नई महिंद्रा थार की रेगिस्तान में टेस्ट ड्राइव : कुछ ऐसा रहा देश के इस सबसे बड़े रेतीले इलाके में ड्राइविंग का हमारा एक्सपीरिएंस

प्रकाशित: जनवरी 29, 2021 04:42 pm । भानुमहिंद्रा थार

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2020 किसी तरीके से हम सबके लिए अच्छा नहीं रहा। ऐसे में जब मुझे 10 महीने के बाद फिर से काम पर लौटने का प्रस्ताव मिला तो मुझसे रहा नहीं गया। काम पर लौटने के बाद सबसे पहले मुझे राजस्थान में महिंद्रा थार चलाने का मौका मिला। हालांकि इससे पहले ही थार का रिव्यू हमारी टीम कर चुकी थी मगर मुझे इसके साथ एक नया चैलेंज दिया गया। नई महिंद्रा थार जिसके बारे में ये कहा गया कि वो एक परफैक्ट ऑफ रोडर है जिसे कहीं भी ले जाया जा सकता है, क्या यह कार मेरी उम्मीदों पर खरी उतरी? इस पूरी कहानी को जानने के लिए इस आर्टिकल को अंत तक पढ़ें।

महिंद्रा थार को लाॅन्च के बाद से ही ग्राहकों का अच्छा खासा रिस्पाॅन्स मिला है। यहां तक कि कंपनी इस कार की पूरी डिमांड ही पूरी नहीं कर पा रही है और इसपर 9 महीने का वेटिंग पीरियड पहुंच गया है। महिंद्रा की इस ऑफ रोडिंग एसयूवी में ऑल व्हील ड्राइव का फीचर स्टैंडर्ड दिया गया है। ये कार पहले से काफी प्रैक्टिकल हो चुकी है जिसमें कई शानदार फीचर्स मौजूद हैं। कंपनी ने नई थार एसयूवी की प्राइस 12.10 लाख रुपये से लेकर 14.05 लाख रुपये रखी है। 

New Mahindra Thar Detailed In Pictures

दरअसल मैं महिंद्रा थार के बारे में ये समझना चाहता था कि आखिर लोग इसे इतना ज्यादा पसंद क्यों करते हैं। फिर क्या था मैंने अपना बैग पैक किया और राजस्थान के धोरों में इस कार की टेस्टिंग के लिए निकल पड़ा। 

ट्रैवल एडवाइजरीः

  • कोरोना महामारी के बीच यात्रा के दौरान सामने आए अनुभव आपसे शेयर कर रहा हूंः
  • सबसे पहले ये पता कर लें कि जिस राज्य में आप जा रहे हैं वहां आपको कोविड 19 टेस्ट रिजल्ट पेश करना जरूरी तो नहीं है। 
  • एयरपोर्ट टर्मिनल पर आपका टेंपरेचर चैक किया जाएगा और वहां मास्क पहने रहना जरूरी है। 
  • एयरलाइंस आपको फेस शील्ड, एक्सट्रा मास्क और सैनिटाइजर के पाउच मुहैया कराते हैं। 
  • यदि आपको प्लेन में बीच की सीट मिली है तो आपको एक गाउन पहनने को दिया जाएगा ताकि आप अपने अगल बगल वाले पैसेंजर्स से बचे रह सकें क्योंकि ऐसी स्थिति में सोशल डिस्टेंसिंग की पालना करना कठिन हो जाता है। 

उदयपुर से शुरू की मैंने थार से यात्रा 

मैं यहां ‘राॅयल एस्केप’ नाम के इवेंट में भाग लेने पहुंचा था जो झीलों की नगरी उदयपुर में आयोजित किया गया। पार्किंग एरिया में लाइन से थार के टाॅप वेरिएंट एलएक्स खड़े हुए थे। इन 9 कारों में से 8 2.2 लीटर डीजल इंजन से लैस हार्ड टाॅप वर्जन थे जिनमें मैनुअल और ऑटोमैटिक गियरबाॅक्स की चाॅइस दी गई थी। इनमें से एक 2.0 लीटर टर्बो पेट्रोल इंजन वाला कन्वर्टिबल साॅफ्ट टाॅप वर्जन भी था जिसमें 6 स्पीड ऑटोमैटिक गियरबाॅक्स दिया गया था। दरअसल मैं उम्मीद कर ही रहा था कि काश मैं थार का ये कन्वर्टिबल रूफ वाला पेट्रोल वर्जन चला सकूं। 

