साउथ कोरिया की कोर्ट के हाथ में है अब महिंद्रा की सहयोगी कंपनी सैंग्यॉन्ग मोटर्स का भविष्य
संशोधित: दिसंबर 22, 2020 06:16 pm | भानु
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- 75 प्रतिशत हिस्सेदारी है महिंद्रा की सैंग्यॉन्ग मोटर कंपनी में
- इंटरनेशनल मार्केट में सैंग्यॉन्ग की काफी कारें है उपलब्ध
- अल्टुरस जी4 और एक्सयूवी300 कुछ हद तक या पूरी तरह सैंग्यॉन्ग के मॉडल्स पर ही हैं बेस्ड
- अब कोर्ट के हाथ में है सैंग्यॉन्ग मोटर कंपनी का भविष्य
महिंद्रा एंड महिंद्रा की सहयोगी कंपनी सैंग्यॉन्ग ने अपने देश साउथ कोरिया में कोर्ट रिसीवर्सशिप के लिए आवेदन किया है। कंपनी बैंकों का 60 बिलियन वॉन(करीब 400 करोड़ रुपये) चुका पाने में विफल हो गई है। कंपनी ने अपने लेनदारों से लोन चुकाने के लिए थोड़ा और समय मांगा था मगर बैंकों ने उन्हें मना कर दिया। कोर्ट रिसीवर्सशिप के तहत अब अदालत ही कंपनी का भविष्य तय करेगी।
एसयूवी मैन्यूफैक्चरर सैंग्यॉन्ग ने जी4 रेक्सटन,टिवोली,कोरांडो और रेक्सटन स्पोर्ट्स जैसी कारें तैयार की हैं। भारत में जी4 रेक्सटन को महिंद्रा अल्टुरस जी4 के नाम से बेचा जाता है वहीं टिवोली को एक्सयूवी300 के नाम से बेचा जाता है।
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इस समय सैंग्यॉन्ग मोटर कंपनी में महिंद्रा की 75 प्रतिशत हिस्सेदारी है। कुछ समय पहले कंपनी इसमें 230 बिलियन वॉन (करीब 1,600 करोड़) रुपये की फ्रेश कैपिटल लगाने के बारे में सोच रही थी मगर अभी उसे बोर्ड से अप्रूवल नहीं मिला है। हालांकि,महिंद्रा कंपनी के बोर्ड ने ये तय किया कि वो इस कंपनी में निवेश करने के बजाए कंपनी को तीन साल तक के लिए 40 बिलियन वॉन के रूप में एकमुश्त राशि दे देगी जिससे वो रोजाना का कामकाज जारी रख सके।
यदि इस कोरियन कंपनी को कोई नया इंवेस्टर मिल जाता तो महिंद्रा ने जल्द ही सैंग्यॉन्ग से अलग होने का निर्णय भी लिया था। फिलहाल इस स्थिती को लेकर महिंद्रा ने अपने मॉडल लाइनअप पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर कुछ भी नहीं किया है। जल्द ही कंपनी इस बारे में जानकारी देगी।
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