विस्तार से जानिये क्रैश टेस्ट में फेल हुईं 5 भारतीय कारों के बारे में
संशोधित: मई 18, 2016 07:15 pm | nabeel
- 23 Views
- 6 कमेंट्स
- Write a कमेंट
ग्लोबल न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम (एनसीएपी) के ताजा क्रैश टेस्ट में भारत की पांच मशहूर कार फेल हो गई हैं। इन पांच कारों में महिन्द्रा स्कॉर्पियो, रेनो क्विड, मारुति सुजुकी सेलेरियो, मारुति सुजुकी ईको और हुंडई इयॉन शामिल हैं। इस टेस्ट में रेनो क्विड के तीन अलग-अलग वर्जन टेस्ट किए गए थे। इनमें से एक में एयरबैग लगा था बाकी में कोई सेफ्टी फीचर्स नहीं थे। चाइल्ड सेफ्टी के मामले में मारुति सुजुकी सेलेरियो को छोड़कर सभी कारों ने 2 अंक हासिल किए। सेलेरियो को सिर्फ 1 अंक मिला।
एनसीएपी द्वारा किए गए इस टेस्ट में इन कारों के बेसिक मॉडल का इस्तेमाल किया गया, जिसमें एयरबैग नहीं लगा था। इन कारों को 64 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से आमने-सामने की टक्कर कराई गई। इस टेस्ट में पाया गया कि दुर्घटना की स्थिति में इन सभी कारों के ड्राइवर को गंभीर चोट लग सकती है।
रेनो क्विड - एयरबैग के बिना
रेनो क्विड के तीन मॉडल टेस्ट के लिए उतारे गए थे। इनमें पहला मॉडल वो था जो लॉन्च से अभी तक बिक्री के लिए उपलब्ध है। दूसरे मॉडल के क्रैश टेस्ट के लिए रेनो ने खुद पेशकश की थी। यह मॉडल अप्रैल 2016 के बाद बना हुआ है। इस बैच की पांच हजार कारें बनीं। इस मॉडल के एयरबैग वाले और बिना एयरबैग वाले वेरिएंट को टेस्ट किया गया।
नतीजेः क्रैश टेस्ट में सामने आया कि कार में ड्राइवर के सिर और सीने की सुरक्षा काफी कमजोर है। पैसेंजर के सीने की सुरक्षा भी नाममात्र की है। दुर्घटना की स्थिति में पैसेंजर के घुटनों में डैशबोर्ड के कारण गंभीर चोट लगने का खतरा है। कार की बॉडी को कमज़ोर बताया गया है, दुर्घटना की स्थिति में कार का ढांचा सुरक्षा के लिहाज से कमजोर है।
रेनो क्विड (अप्रैल 2016 के बाद वाला मॉडल) - एयरबैग के बिना
इस मॉडल में बॉडी को पहले से थोड़ा मजबूत बनाया गया है। हालांकि ड्राइवर वाली साइड ही सुरक्षा के लिहाज़ से बेहतर है। पैसेंजर को बॉडी से ज्यादा सुरक्षा नहीं मिलती है। क्रैश टेस्ट में क्विड के इस मॉडल का प्रदर्शन पुराने मॉडल की तुलना में थोड़ा बेहतर रहा। हालांकि इसकी बॉडी रेटिंग भी अनस्टेबल यानी कमजोर रही।
नतीजेः इस मॉडल के क्रैश टेस्ट के नतीजे भी पहले वाली क्विड जैसे ही हैं। फर्क इतना है कि इस मॉडल की बॉडी में ड्राइवर साइड में थोड़ी सुरक्षा मिलती है।
रेनो क्विड - एयरबैग के साथ
यह मॉडल ऊपर वाले मॉडल जैसा ही है, बस इसमें एयरबैग दिए गए हैं। जो इसे थोड़ा सा ज्यादा सुरक्षित बना देते हैं।
नतीजेः इस मॉडल के क्रैश में टेस्ट सामने आया कि एयरबैग की वजह से एक्सीडेंट के दौरान ड्राइवर के सिर और गर्दन को अच्छी सुरक्षा मिलती है। सीने पर चोट लगने का खतरा है। पैसेंजर को भी बहुत ज्यादा सुरक्षा नहीं मिलती है। डैशबोर्ड पैसेंजर के घुटनों में चोट लगने का कारण बन सकता है।
