एडीएएस क्या है? कैसे काम करता है? और भारत में इस फीचर के सामने कौनसी चुनौतियां आएंगी? जानिए ऐसे तमाम सवालों के जवाब
महिंद्रा एक्सयूवी700 और एमजी एस्टर हाल ही में एडीएएस फीचर के साथ आई है और इन दोनों गाड़ियों को अच्छा रिस्पॉन्स मिला है। यह फीचर मास मार्केट कारों के लिए नया है और यह कार में बैठे लोगों की सेफ्टी को ज्यादा पुख्ता है। एडीएएस क्या है?, कैसे काम करता है? और भारत की सड़कों पर इसके सामने क्या चुनौतियां आएगी?, ऐसे तमाम सवालों के जवाब आपको मिलेंगे आगेः-
एडीएएस क्या है?
एडीएएस (एडवांस्ड ड्राइवर असिस्टेंस सिस्टम) एक ऐसा फीचर है जो गाडी को कुछ ऑटोनॉमस कैपेबिलिटी देता है। कई कंपनियां अपनी कारों में लेवल 1 एडीएएस और लेवल 2 एडीएस देती है जो इनकी ऑटोनॉमस कैपेबिलिटी को दर्शाते हैं। एडीएएस का लेवल जितना ज्यादा होगा उसकी ऑटोनॉमस कैपेबिलिटी भी उतनी ज्यादा और अच्छी होती है। हालांकि इसके लिए अभी कोई बेंचमार्क तय नहीं किए गए है, ऐसे में एक कंपनी द्वारा अपनी कार में दी जा रही लेवल 2 एडीएएस दूसरी कंपनी की कार के लेवल 1 एडीएएस टेक्नोलॉजी जैसी हो सकती है। इसलिए आपको कार की टेस्ट ड्राइव लेनी चाहिए और गाड़ी खरीदने का निर्णय लेने से पहले खुद इसकी विशेषताओं का पता करना चाहिए।
एडीएएस कैसे काम करता है?
एडीएएस कई कैमरा और सेंसर की मदद से काम करता है। ये दोनों फीचर गाड़ी के चारों तरफ के एरिया को स्केन करते हैं और ऑनबोर्ड कंप्यूटर में इसके फीड देते हैं, उसके बाद कारों के चारों तरफ का एक डिजिटल मैप बनता है। इसके बाद यह कार के अन्य कंप्यूटर को कार कंट्रोल के लिए जरूरी एक्शन लेने का इंस्ट्रक्शन देता है। एडीएएस की क्वालिटी उसमें इस्तेमाल हुए पार्ट्स और कोड पर डिपेंड होती है। बेहतर कैमरे, अच्छे सेंसर और एडवांस कंम्यूटिंग क्षमताओं से रिजल्ट ज्यादा अच्छा मिलता है।
एडीएएस अच्छी रोड पर ज्यादा बेहतर तरीके से काम करता है। यह सड़क पर व्हाइट लाइट और अन्य मार्किंग को डिटेक्ट कर सकता है और यह बेहतर तरीके से काम करने के लिए इन पर काफी डिपेंड रहता है। एडीएएस सिस्टम साइन बोर्ड को भी डिटेक्ट कर सकता है जिनमें खासतौर पर स्पीड मार्किंग भी शामिल है। यह उस साइन बोर्ड को डिटेक्ट कर ऑटोमेटिकली कार की स्पीड को डाउन कर स्पीड लिमिट में ले आता है। कुल मिलाकर कहें तो एडीएस फीचर का अच्छी सड़कों पर अच्छा रिजल्ट मिलेगा।
एडीएएस के तहत कौनसे फीचर आते हैं?
