महिंद्रा थार के सॉफ्ट और हार्ड टॉप वेरिएंट को ल ेकर हैं कंफ्यूज, तो ये हाइब्रिड टॉप मॉडल हो सकता है बेस्ट ऑप्शन
संशोधित: फरवरी 25, 2022 07:06 pm | स्तुति | महिंद्रा थार
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महिंद्रा थार उन एसयूवी कारों में से एक है जिसे आप सीधा शोरूम से ऑफ़-रोड एडवेंचर के लिए लेकर जा सकते हैं। लेकिन, यदि आप इसे किसी घने जंगल या ऑफ़ रोडिंग ट्रिप पर लेकर जाने की प्लानिंग कर रहे हैं तो ऐसे में आपको थार के बूट में समान रखने की ज्यादा जगह नहीं मिलेगी। ऐसे में कस्टम हार्डटॉप मैटल रूफ का ऑप्शन सबसे बेस्ट साबित है। हाल ही में बेंगलुरु बेस्ड Vin 4x4 ने थार को मॉडिफाई करके इसमें कस्टम हार्डटॉप मैटल रूफ का ऑप्शन शामिल किया है।
महिंद्रा अपनी थार को सॉफ्ट टॉप कनवर्टिबल या फिर फिर हार्ड टॉप के साथ देती है, लेकिन Vin 4x4 द्वारा तैयार की गई यह सेमी-हार्डटॉप (हाइब्रिड) मैटल रूफ है। इसमें रियर सीटों के ऊपर की तरफ स्ट्रक्चरल मैटल हार्डटॉप लैडर के साथ और टॉप पर रूफ रैक दी गई है। फ्रंट में इसमें कस्टम मेड फ्रेम पर सॉफ्ट टॉप कैनोपी रूफ दी गई है जो मैटल हार्डटॉप से एक्सटेंड होती है। यह सॉफ्ट टॉप कैनोपी रेगुलर सनरूफ के मुकाबले ज्यादा चौड़ी है और इसे एसयूवी के अंदर से मैनुअल रूप से ऑपरेट किया जा सकता है। Vin 4x4 ने इसका वॉटर लीकेज टेस्ट भी किया जिससे यह पता लग सके कि टॉप बंद होने पर पानी गाड़ी के अंदर तो नहीं आता।
महिंद्रा थार में हाइब्रिड रूफ लगवाने के लिए आपको लगभग 1.3 लाख रुपए खर्च करने होंगे। वहीं, रूफ रैक और लैडर फिट करवाने पर आपका खर्चा 30,000 रुपए से भी ज्यादा बढ़ जाएगा। जैसा की आप तस्वीरों में भी देख सकते हैं इसमें रूफ माउंटेड एलईडी लाइट्स और बाकी दूसरे कॉम्पोनेन्ट अतिरिक्त कीमत पर एसेसरीज के तौर उपलब्ध है। इन्हें इंस्टॉल करवाने के लिए लगभग 8 से 10 दिन आपको गाड़ी वर्कशॉप पर छोड़नी पड़ेगी और इस पर एक साल की वारंटी मिलती है।
यह कस्टम मेड हाइब्रिड रूफ केवल नई महिंद्रा थार के लिए ही उपलब्ध है, लेकिन Vin 4x4 फोर्ड एंडेवर, टोयोटा फॉर्च्यूनर और पुराने थार मॉडल्स पर भी काम करती है। इस वर्कशॉप में ऑफ-रोडिंग और ओवरलैंडिंग मॉडिफिकेशन किए जाते हैं, साथ ही ऑफरोडिंग इक्यिूपमेंट जैसे रॉक स्लाइडर, ऑफ-रोड बंपर और रूफ स्टोरेज सिस्टम को कस्टम बिल्ड भी किया जाता है।
भारत के नए ट्रेंड को ध्यान में रखते हुए Vin 4x4 के बालाजी का कहना है कि "अब लोग बहुत सी नई चीज़ों की तलाश कर रहे हैं।" बालाजी एक मोटरसाइकलिस्ट है जिन्होंने रेड दे हिमालय में भी रेसिंग की हुई है, लेकिन वे ओवरलैंडिंग कल्चर को लेकर सरकार के कम सपोर्ट से काफी निराश है।
उनका कहना है कि "भारत में लोग आरवी कॉन्सेप्ट पर खर्च करने के लिए तैयार हैं और वे कारवां खरीदने के लिए भी तैयार हैं, लेकिन अंत में सबसे बड़ी समस्या आरटीओ की आती है।" जो ओनर अपनी कारों को मॉडिफाई करवाते हैं उन्हें अपने स्थानीय सड़क परिवहन कार्यालय (आरटीओ) से अपने वाहन का निरीक्षण करवाने और दोबारा से अप्रूव करवाने की आवश्यकता होती है, लेकिन यह प्रक्रिया इतनी सरल बिलकुल भी नहीं है जैसा की आप उम्मीद करते हैं।
बालाजी का यह भी कहना है कि भारत में रिक्रेशनल व्हीकल पार्क्स और कैंपसाइट्स की भी कमी है जहां आप अपनी ओवरलैंडिंग एसयूवी और आरवी को सुरक्षित तरीके से पार्क कर सकें। हमें लगता है कि आउटडोर रिक्रिएशनल एक्टिविटी और ओवरलैंडिंग व्हीकल की बढ़ती पॉपुलेरिटी के साथ रिक्रेशनल व्हीकल पार्क और कैंपसाइट्स ऐसे व्हीकल्स के लिए जल्द ओपन होंगे।
यह भी देखें: महिंद्रा थार ऑन रोड प्राइस
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