क्या होंडा के लिए इंडियन एसयूवी सेगमेंट पर फोकस करने का ये सबसे अच्छा समय है?
जैसे ही होंडा ब्रांड का नाम सुनते हैं तो सबसे पहले जहन में इस कंपनी की शानदार सेडान कारों का ख्याल मन में आता है। पिछले दो दशकों से ज्यादा होंडा ने भारत में कुछ बेहद ही प्रीमियम से लेकर लग्जरी सेडान कारें उतारी हैं। सिटी और अकॉर्ड जैसी कारों के कई न्यू जनरेशन मॉडल्स और सिविक जैसी कारों के माध्यम से कंपनी ने बताया कि एक सेडान कैसे तैयार की जाती है।
मगर क्या इस चीज से कोई बड़ा फर्क पड़ता है? ये तो मानना पड़ेगा कि होंडा अकॉर्ड बेहद ही शानदार कार थी जो बस अब एक इतिहास बनकर ही रह गई है। होंडा सिटी ने भी इंडियन मार्केट में शानदार प्रदर्शन किया है पर फिर भी ये कार भी इस कंपनी की भारत में धाक जमाने में मदद नहीं कर पाई है। ऐस में होंडा को अब अपने अस्तित्व को बचाने के लिए क्या करना होगा? कुछ पहलुओं के जरिए आगे समझते हैं इस बात को।
सेडान कारों की कम होती पॉपुलैरिटी
भारत में आज जो एसयूवी कल्चर चल रहा है उसका श्रेय 2012 में लॉन्च हुई रेनो डस्टर को जाता है। उस समय तक मार्केट में एसयूवी कारों की परिभाषा ज्यादा लोगों को समझ नहीं आती थी। तब तक लोगों को सिर्फ इतना ही मालूम था कि एक एसयूवी कार एक दमदार सी दिखने के साथ ज्यादा ग्राउंड क्लीयरेंस वाली कारें होती है जिन्हें आप ऐसी जगहों पर लेकर जा सकते हैं जहां कोई मामूली कार नहीं पहुंच सकती है।
डस्टर के बाद भारत में फोर्ड इकोस्पोर्ट को लॉन्च किया गया इसके कुछ ही समय बाद फिर मार्केट में विटारा ब्रेजा और उसके बाद हुंडई क्रेटा आई। इन्हीं कारों की वजह से आॅटो इंडस्ट्री में एक नया दौर शुरू हुआ। अब आॅफ रोडिंग एसयूवी की जरूरत ना होकर ऐसी एसयूवी की डिमांड आने लगी जिनमें उंची राइड पोजिशन,अच्छा केबिन स्पेस और अच्छी रोड प्रजेेंस मिल सके। ये चीज होंडा नहीं समझ पाई और समय निकलने तक सेडान कारों की पॉपुलैरिटी में कमी आने लगी।
एसयूवी कारें बनाने का नया दौर हुआ शुरू
एसयूवी कारों की पॉपुलैरिटी बढ़ने का सबसे ज्यादा फायदा मारुति और हुंडई ने उठाया है। इन्हें देखते हुए फिर कई और ब्रांड्स भी सब कॉम्पैक्ट और कॉम्पैक्ट एसयूवी कारें तैयार करने के लिए मैदान में उतरे। जहां टाटा ने नेक्सन को पेश किया, तो फिर महिंद्रा एक्सयूवी300 लेकर आई,हुंडई ने वेन्यु को लॉन्च किया और इस तरह से सभी कंपनियां इस लीग में शामिल होती चली गई। निसान और रेनो ने भी हाल के दौर में मैग्नाइट और काइगर को मार्केट में उतारा है। इस साल फोक्सवैगन और स्कोडा ने भी इंडियन मार्केट में अपनी ओर से कॉम्पैक्ट एसयूवी को लॉन्च किया है।
हालांकि होंडा ने भी बीआरवी और डब्ल्यूआरवी जैसी एसयूवी कारों के साथ एसयूवी सेगमेंट में अपना भाग्य आजमाया है। कंपनी की बीआरवी को तो एक एसयूवी कार नहीं कहा जा सकता है क्योंकि ये कुछ कुछ एमपीवी कार जैसी लगती है। कंपनी ने मोबिलियो नाम से भी एक एमपीवी लॉन्च की थी जो भारतीय बाजार में ज्यादा नहीं टिक पाई। वहीं होंडा ने इसे सही वक्त पर भी मार्केट में नहीं उतारा था। अब तीन रो वाली क्रॉसओवर कारें ज्यादा पॉपुलर हो गई है जबकि 6 साल पहले जब बीआरवी मार्केट में उतारी गई तब ये सीन नहीं था। सब कॉम्पैक्ट एसयूवी सेगमेंट में होंडा डब्ल्यूआरवी कुछ समय तक तो बनी रही जो जैज का ही एक बड़ा वर्जन लगती है। मगर लोगों को तब तक एक बड़ी सी एसयूवी कारें पसंद आने लगी थी और होंडा की डब्ल्यूआरवी लोगों के स्टैंडर्ड के अनुरूप खुद को पेश नहीं कर पाई।
नंबर गेम
