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हुंडई के इंटेलिजेंट मैनुअल ट्रांसमिशन (आईएमटी) से जुड़ी वो पांच बातें जिन्हें जानना चाहेंगे आप

संशोधित: जुलाई 07, 2020 11:21 am | सोनू

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हुंडई ने हाल ही में अपने नए इंटेलिजेंट मैनुअल ट्रांसमिशन (आईएमटी) से पर्दा उठाया है। कंपनी के अनुसार वह इस टेक्नोलॉजी को सबसे पहले भारतीय कारों में देगी। तो क्या है यह टेक्नोलॉजी और कैसे करती है काम? यहां जानेंगे कुछ ऐसे ही सवालों के जवाबः-

यह है टू-पैडल सिस्टम

आईमटी से लैस कार में ड्राइवर के फुटवेल एरिया में सिर्फ दो ही पैडल लगे होंगे, यानी इसमें क्लच पैडल नहीं लगा होगा। इसे ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन कहना गलत होगा, क्योंकि इसमें पारंपरिक मैनुअल कारों की तरह ही सेंट्रल कंसोल पर गियरबॉक्स दिया जाएगा और इसमें गियर अपने आप चेंज नहीं होंगे। 

आपको करना पड़ेगा गियर शिफ्ट

आईएमटी टेक्नोलॉजी से लैस कारों में ड्राइवर को मैनुअल कारों की तरह ही गियर को चेंज करना पड़ेगा। हालांकि आईएमटी सेटअप के चलते अब आपको क्लच दबाने के लिए पैर को नहीं हिलाना पड़ेगा। इसमें क्लच-बाय-वायर सिस्टम का इस्तेमाल होगा, ऐसे में इस टेक्नोलॉजी वाली गाड़ी में क्लच मिलेगा ही नहीं। ऐसे में आपको राइडिंग के दौरान बार-बार क्लच दबाने के झंझट से मुक्ति मिलेगी और ड्राइविंग एक्सपीरियंस भी बेहतर होगा। 

कैसे काम करता है आईएमटी सिस्टम ?

आईएमटी सेटअप में अलग से क्लच ना देकर इसमें ही क्लच-बाय-वायर टेक्नोलॉजी को शामिल किया गया है। इससे आप क्लच पैडल पर प्रेस किए बिना ही गियर शिफ्ट कर सकेंगे। आईएमटी गियरबॉक्स में गियर शिफ्टर को इंटेंशन सेंसर, हाईड्रॉलिक एक्चुएटर और ट्रांसमिशन कंट्रोल यूनिट (टीसीयू) के साथ दिया जाएगा। ड्राइवर के गियर बदलने की स्थिती में ये टीसीयू, शिफ्ट लीवर इंटेंशन से एक सिग्नल रिसीव करता है और फिर हाइड्रोलिक एक्चुएटर को एंगेज रखने के लिए उन सिग्नल को आगे भेज देता है। इसके बाद सिग्नल क्लच और प्रेशर प्लेट (यानी क्लच को एंगेज और डिसेंगेज करना) को कंट्रोल करने के लिए प्रेशर डालते हैं।

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एएमटी और पारंपरिक ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन से काफी सस्ता

आईएमटी सिस्टम काफी हद तक एएमटी सेटअप जैसा ही है। इन दोनों में ही स्टैंडर्ड मैनुअल वर्जन की तरह ही ट्रांसमिशन सेटअप दिए जाते हैं, लेकिन इनमें गियर चेंज की प्रोसेस अलग-अलग होती है। जहां एएमटी गियरबॉक्स क्लच को एंगेज रखते हुए अपने आप गियर में बदलाव करता है, वहीं आईएमटी सेटअप क्लच को एंगेज रखते हुए ड्राइवर की जरूरत पर गियर बदलता है। आईएमटी सिस्टम में कुछ कम पार्ट्स लगते हैं जिसके चलते यह एएमटी वेरिएंट से सस्ता पड़ेगा। आमतौर पर एएमटी वेरिएंट अपने मैनुअल वेरिएंट से करीब 40,000 रुपये महंगा होता है, ऐसे में आईएमटी मॉडल के बीच अंतर ज्यादा नहीं होगा। 

पारंपरिक ऑटोमैटिक कारों जैसे टॉर्क कनवर्टर, डीसीटी और सीवीटी गियरबॉक्स वाली कारों से तो यह और भी ज्यादा सस्ता पड़ेगा। अक्सर देखा गया है कि ऑटोमैटिक कारें अपने मैनुअल वेरिएंट से करीब एक लाख से ज्यादा महंगी होती है। 

आाईएमटी टेक्नालॉजी को हम ऑटोमैटिक का अलटर्नेटिव तो नहीं कह सकते हैं, लेकिन यह मैनुअल ट्रांसमिशन से कुछ ज्यादा चाहने वालों की कॉस्ट कम कर सकता है। हालांकि ये तो आईएमटी मॉडल चलाने के बाद ही पता चलेगा कि वास्तव में ये कितना स्मूद होगा।

 

भारत में हुंडई वेन्यू टर्बो से होगी इसकी शुरूआत, जल्द दूसरी कंपनियों की कारों में मिल सकती है ये टेक्नोलॉजी

सबसे पहले हुंडई की सब-4 मीटर एसयूवी वेन्यू में 1.0 लीटर टर्बो पेट्रोल इंजन के साथ 6-स्पीड आईएमटी टेक्नोलॉजी दी जाएगी। कहा जा रहा है कि किया मोटर्स की जल्द आने वाली सॉनेट में भी यही इंजन दिया जाना है, ऐसे में अनुमान लगाए जा रहे हैं कि सॉनेट में भी आईएमटी टेक्नोलॉजी दी जा सकती है। किया सॉनेट को ऑटो एक्सपो 2020 में पेश किया गया था। 

कहा जा रहा है कि आने वाले समय में हुंडई के अलावा दूसरी कार कंपनियां भी अपनी गाड़ियों में यह टेक्नोलॉजी दे सकती है।

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