महिन्द्रा स्कॉर्पियो (बिना एयरबैग)
क्रैश टेस्ट में स्कॉर्पियो का केबिन बिखर गया। बॉडी को काफी नुकसान हुआ। जो यह इशारा करता है कि दुर्घटना की स्थिति में इसमें ड्राइवर और फ्रंट पैसेंजर को जानलेवा चोटें लगने का खतरा बना हुआ है।
नतीजेः क्रैश टेस्ट में सामने आया कि कार में ड्राइवर के सिर और सीने की सुरक्षा काफी कमजोर है। पैसेंजर के सीने की सुरक्षा भी नाममात्र की है। दुर्घटना की स्थिति में पैसेंजर के घुटनों में डैशबोर्ड के कारण गंभीर चोट लगने का खतरा है। कार की बॉडी को कमज़ोर बताया गया है, दुर्घटना की स्थिति में कार का ढांचा सुरक्षा के लिहाज से कमजोर है।
मारूति सुज़ुकी ईको
टेस्ट में सामने आया कि ईको का केबिन भी दुर्घटना की स्थिति में पूरी सुरक्षा देने में सक्षम नहीं है। यह काफी कमजोर है और एयरबैग दिए जाने के बावजूद भी इसमें ड्राइवर को जानलेवा चोटें आने का खतरा बरकरार है।
नतीजेः क्रैश टेस्ट में सामने आया कि कार में ड्राइवर के सिर और सीने की सुरक्षा काफी कमजोर है। पैसेंजर के सीने की सुरक्षा भी नाममात्र की है। दुर्घटना की स्थिति में पैसेंजर के घुटनों में डैशबोर्ड और शॉक अब्जॉर्बर की वजह से गंभीर चोट लगने का खतरा है। कार की बॉडी भी कमजोर है।
हुंडई इयॉन (बिना एयरबैग वाली)
हुंडई की इस एंट्री लेवल हैचबैक का केबिन भी काफी कमजोर है। एयरबैग न होने की वजह से सुरक्षा और कम हो जाती है।
नतीजेः क्रैश टेस्ट में सामने आया कि कार में ड्राइवर के सिर और सीने की सुरक्षा काफी कमजोर है। पैसेंजर के सीने की सुरक्षा भी नाममात्र की है। दुर्घटना की स्थिति में पैसेंजर के घुटनों में डैशबोर्ड और शॉक अब्जॉर्बर की वजह से गंभीर चोट लगने का खतरा है। कार की बॉडी भी कमजोर है।
मारूति सुज़ुकी सेलेरियो (बिना एयरबैग)
सेलेरियो का केबिन दूसरी कारों की तुलना में बेहतर और मजबूत था। लेकिन यहां एयरबैग के न होने की वजह से कार को जीरो सेफ्टी रेटिंग मिली। वहीं चाइल्ड सेफ्टी के मामले में भी सेलेरियो कमजोर साबित हुई और इसे केवल 1 स्टार ही हासिल हुआ।
नतीजेः क्रैश टेस्ट में सामने आया कि कार में ड्राइवर के सिर और सीने की सुरक्षा काफी कमजोर है। पैसेंजर के सीने की सुरक्षा भी नाममात्र की है। दुर्घटना की स्थिति में पैसेंजर के घुटनों में डैशबोर्ड की वजह से गंभीर चोट लगने का खतरा है। कार की बॉडी भी कमजोर है।
ग्लोबल एनकैप के इस क्रैश टेस्ट के नतीजे बताते हैं कि कार में सेफ्टी स्टैंडर्ड को लेकर भारत में कार कंपनियों का रवैया काफी निराशाजनक रहा है। उम्मीद की जा सकती है कि आने वाले वक्त में भारत में तैयार कारें और सुरक्षित होंगी और दुर्घटना की स्थिति में ड्राइवर-पैसेंजर को कहीं बेहतर सुरक्षा मिलेगी।
यह भी पढ़ें : यूरोपीय क्रैश टेस्ट में मारूति बलेनो को मिली 3-स्टार रेटिंग
0 out ऑफ 0 found this helpful