एडीएस फीचर को तीन श्रेणियों में बांटा जा सकता है जिनमें एडवांस्ड वार्निंग, इंटरवेंशन और कंफर्ट। हमने नीचे दी गई सारणी में इन तीनों को समझाने की कोशिश की हैः-
एडवांस वार्निंग |
इंटरवेंशन |
कंफर्ट |
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एडवांस वार्निंग फीचर कार के केबिन में साउंड के जरिए ड्राइवर को आगामी खतरे का अलर्ट देगा। यदि आपके कार के आगे चल रही गाड़ी की स्पीड धीरे होती है या फिर आप अपनी लेन से अलग हो रहे होते हैं या फिर आपकी कार के ब्लाइंड स्पॉट में कोई होता है या फिर रिवर्स लेते वक्त आपकी कार के पीछे कोई हो तो एडीएएस फीचर इसे डिटेक्ट करके आपको साउंड देकर चेताता है और इसका विजुअल अलर्ट भी आपको इंस्ट्रूमेंट क्लस्टर में देता है।
अगर वार्निंग की तरफ ड्राइवर ध्यान नहीं देता है तो फिर एडीएएस फीचर दूसरी स्टेप इंटरवेंशन की तरफ बढ़ता है। अगर गाड़ी की टक्कर होने वाली होती है तो यह फीचर ऑटोमेटिकली गाड़ी के ब्रेक्स लगा देता है। अगर आप अपनी लेन से हट रहे होते हैं तो यह गाड़ी को फिर से लेन में ले आता है।
अडेप्टिव क्रूज कंट्रोल एक्सलरेशन व स्टीयरिंग और ब्रेकिंग इनपुट डालकर इसे अगली स्टेप पर ले जाता है। आप सिस्टम में पहले से कोई स्पीड सेट कर सकते हैं। यह सिस्टम आगे चल रहे वाहन को डिटेक्ट कर आपकी कार को ऑटोमेटिक स्लो कर देता है और उससे निश्चित दूरी बनाए रखता है। अगर आगे चल रही गाड़ी की स्पीड बढ़ती है तो यह सिस्टम ऑटोमेटिकली आपकी कार की स्पीड को बढ़ा देगा और उससे सेट डिस्टेंस बनाए रखेगा। इसका सिस्टम ट्रैफिक साइन बोर्ड को भी डिटेक्ट कर सकता है जिनमें स्पीड लिमिट जैसे साइन बोर्ड शामिल हैं। यह सिस्टम इन साइन बोर्ड को डिटेक्ट कर ऑटोमेटिक कार की स्पीड को साइन बोर्ड स्पीड लेवल पर ले आता है।
हाई बीम असिस्ट हाईवे पर गाड़ी चलाते समय काफी काम आता है। आजकल कारों में ज्यादा रोशनी वाली एलईडी लाइटें मिलने लगी है जिन्हें कार के अंदर से इंडिविजुअली कंट्रोल किया जा सकता है। ऐसे में कैमरा और सेंसर की मदद से सिस्टम डिटेक्ट कर लेता है कि सामने से आ रहा वाहन वास्तव में हमसे कितनी दूर है और हाई बीम को टेंपररी ऑफ कर देता है। इससे सामने से आ रही गाड़ी के ड्राइवर की आंखों पर तेज रोशनी नहीं पड़ती और उसे सामने का व्यू अच्छे से दिख पाता है और संभावित दुर्घटनाओं को रोका जा सकता है।
लेन चेंज असिस्ट दूसरा यूजफुल फीचर है। अगर आप एडीएएस सिस्टम द्वारा दी गई वार्निंग को नजरअंदाज करते हैं तो यह सिस्टम लेन पर ट्रैफिक क्लियर होने की पुष्टि करने के बाद गाड़ी को फिर से लेन पर ले आता है।
भारत में एडीएएस के सामने कौनसी चुनौतियां हैं?
भारत में एडीएस के सामने कई चुनौतियां आएंगी। इस फीचर को अच्छे से काम करने के लिए अच्छी रोड इंफ्रास्टक्चर की जरूरत पड़ती है और भारत की सड़कों के हाल किसी से छिपे नहीं हैं। ऐसे में भारत की सड़कों पर यह फीचर सही से काम नहीं कर पाएगा। अधिकांश लोकल सड़कों पर थोड़ी बहुत मार्किंग मिलती है तो कुछ जगह पर लेन मार्किंग भी नहीं होती है। अगर रोड इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार होता है तो इंडियन कार बायर एडीएएस के अधिकांश फंक्शन का अच्छा फायदा ले पाएंगे।
एडीएएस फीचर बेहतर तरीके से काम करने के लिए सड़कों की कंडिशन का रियल टाइम डाटा जुटाता है। भारत में अभी कम ही कारों में एडीएएस दिया गया है, ऐसे में इस फीचर के पास रोड कंडिशन का पूरा डाटा नहीं है। इसके अलावा यहां के ट्रैफिक पेटर्न और लोगों की ड्राइविंग की आदतों का डाटा भी इस फीचर के पास नहीं है। भारत में सड़कों पर अचानक से कभी भी जानवर आ जाते हैं, यह समस्या विकसित देशों में नहीं है। जैसे जैसे एडीएस कंप्यूटर्स ज्यादा से ज्यादा डाटा इकट्ठा करेंगे इनमें इंप्रूवमेंट होता रहेगा।
एडीएएस के सामने कई लीगल इश्यू भी आएंगे। उदाहरण के तौर पर एडीएएस फीचर वाली गाड़ी में समय पर ब्रेक नहीं लगता है और एक्सीडेंट हो जाता है तो इसकी जवाबदेगी किसकी होगी? कार के सिस्टम की या फिर ड्राइवर की? अभी कार मालिक को गाड़ी का स्टीयरिंग हाथ में रखकर हर समय चौकस रहना होता है। कुछ एडीएएस वाली कार में सिस्टम लगे होते हैं जो यह पता लगाते हैं कि ड्राइवर उसके दिए ऑर्डर का पालन कर रहे हैं या नहीं।
इंटरनेट पर हमने कई वीडियो देखे हैं जिनमें से एक ऑटोनॉमस टेक्नोलॉजी के मामले में मशहूर टेस्ला कार का भी है। इन मामलों में पाया गया कि ड्राइवर ड्राइविंग के वक्त किसी अन्य काम में लगे हुए थे या फिर वो सो रहे थे। भविष्य में कानून में पब्लिक रोड पर ऑटोनॉमस कैपेबिलिटी के प्रावधान भी देने होंगे।
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