कारों के टॉप मॉडल में क्यूं नहीं मिलता है सीएनजी का ऑप्शन, जानिए इसकी अहम वजह
सीएनजी या कम्प्रेस्ड नेचुरल गैस कारों के लिए वर्तमान में उपलब्ध फ्यूल का सबसे क्लीन बर्निंग सोर्स है। यह काफी सस्ता भी होता है, ऐसे में यदि आप पेट्रोल या डीजल कारों की बजाए एक निश्चित दूरी की यात्रा के लिए सीएनजी कारों का उपयोग करते हैं तो ऐसे में खर्चा भी कम आता है। उदाहरण के तौर पर दिल्ली में सीएनजी की कीमत लगभग 52 रुपये प्रति किलोग्राम है जो पेट्रोल और डीजल से लगभग आधी है। ऐसे में आप सोच रहे होंगे कि सीएनजी का ऑप्शन ज्यादा से ज्यादा कारों में क्यों नहीं दिया जाता है?
वर्तमान में भारत में नौ ऐसी कारें है जो फ़ैक्ट्री फिटेड सीएनजी किट के साथ आती है। इनमें मारुति के छह मॉडल्स और हुंडई के तीन मॉडल्स शामिल हैं। इन दोनों ही कंपनियों की गाड़ियों में सीएनजी किट मिड वेरिएंट से मिलनी शुरू होती है। लेकिन, ऐसा क्यों हैं कि सस्ता होने के बावजूद भी यह ऑप्शन फ़ैक्ट्री फिटमेंट के तौर पर लिमिटेड कारों में ही मिलता है?
इसकी पहली वजह कारों की फाइनल लागत होती है। रेगुलर पेट्रोल कारों की बजाए एक सीएनजी किट की कीमत औसत 80,000 से 90,000 रुपये के बीच होती है। यदि मारुति और हुंडई अपने टॉप वेरिएंट में सीएनजी किट देने लगे तो ऐसे में इनके टॉप वेरिएंट की कीमतें और भी ज्यादा बढ़ सकती है।
कंपनियों की अपनी कारों के टॉप वेरिएंट में सीएनजी ऑप्शन नहीं देने की दूसरी वजह यह भी है कि उन्हें अपने प्रीमियम एक्सपीरिएंस को मेंटेन करना होता है। चूंकि सीएनजी का ऑप्शन केवल पब्लिक ट्रांसपोर्ट व्हीकल में ही दिया जाता है, ऐसे में इसे अकसर एक खराब फ्यूल के तौर पर देखा जाता है और जिन ग्राहकों को किसी वेरिएंट के पेट्रोल और डीजल ऑप्शन लेने होते हैं वह उसे सीएनजी ऑप्शन के साथ लेने से कतराते हैं। इसका एक अच्छा उदाहरण स्कोडा है जो अपनी सीएनजी कारें यूरोप में बेचती है। स्कोडा को भारत में एक प्रीमियम ब्रांड के तौर पर जाना जाता है, ऐसे में सीएनजी फिटेड व्हीकल्स कंपनी की इमेज को ख़राब कर सकते हैं।
सीएनजी किट काफी जगह भी घेरती हैं। इन कारों में बूट की आधे से ज्यादा जगह सीएनजी सिलेंडर द्वारा कवर कर ली जाती है ऐसे में लगेज को या तो केबिन के अंदर रखना पड़ता है या फिर रूफ रैक जोड़ना पड़ता है। सीएनजी कारें सिटी में चलाने के हिसाब से अच्छी होती हैं, लेकिन हाइवे पर इसे चलाना इतना कम्फर्टेबल नहीं लगता है।
इसकी आखिरी वजह सीएनजी नेटवर्क भी है। सीएनजी किट देकर कंपनियां कम रनिंग कॉस्ट की कीमत पर बूट स्पेस कम कर देती है। वर्तमान में सीएनजी पंप मुख्य शहरों में ही उपलब्ध हैं, लेकिन कई बार ऐसा होता है जब एक ही पंप में कमर्शियल व्हीकल और थ्री-व्हीलर में सीएनजी भरवाने की लंबी कतार लग जाती है। हाइवे पर इतने ज्यादा सीएनजी पंप उपलब्ध नहीं होते हैं, ऐसे में हाइवे का सफर तय करने के लिए सीएनजी यूज़र्स को पेट्रोल पर स्विच भी करना पड़ता है।
पेट्रोल और सीएनजी के बीच रनिंग कॉस्ट में अंतर
रनिंग कॉस्ट के बीच आपको सही अंतर का आइडिया देने के लिए यहां हमनें मारुति द्वारा दिए गए एआरएआई आंकड़ों के बारे में बताया है:-
दिल्ली में पेट्रोल की कीमत : 104.1 प्रति लीटर (17 नवंबर 2021 तक)
दिल्ली में सीएनजी की कीमत : 52.04 प्रति लीटर (17 नवंबर 2021 तक)
यहां देखें मारुति कारों के पेट्रोल और सीएनजी मॉडल की एफिशिएंसी
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मारुति एस-प्रेसो |
मारुति अर्टिगा |
पेट्रोल का माइलेज |
21.7 किलोमीटर/लीटर |
19.01 किलोमीटर/लीटर |
सीएनजी का माइलेज |
31.2 किलोमीटर/किलोग्राम |
26.08 किलोमीटर/किलोग्राम |
मान लीजिए कि हम इन दोनों कारों के साथ दोनों प्रकार के फ्यूल का उपयोग करके 100 किमी की दूरी तय करते हैं।
सिनेरियो |
कैलकुलेशन |
एस-प्रेसो पेट्रोल की रनिंग कॉस्ट |
100/21.7 x 104.1 = 479.7 रुपए |
एस-प्रेसो सीएनजी की रनिंग कॉस्ट |
100/31.2 x 52.04 = 166.8 रुपए |
अर्टिगा पेट्रोल की रनिंग कॉस्ट |
100/19.01 x 104.1 = 547.6 रुपए |
अर्टिगा सीएनजी की रनिंग कॉस्ट |
100/26.08 c 52.04 = 199.5 रुपए |
टेबल से यह साफ स्पष्ट है कि सीएनजी पर लगने वाली रनिंग कॉस्ट पेट्रोल पर लगने वाली रनिंग कॉस्ट से लगभग एक तिहाई है।
कंपनियों को टॉप वेरिएंट में सीएनजी क्यों देना चाहिए?
कार कंपनियों को सीएनजी देने के बारे में फिर से सोचना चाहिए। उन लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है जो कार को सिर्फ सिटी में चलाना चाहते हैं। हालांकि, कार में वह केवल लेटेस्ट फीचर्स चाहते हैं और वह 10 लाख रुपए से कम प्राइस में आने वाली कारों के केवल टॉप में ही मिलते हैं। ऐसे लोग सीएनजी ऑप्शन खरीदने में खुश होंगे, लेकिन जैसा कि कार कंपनियों ने सीएनजी ऑप्शन टॉप वेरिएंट में देने से मना कर दिया है, ऐसे में उन्हें केवल पेट्रोल और डीजल ऑप्शन ही मिल पाता है या फिर वह आफ्टरमार्केट सीएनजी किट भी लगवा सकते हैं।
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I would request car dekho to provide feedback to car manufacturer and make customer voice heard
People are ready to spend on top variant of CNG cars, we need cars auto transmission , sun roof cars in CNG variant. It hardly takes space of a bag. We need to change people perception towards CNG byeff
It is absolutely foolish not to offer CNG on top variants for the companies. Apart from all other excuses i think the major difference is difference in earning commission as well for petrol dealers.