हमें थार हैंडओवर करते समय उसे पूरी तरह सैनिटाइज करके दिया गया। केबिन में प्रवेश करते ही मैंने पाया कि मुझे इसका डीजल मैनुअल वेरिएंट दिया गया है। हम शाम को रिजाॅर्ट से रवाना हुए और महिंद्रा ने प्रिंस लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ के एक प्राइवेट फाॅर्म हाउस पर छोटी सी मीटिंग रखी थी। कुंवर लक्ष्यराज सिंह महिंद्रा थार और जीप कारों के बहुत बड़े फैन हैं। 

उनसे बातचीत करते हुए मैंने देखा कि उनके पास माॅडिफाइड थार का कलेक्शन है। उनमें महिंद्रा थार का 2020 माॅडल भी था। लेकिन उन्होंने बताया कि अब तक वो इसकी टेस्ट राइड नहीं ले पाए हैं। उन्होंने हमारे काॅनवाॅय को उदयपुर के विंटेज कार म्यूजियम देखकर आने का भी आग्रह किया जहां राॅल्स राॅयस, बुईक, विक्टोरिया सदी की मोटर कारें और कुछ क्लासिक मर्सिडीज जैसी कारों का शानदार कलेक्शन देखने को मिला। म्यूजियम विजिट करने के बाद हम हमारी थार एसयूवी में बैठकर शहर से बाहर की तरफ निकल पड़े। 

एक ऐसा शख्स जो हमेशा या तो किसी हैचबैक कार में होता है या फिर सेडान चलाता है उसे थार की ऊंची ड्राइविंग पोजिशन में आकर शुरूआत में थोड़ा अजीब लग सकता है। लेकिन बाद में आप इसके आदी हो जाते हैं। 

उदयपुर से निकलने के बाद जोधपुर की ओर रुख करते समय हमारा पहला स्टाॅप जवाई बांध पर तय था, जो उदयपुर से 160 किलोमीटर की दूरी पर था। इस दौरान हमने थोड़ी ऑफ रोडिंग भी की और एक बड़ी सी सपाट चट्टान पर गाड़ी को चलाकर देखा। इस एक्टिविटी को ‘राॅक क्राॅल’ कहा जाता है। ये एक बड़ी सी चट्टान थी जिसकी सतह काफी सपाट थी और उसपर ड्राइव किया जा सकता था। हमारे ग्रुप में एक सदस्य ऐसे भी थे जिन्होंने अमेरिका में उटाह नाम की जगह लाॅयन्स बैक रिज पर ऑफ रोड ड्राइविंग चैलेंज लिया था। मैं पहली बार किसी ऑल व्हील ड्राइव पर इस तरह के एडवेंचर ट्रिप पर निकला था। हमारे सामने एक और चैलेंज सामने आने वाला था जिसकी कहानी अब आप आगे सुनेंगे।

अपहिल चैलेंज

इसके लिए हमें साफ दिशा निर्देश दिए गए थे। सबसे पहले तो हमें ऑल व्हील ड्राइव लो पर गाड़ी को स्विच करना होगा। दूसरे गियर पर रहना होगा और एकदम सीधा सीधा गाड़ी को ड्राइव करना होगा। मुझे थार में दिए गए ट्रांसफर केस फीचर को इस्तेमाल करने के बारे में कुछ नहीं पता था। इसे कैसे इस्तेमाल किया जाता है इस बारे में आप इन पाॅइन्ट्स के जरिए समझ सकते हैंः

  • गियर सलेक्टर के लेफ्ट में आपको एक सेकंड शिफ्ट स्टिक नजर आएगी जिसमें 2 एच, 4एच, एन और 4एल नाम के लेबल दिखाई देंगे। 
  • आमतौर पर हम ऐसी कारों को 2 व्हील ड्राइव मोड पर ही चलाते हैं जहां इंजन केवल पीछे वाले दोनों टायरों को ड्राइव करता है। आपको ज्यादा ग्रिप के लिए ही ऑल व्हील ड्राइव की जरूरत होती है जिसपर गाड़ी चलाने से माइलेज कम मिलता है। 
  • 4 एच या ऑल व्हील ड्राइव हाई पर स्विच करने के बाद 4 व्हील ड्राइव मोड पर आ जाते हैं। ऐसा आप कार चलाते वक्त भी कर सकते हैं। 
  • 4 एल या ऑल व्हील ड्राइव लो रेव्स को होल्ड करके रखता है। इसे इस्तेमाल करने के लिए गाड़ी को पूरी तरह से रोकना आवश्यक है वहीं आपको स्टिक को डाउन करते हुए फिर 4 एल की ओर खींचना होता है। ये पहले 4 एच पर जाती है उसके बाद एन और फिर 4 एल पर जाती है। 

