मॉडिफाई कराकर कर्नाटक पुलिस ने अपने बेड़े में शामिल किया इसुजु डी मैक्स पिकअप,देखें इसकी सॉलिड तस्वीरें
संशोधित: जून 08, 2021 02:57 pm | भानु | इसुज़ु डी-मैक्स
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देश में आज भी पुलिस के बेड़े में महिंद्रा की जीप और मारुति की जिप्सी कारों को देखा जा सकता जो पावर और लुक्स के मामले में काफी दमदार कारें साबित होती हैं। मगर कर्नाटका पुलिस इस मामले में एक कदम आगे बढ़ गई है जहां दावणगेरे जिले की पुलिस ने अपने बेड़े में इसुजु डी मैक्स पिकअप को शामिल किया है। खास बात ये है कि दावणगेरे पुलिस ने इन पिकअप्स को मॉडिफाइ भी कराया है। इन कारों को मैसुर की ब्लू गैरेज नाम की वर्कशॉप ने मॉडिफाइ किया है। ऐसे में हमनें भी वर्कशॉप से जानना चाहा कि आखिर उन्होनें इसुजु के इन पिकअप्स को किस तरह किया मॉडिफाइ:
ब्लू गैराज के अविनाश ने बताया कि मॉडिफिकेशन का पहला फेज पूरा कर लिया गया है। वहीं जल्द ही सेकंड फेज भी शुरू किया जाएगा। 2019 में कर्नाटक सरकार ने ब्लू गैराज से ऐसे व्हीकल्स तैयार करने के लिए संपर्क किया था जो दंगों के दौरान पुलिस के जवानों की रक्षा भी कर सके और वो उसमें बैठकर मोर्चा भी संभाल सके। बता दें कि इस वर्कशॉप ने पहले भी इंडोनेशियन पुलिस को इस तरह का प्रोजेक्ट तैयार करने में मदद की थी जहां वर्कशॉप ने पार्ट्स तैयार कर वहां एक्सपोर्ट किए थे। वहीं दावणगेरे पुलिस के लिए ये ट्रक्स वर्कशॉप में ही तैयार किए गए हैं। दावणगेरे पुलिस को इन ट्रक्स का इस्तेमाल करते हुए दो महीने हो चुके हैं। इसका वीडियो आप नीचे देख सकते हैं।
इस पिकअप ट्रक में मॉडिफिकेशन पार्ट्स के तौर पर स्नॉर्कल एयर इनटेक,विंच, राइड हाइड बढ़ाने और डैंपिंग के लिए एडजस्टेबल फ्रंट और रियर सस्पेंशन,पुलिस सायरन,पतली सी एलईडी रूफ लाइट बार एवं फ्रंट एवं रियर बुल बार शामिल किए गए हैं। इसके अलावा इस ट्रक में साइड शील्ड और गन रेक भी दी गई है। सोशल मीडिया पर काफी लोगों ने इस मॉडिफाइड ट्रक को लेकर पुलिस की आलोचना भी की है। लोगों का कहना है कि इसमें बुल बार दिए गए हैं जो कि नए कानूनों के हिसाब से किसी भी गाड़ी में लगाना गैर कानूनी है। हालांकि सरकार अपने बेड़े में अपनी जरूरतों के हिसाब से इस तरह के व्हीकल शामिल कर सकती है।
