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देश में नदियों-नहरों के रास्ते कारें सप्लाई करेगी मारूति!

संशोधित: जुलाई 27, 2016 07:55 pm | alshaar

हुंडई के बाद अब देश की सबसे बड़ी कार कंपनी मारूति सुज़ुकी भी नदियों और नहरों के रास्ते देश में कारें ट्रांसपोर्ट करने की योजना पर काम कर रही है। इसके लिए कंपनी ने सरकार के पायलट प्रोजेक्ट में भागीदारी करने का फैसला किया है।

इस बारे में केंद्रीय राज्य मंत्री (शिपिंग) पी राधाकृष्णन ने राज्यसभा को जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि ‘पानी के रास्तों से कार ट्रांसपोर्ट करने के लिए इनलैंड वाटरवेज अथॉरिटी ऑफ इंडिया (आईडब्ल्यूएआई) और मारूति सुज़ुकी इंडिया लि. के बीच एक करार हुआ है।'

उन्होंने बताया कि ‘कार ट्रांसपोर्ट करने के लिए आईडब्ल्यूएआई ने वाराणसी में गंगा नदी के तट पर एक मालवाहक जहाज तैनात किया हुआ है। यह जहाज वाराणसी से कोलकाता जाने वाले नेशनल वाटरवे-1 के जरिये कारें ट्रांसपोर्ट करेगा।'

एक अध्ययन के मुताबिक अगर जलमार्ग जरिये भारत में ही ट्रांसपोर्ट किया जाता है तो इसकी लागत प्रति किलोमीटर 50 पैसे आती है। जो रेलवे के जरिये ट्रांसपोर्ट कराने के मुकाबले करीब आधा और सड़क मार्ग में आने वाली लागत का एक तिहाई खर्च है।

भारत की बात की जाए तो यहां कई नदियां, झीले, नहर, खाड़ियां और बैकवाटर्स हैं। देश में इनका पूरा नेटवर्क लगभग 14,500 किलोमीटर का है। इस नेटवर्क में 5200 किलोमीटर की हिस्सेदारी नदियों की और 4000 किलोमीटर की हिस्सेदारी नहरों की है लेकिन इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी के कारण इसका फायदा नहीं मिल पा रहा है। इस वजह से सड़क मार्ग से ही ज्यादातर ट्रांसपोर्ट होता है।

बात करें दूसरे एशियाई देशों की तो इनमें चीन और कोरिया में 40 फीसदी से ज्यादा ट्रांसपोर्ट पानी के रास्तों से होता है। वहीं यूरोपीय देशों मे भी अधिकांश घरेलू ट्रांसपोर्ट के लिए जलमार्गों का इस्तेमाल होता है। भारत में बड़ी क्षमता होने के बाद भी वाटर-वे ट्रांसपोर्ट का हिस्सा कुल ट्रांसपोर्ट में महज़ पांच फीसदी ही है।

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