जब मुझे ऐसा लगने लगा कि अब मैं थार में दी गई सभी सेटिंग्स को समझ चुका हूं तो इसके बाद में धीरे धीरे आगे बढ़ता चला गया। इसके बाद मुझे एक ऊंची चढ़ाई चढ़नी थी मगर ये काम थार ने इतनी आसानी से कर दिखाया कि मुझे यकीन ही नहीं हुआ। शिखर पर पहुंच जाने के बाद जो नजारा हमारी आंखो के सामने था उसने हमारी सारी थकान भी उतार दी। एक तरफ पानी ही पानी था तो दूसरी तरफ दूर तक जाता मैदानी इलाका। इस दौरान ही सूरज को ढलते हुए देखने का आनंद ही कुछ और था। 

अब हमें चट्टान के शिखर से नीचे की ओर उतरना था और इस दौरान काम आता है थार का 4 लो सिस्टम। हमें बताया गया कि अब आगे हमें पहले गियर पर ही रहना है और हमारा पैर ब्रेक पर होना चाहिए। इस समय मन में एक डर भी था और साथ ही रोमांच भी। इस दौरान ही महिंद्रा थार का ऑल व्हील ड्राइव सिस्टम भी काफी उपयोगी साबित हुआ। इसके बाद हमारा आखिरी स्टाॅप जवाई बांध के करीब एक ट्यूरिस्ट स्पाॅट पर था और यहां से चाय पीने के बाद हमें रातों रात जोधपुर की तरफ रवाना होना था। 

रात में जोधपुर में ठहरने के बाद हमें जैसलमेर की ओर निकलना था जिसके लिए हम काफी लेट हो चुके थे। ये सफर 300 किलोमीटर लंबा था जहां हमें अब खुली सड़कों पर ड्राइव करनी थी। पूरे ग्रुप के साथ गाड़ी को तेज स्पीड में चलाते हुए भी हम पूरी तरह से कंफर्टेबल थे। इस दौरान मैंने एंड्राॅयड ऑटो से अपने फोन को कनेक्ट कर लिया और अपनी पसंद का म्यूजिक प्ले किया। वहीं मैंने ट्रैफिक कम होने पर क्रूज कंट्रोल के फीचर का भी इस्तेमाल किया। 

जैसे जैसे हम जैसलमेर शहर के नजदीक आ रहे थे वैसे ही मैंने एक बात नोटिस की कि महिंद्रा थार ऐसे ही रास्तों पर निकलने के लिए बनी है। 

रेगिस्तान में थार से सफर

इस यात्रा के तीसरे दिन हम आखिरकार थार से रेगिस्तान में पहुंचे जहां हमें अपनी इस महिंद्रा की ऑफ रोडिंग एसयूवी की असल परीक्षा लेनी थी। मैं उस दिन जल्दी उठ गया था और थार के साथ थोड़ी फोटोग्राफी के लिए सोनार किले पर पहुंच गया। 

इसके बाद हम सब इक्ट्ठे ही खाबा फोर्ड पहुंचे जहां हमारे लिए लंच का प्रोग्राम रखा गया था। लंच के दौरान ही हमें रेतीले धोरों पर गाड़ी चलाने के स्पेशल इंस्ट्रक्शन दिए जा रहे थे। हमसे ऑल व्हील ड्राइव हाई मोड पर चलने को कहा गया था क्योंकि अब हम बहुत ही कोमल रास्ते पर चलने वाले थे जहां मिट्टी एकदम पतली होती है और टायर तक अपनी पकड़ छोड़ देते हैं। हम ये जानकारियां ले ही रहे थे कि हमारी कारों के टायरों की हवा 32 पीएसआई से 20 पीएसआई तक कम कर दी गई। थोड़े पतले रास्ते पर चलने के बाद हम 90 डिग्री का टर्न लेते हुए धोरों की तरफ निकल पड़े। इसी दौरान मेरी मुलाकात एक ऑफरोडिंग इंस्ट्रक्टर से हुई जिसने मुझे एकदम उलट ही राय दी जो कि हमें लंच के दौरान दी गई थी। बता दूं कि हमें रेडियो के जरिए महिंद्रा की ऑफ रोड एकेडमी के लीड इंस्ट्रक्टर द्वारा इंस्ट्रक्शन दिए गए थे। 

