मारुति और हुंडई के पास कुल 5 लाख से ज्यादा कारों की चल रही है पेंडेंसी, जानें वजह
प्रकाशित: जनवरी 20, 2023 03:36 pm । सोनू । मारुति जिम्नी
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भारत में कुछ कार कंपनियों के लिए साल 2022 काफी अच्छा रखा और उस दौरान इन्हें काफी अच्छे सेल्स के आंकड़े भी मिले। हालांकि कोरोना महामारी के चलते दुनियाभर की कंपनियों की कंपोनेंट और पार्ट्स की सप्लाई चेन भी बाधित हुई है। इसके परिणाम स्वरूप कारों पर वेटिंग पीरियड बढ़ गया और ग्राहकों को कार की डिलीवरी के लिए ज्यादा इंतजार करना पड़ रहा है। भारत की टॉप 2 कार कंपनी मारुति और हुंडई के पास वर्तमान में कुल 5 लाख से ज्यादा ऑर्डर की पेंडेंसी चल रही है, जिनमें मारुति के 3.65 लाख और हुंडई के 1.6 लाख ऑर्डर पेंडिंग हैं।
ऑर्डर पेंडिंग की वजह?
दोनों कंपनियों का कहना है कि महामारी के चलते ग्लोबल सप्लाई चेन बाधित हुई है, जिससे कार का डिलीवरी पीरियड लंबा हो गया है। सेमीकंडक्टर जैसे कंपोनेंट की सप्लाई सबसे ज्यादा बाधित हुई है। दोनों कार कंपनियों को सेमिकंडक्टर की लिमिटेड सप्लाई मिल रही है और इनकी गाड़ियों की डिमांड लगातार बढ़ती जा रही है।
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कार पर वेटिंग पीरियड
सप्लाई चेन बाधित होने और कारों की डिमांड बढ़ने से वेटिंग पीरियड भी ज्यादा हो गया है। मारुति और हुंडई दोनों की कारों की डिलीवरी के लिए ग्राहकों को इंतजार करना पड़ कर रहा है। मारुति की कुछ कार पर तो 9 महीने तक का वेटिंग पीरियड चल रहा है। वहीं हुंडई की पॉपुलर कार क्रेटा और वरना पर छह महीने तक का वेटिंग पीरियड चल रहा है जबकि अन्य कार पर कम से कम एक महीने तो वेटिंग पीरियड मिल ही रहा है।
क्या जल्द इसमें सुधार होगा?
जिस तरह से कारों की डिमांड बढ़ रही है और सप्लाई चेन की समस्या बाधित हो रही है, उसे देखते हुए हमारा यह मानना है कि निकट भविष्य में पेंडिंग ऑर्डर की संख्या बढ़ सकती है। मारुति और हुंडई ने हाल ही में अपनी कई नई कारों को लॉन्च और शोकेस किया है। मारुति ने 5-डोर जिम्नी और फ्रॉन्क्स से पर्दा उठाया है, वहीं हुंडई ने नई ग्रैंड आई10 निओस को लॉन्च किया है। महज एक सप्ताह से भी कम समय में जिम्नी को 5,000 से ज्यादा बुकिंग मिल चुकी है और नई ग्रैंड आई10 निओस को भी अच्छी डिमांड मिलने की उम्मीद है।
लंबे समय बाद इनकी डिलीवरी टाइमलाइन में कुछ सुधार हो सकता है। कम से कम हम उन मॉडल्स की तो जल्दी डिलीवरी की उम्मीद कर सकते हैं जो ज्यादा पॉपुलर नहीं हैं। कंपनियां भी अपनी सालाना मैन्युफैक्चरिंग कैपेसिटी को बढ़ाने के लिए निवेश कर सकती हैं जिससे बढ़ती डिमांड को जल्दी से जल्दी पूरा किया जा सके।
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