जानिए ग्लोबल एनकैप क्रैश टेस्ट में हुंडई सैंट्रो का कैसा रहा हाल
संशोधित: अक्टूबर 31, 2019 07:42 pm | भानु | हुंडई सैंट्रो
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- ग्लोबल एनकैप क्रैश टेस्ट में सैंट्रो के बेस वेरिएंट को किया गया था शामिल
- इसे चाइल्ड और एडल्ट प्रोटेक्शन में मिली महज़ 2 स्टार रेटिंग
- सेंट्रो के बेस वेरिएंट में केवल ड्राइवर एयरबैग का सेफ्टी फीचर ही स्टैंडर्ड दिया गया है
- पैसेंजर एयरबैग केवल कार के टॉप वेरिएंट स्पोर्ट्ज़ और अस्टा में ही उपलब्ध
ग्लोबल एनकैप ने कुछ मेड इन इंडिया कारों का क्रैश टेस्ट लिया है। इन कारों में हुंडई सैंट्रो भी शामिल है जो इस क्रैश टेस्ट में फिसड्डी साबित हुई। इस हैचबैक को एडल्ट और चाइल्ड प्रोटेक्शन कैटेगरी में केवल 2 स्टार रेटिंग प्राप्त हुई है। बता दें कि मारुति वैगन-आर की क्रैश टेस्ट रिपोर्ट भी कुछ ऐसी ही नज़र आई है।
क्रैश टेस्ट में सैंट्रो के बेस वेरिएंट एरा एग्जिक्यूटिव को शामिल किया गया। सेफ्टी के तौर पर कार के इस एंट्री लेवल वेरिएंट में केवल ड्राइवर एयरबैग, एबीएस, ईबीडी,सीटबेल्ट रिमाइंडर और रियर सीट पर चाइल्ड लॉक का फीचर ही दिया गया है। इसमें पैसेंजर एयरबैग, फ्रंट फॉगलैंप और रियर डिफॉगर जैसे सेफ्टी फीचर्स केवल टॉप वेरिएंट स्पोर्ट्ज़ और अस्टा में ही दिए गए हैं।
नॉर्म्स के अनुसार क्रैश टेस्ट में सैंट्रो को 64 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार पर चलाया गया। इस दौरान कार की बॉडी अस्थिर पाई गई। रिपोर्ट में बताया गया है कि यदि सैंट्रो दुर्घटनाग्रस्त हो जाती है तो इसमें ड्राइवर और पैसेंजर की गर्दन और सिर सही सलामत रह सकते हैं। हालांकि, इस मोर्चे पर ड्राइवर की छाती को नुकसान पहुंचने की संभावना ज्यादा रहती है वहीं पैसेंजर को थोड़ी इतना ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचता है। रिपोर्ट में दुर्घटना के दौरान इसमें फ्रंट पैसेंजर के घुटनों को भी काफी नुकसान पहुंचने की संभावना भी बने रहने की बात कही गई है।
हुंडई सैंट्रो के मौजूदा मॉडल में आईएसओफिक्स चाइल्ड सीट माउंट और चाइल्ड रेस्टरेंट सिस्टम नहीं दिया गया है। ऐसे में टेस्टिंग के दौरान रखी गई 3 साल के बच्चे की डमी को एडल्ट सीट बेल्ट बांधकर उसकी बॉडी को आगे की तरफ रखा गया। इस दौरान ये पाया गया कि गाड़ी के टकराने के बाद डमी का सिर फ्रंट सीट से बहुत बुरी तरह से टकराया जो ये दर्शाता है कि इसमें बच्चे को चोट पहुंचने की संभावना बनी रहती है। ऐसे ही 18 महीने की डमी को भी चाइल्ड रेस्टरेंट सिस्टम का इस्तेमाल करते हुए कार की पिछली सीट पर पीछे की तरह मुंह घुमाए बैठाया गया। इस दौरान डमी अच्छे से सुरक्षित रही।