर इंपैक्ट पड़ने पर बच नहीं पाया।
- पुराने टेस्ट के दौरान 3 साल के बच्चे की डमी को फॉरवर्ड फेसिंग किया गया था और इंपैक्ट पड़ने पर उसका सिर नहीं बच पाया। 18 महीने के बच्चे के केस में चाइल्ड सीट को उल्टी तरफ रखा गया गया था जहां उसे फुल प्रोटेक्शन मिली।
- नए टेस्ट के दौरान सीटिंग पोजिशन ऐसी ही रही और नतीजा भी समान ही रहा।
सेफ्टी फीचर्स
ट्राइबर और अर्टिगा दोनों को सेफ्टी के मोर्चे पर कोई बड़ा अपडेट नहीं मिला है। दोनों कारों में स्टैंडर्ड डुअल-फ्रंट एयरबैग, ईबीडी के साथ एबीएस, हिल होल्ड असिस्ट, आईएसओफिक्स चाइल्ड सीट एंकर और रियर पार्किंग सेंसर जैसे सेफ्टी फीचर्स दिए गए हैं।
दोनों कारों के टॉप वेरिएंट में साइड एयरबैग्स भी दिए गए हैं। हालांकि अर्टिगा में इलेक्ट्रॉनिक स्टेबिलिटी प्रोग्राम हर वेरिएंट में दिया गया है।
निष्कर्ष
इन टेस्ट में सेफ्टी फीचर्स और परफॉर्मेंस की बात करें तो निष्कर्ष यही निकलता है कि दोनों कारोंं में ज्यादा बदलाव नहीं हुआ है। अब इन दोनों कारों में 4 एयरबैग्स दिए जा रहे हैं मगर जब इनका टेस्ट किया गया था तब इनमें डुअल एयरबैग्स ही दिए गए थे।
हालांकि इलेक्ट्रॉनिक स्टेबिलिटी कंट्रोल स्टैंडर्ड दिया गया है जो कि ट्राइबर के अफ्रीकन मॉडल में नहीं दिया गया है और अब ग्लोबल एनकैप क्रैश टेस्ट के प्रोटोकॉल्स सख्त भी हो गए हैं जिसमें हर स्टार के लिए ज्यादा पॉइन्टस की जरूरत होती है। नए प्रोटोकॉल्स में दोनों मॉडल्स के खराब प्रदर्शन का कारण यही रहा कि सेफ्टी के मोर्चे पर दोनों कारों को कोई बड़ा अपडेट नहीं मिला है।
बेहतर स्कोर पाने के लिए अर्टिगा और ट्राइबर दोनों में सेफ्टी और स्ट्रक्चरल इंटीग्रिटी के मोर्चे पर बड़ा बदलाव होना जरूरी है।