बता दें कि वर्कशॉप को इन ट्रक्स को मॉडिफाय कराने का काम 2019 में सरकार द्वारा सौंपा गया था। ये इसुजु डी मैक्स का बीएस4 वर्जन है जिसमें 2.5 लीटर डीजल इंजन दिया गया है जो 134 पीएस की पावर और 320 एनएम का टॉर्क जनरेट करने में सक्षम है। इस इंजन के साथ 5 स्पीड मैनुअल गियरबॉक्स एवं शिफ्ट ऑन फ्लाय 4 व्हील ड्राइव सिस्टम दिया गया है। वहीं बीएस6 डी-मैक्स में 1.9 लीटर डीजल इंजन दिया गया है जो 163 पीएस की पावर और 360 एनएम का टॉर्क जनरेट करता है। इंजन के साथ इसमें 6-स्पीड मैनुअल और ऑटोमेटिक गियरबॉक्स की चॉइस रखी गई है। यह गाड़ी टू-व्हील-ड्राइव और ऑल-व्हील-ड्राइव ऑप्शन में उपलब्ध है।
ब्लू गैरेज के अविनाश ने हमें बताया कि उन्हेानें मॉडिफिकेशन से जुड़े आगे क प्रस्ताव सरकार के सामने रख दिया है। उन्होनें इसकी एलईडी लाइट्स का उदाहरण देते हुए बताया कि ये पुलिस की हेलोजन पुलिस लाइट्स से ज्यादा एफिशिएंट है। वर्कशॉप इसमें रन फ्लैट टायर्स और लाइट्स को पावर देने के लिए 12 वोल्ट की बैट्री देने पर भी विचार कर रही है। पुलिस विभाग से मंजूरी मिलने के बाद वर्कशॉप ये फीचर्स इसमें जोड़ देगी।
इसमें दिए गए सस्पेंशन ऑस्ट्रेलिया की एक 4x4 कारों के पार्ट्स बनाने वाली टीजेएम कंपनी से लिए गए हैं। बाकी इसमें किए गए तमाम मॉडिफिकेशंस वर्कशॉप में ही किए गए हैं। सेकंड फेज में ब्लू गैराज इसमें विंडशील्ड प्रोटेक्शन जैसे फीचर्स देगी।
अविनाश ने बताया कि इस मॉडिफिकेशन के काम में उन्हें करीब 6 महीने का समय लग गया। इस बीच लॉकडाउन लग जाने के कारण काम धीमा पड़ गया और चीन से इंपोर्ट संबंधी कामकाज रूक जाने के कारण भी इसे तैयार करने में ज्यादा समय लग गया।
हमनें अविनाश से ये भी पूछा कि यदि को आम आदमी इस तरह का मॉडिफाइड पिकअप ट्रक तैयार कराना चाहे तो उसे कितने रूपये खर्च करने पड़ेंगे। तो उन्होनें कहा कि यदि इसमें बाजार से खरीदे गए स्पेशल सस्पेंशन,फ्रंट,रियर बॉडी और अंडरबॉडी प्रोटेक्शन लेते हैं तो इसमें करीब 2 से 3 लाख रुपये का अतिरिक्त खर्च आएगा। जो आप तस्वीरों में पुलिस के मॉडिफाइड ट्रक्स देख रहे हैं उनमें काफी ज्यादा मॉडिफिकेशन किया गया है जिससे उसपर खर्च भी ज्यादा हुआ है।
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ये तो हम सब जानते ही हैं कि भारत में व्हीकल मॉडिफिकेशन उतना आसान नहीं है। यहां बुल बार्स और ऑफ रोडिंग बंपर जैसी चीजें लगवाना अब गैर कानूनी माना गया है। मगर ऑफ रोडिंग के शौकीन मैटल बंपर्स और अपने ट्रक के लैडर फ्रेम चेसिस पर बुल बार्स का उपयोग आज भी करते हुए देखे जा सकते हैं। यदि मॉडिफिकेशन से जुड़े कानून को ध्यान में रखते हुए ये सब काम कराए जाएं तो इसका फायदा ऑफ रोडिंग के दौरान जरूर देखने को मिलता है।
उम्मीद है कि सरकार एक बार फिर व्हीकल मॉडिफिकेशन से जुड़े कानून में कोई बदलाव करे जहां लोगों को सुरक्षित और खतरनाक मॉडिफिकेशंस से जुड़े फर्क के बारे में बतलाया जा सके।