मैंने उस ऑफ रोडिंग इंस्ट्रक्टर की बात मान ली और अपनी थार को 2 व्हील ड्राइव हाई पर स्विच कर लिया। उस इंस्ट्रक्टर ने मुझसे कहा था कि आप केवल स्टीयरिंग को ध्यान से संभाले और गाड़ी को ज्यादा एक्सलरेट ना करें और ना ही ब्रेक का इस्तेमाल करें। वैसे भी जब आप उबड़-खाबड़ रास्ते पर होते हैं तो थ्राॅटल ज्यादा नहीं करना चाहिए। हालांकि गाड़ी चलते रहने का मोमेंटम हासिल करने के लिए हमें गाड़ी को रिवर्स करने के बाद दोबारा से आगे बढ़ने की कोशिश करते रहने के लिए कहा गया था क्योंकि धोरों में रास्ते उतार चढ़ाव वाले ही होते हैं। लेकिन मेरे साथ इसका उलट हुआ और मेरी गाड़ी पीछे की तरफ खुद को धकेलती रही कि अचानक वो इंस्ट्रक्टर तेजी से मेरी तरफ दौड़ता हुआ आया और मैंने गाड़ी उसको कुछ देर के लिए थमा दी तब जाकर स्थिति कंट्रोल में आई। लेकिन इसके बाद मैंने भी दोबारा नहीं फंसने का प्रण लिया और इसके लिए पूरा प्रयास भी किया। अब मैंने महिंद्रा थार को बिल्कुल भी हल्के में ना चलाने का फैसला किया और इसके बाद दोबारा मैं कहीं नहीं फंसा। 

जितना सोचा था उससे कहीं ज्यादा मुश्किल था ये चैलेंज

एक बार फिर से हमारे इंस्ट्रक्टर ने दोहराया कि थार ऐसे रूट्स पर 2 एच की तरह 4 लो पर भी आराम से चलाई जा सकती है। ऐसे में बस मुझे अपनी थार पर पूरा भरोसा था और इसी विश्वास के सहारे में अपना रास्ता भी खुद बनाता चला गया। वाकई अब मुझे पूरा यकीन हो गया कि महिंद्रा थार क्या क्या कमाल कर सकती है। 

जैसे ही सूरज धीरे धीरे ढलने लगा, वैसे ही हम सबने अपनी अपनी थार को एक लाइन में पार्क कर दिया और अपने कैमरे के जरिए कुछ खूबसूरत तस्वीरें कैद करने में लग गए। इसी दौरान रेत के धोरों पर खड़ी अपनी थार को देखकर मैं मन ही मन ये भी सोच रहा था कि भले ही थार में दूसरी एसयूवी कारों की तरह प्रैक्टिकैलिटी की कमी हो मगर ऐसी जगहों पर आकर ये आपको सोच के प्रति आजाद रखती है। भले ही ये एक परफैक्ट अर्बन एसयूवी नहीं तो भी इसमें कुछ तो बात है जो केवल इसे चलाने वाला ही महसूस कर सकता है। खैर, अब दिन ढल चुका था और महिंद्रा ने हमारे क्रू मेंबर के लिए शानदार डिनर का आयोजन किया था।

महिंद्रा राॅयल एस्केप के आखिरी दिन महिंद्रा की ओर से जोधपुर के एक रिजाॅर्ट में शानदार डिनर का आयोजन किया गया था। यहीं आकर हमें अपनी थार को भी अलविदा कहना था। इसी दौरान मैं मुझे दी गई थार को देख रहा था जहां रेगिस्तानी मिट्टी में ड्राइव करते हुए उसपर कुछ स्क्रैचेज पड़ गए थे जो कि एक आम बात है। मगर थार ऐसी नजर आ रही थी कि ये अगले ही दिन फिर से 1000 किलोमीटर की यात्रा कर सकती है। वैसे तो बाजार में कंफर्टेबल तरीके से रोड ट्रिप्स करने के लिए काफी कारें मौजूद हैं मगर थार एक ऐसी कार है जो आपको बिना कंक्रीट वाली सड़कों पर चलते हुए भी अच्छा माइलेज दे देगी। कुल मिलाकर थार अपने नाम के अनुसार शानदार एसयूवी साबित होती है।

यह भी देखें: महिंद्रा थार ऑन रोड प्राइस

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