भारत में कार को खरीदना एक गेम नंबर की तरह है। कार खरीददार माइलेज, फीचर्स, वारंटी पर काफी ध्यान देते हैं, लेकिन सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण चीज़ जो होती है वो होती है कार की प्राइस। चौथी जनरेशन की सिटी को भारत में 2014 में लॉन्च किया गया था और उस दौरान इस कार की कीमत 7.42 लाख रुपए से 11 लाख रुपए (दोनों कीमतें एक्स-शोरूम) के बीच थी। इसके एक साल बाद पहली जनरेशन की हुंडई क्रेटा एसयूवी को लॉन्च किया गया था जिसकी कीमत 8.60 लाख रुपए से 13.60 लाख रुपए (एक्स-शोरूम) के बीच रखी गई थी। क्रेटा की कीमत सिटी से ज्यादा थी, लेकिन इसके टॉप वेरिएंट में डीजल-ऑटोमेटिक का ऑप्शन जरूर दिया गया था जो सिटी में नहीं मिलता था। ऐसे में उस दौरान होंडा सिटी कार को खरीदने की चाहत रखने वाले लोगों को आश्चर्य होने लगा कि क्या हमें अब क्रेटा 'एसयूवी' खरीदनी चाहिए या नहीं। जिस चीज़ ने इस डील को सील किया वो थे क्रेटा में दिए गए दमदार फीचर्स।
साल 2021 की बात करें तो अब भी तस्वीर कुछ ऐसी ही नज़र आती है। अब इन दोनों ही कारों के न्यू जनरेशन मॉडल्स भारतीय बाजार में मौजूद हैं, लेकिन क्रेटा अब भी सिटी से ज्यादा महंगी कार है और इसमें सिटी से कहीं ज्यादा फीचर्स भी मिलते हैं। इसकी कीमत 10 लाख रुपए से 17 लाख रुपए के बीच है। यदि आप देखना चाहते हैं कि क्रेटा सिटी से कितनी ज्यादा दमदार साबित होती है तो नीचे दी गई टेबल में 2021 सेल्स फिगर देख सकते हैं :-
महीना |
हुंडई क्रेटा |
होंडा सिटी |
जनवरी 2021 |
12284 |
3668 |
फरवरी 2021 |
12428 |
2524 |
मार्च 2021 |
12640 |
815 |
अप्रैल 2021 |
12463 |
3128 |
मई 2021 |
7527 |
1148 |
जून 2021 |
9941 |
2571 |
जुलाई 2021 |
13000 |
3627 |
अगस्त 2021 |
12597 |
3248 |
सितंबर 2021 |
8193 |
3348 |
अक्टूबर 2021 |
6455 |
3611 |
नवंबर 2021 |
10300 |
2666 |
कुल |
1,17,828 |
30,354 |
ऊपर दिए गए सेल्स डाटा पर गौर करें तो यह साफ जाहिर होता है कि सिटी की सेल्स क्रेटा से एक तिहाई भी नहीं है। 2021 में हुंडई क्रेटा औसतन सिटी से चार गुना ज्यादा बिकी है।
होंडा के फ्यूचर प्लांस :-
एक अच्छे प्रोडक्ट के मामले में सिटी क्रेटा से इतनी ज्यादा पीछे भी नहीं है। इस कार की अपनी खुद की कई खूबियां है। हमें इसके बारे में तब पता चला जब हमनें इन दोनों ही कारों का कम्पेरिज़न परफॉरमेंस, हैंडलिंग, प्रेक्टिकेलिटी, स्पेस और कम्फर्ट को जानने के लिए किया। आप इसके बारे में स्टोरी के अंत में दिए गए लिंक में पढ़ सकते हैं।
हालांकि, यह फिगर बताते हैं कि एसयूवी कारें सेडान के मुकाबले कई ज्यादा फायदे देती हैं। समय की मांग इन दिनों एसयूवी कारों की ही हैं जो पारंपरिक होंडा की विशेषताओं जैसे रिफाइनमेंट, विश्वसनीयता और लग्ज़री को दर्शाती हैं। जहां तक सबकॉम्पैक्ट एसयूवी या कॉम्पैक्ट एसयूवी होने की बात है, हमें लगता है कि कॉम्पैक्ट एसयूवी ज्यादा बेहतर साबित होती है। ऐसा इसलिए क्योंकि सबकॉम्पेक्ट या सब-4 मीटर एसयूवी कार कम स्पेशियस होती है। वर्तमान में कॉम्पेक्ट एसयूवी सेगमेंट में किआ सेल्टोस, हुंडई क्रेटा, स्कोडा कुशाक, फोक्सवैगन टाइगन और एमजी एस्टर जैसी पॉपुलर कारें मौजूद हैं।
होंडा ने इस बात का खुलासा भी कर दिया है कि वह भारत में नई एसयूवी कार लाने पर भी काम कर रही है, लेकिन कंपनी ने फिलहाल यह नहीं बताया है कि यह किस सेगमेंट की कार होगी। यह एसयूवी कार भारत के शोरूम्स में 2023 तक शायद ही पहुंचेगी। इस बीच होंडा टाटा, महिंद्रा, किआ और हुंडई जैसी दूसरी कार कंपनियों के लिए बाजार में हिस्सेदारी खोना जारी रखेगी जिन्होंने सही समय पर एसयूवी कारों को पेश किया गया । इससे बचने के लिए होंडा को जल्द ही कई सारे एसयूवी मॉडल्स को उतारना होगा।
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It is very unfortunate that Hinda introduced CRV when the time was not ripe but discontinued what the market is picking up . Instead Honda should have started manufacturing in India and reduced price
Honda couldn't measure change in customer preference over period of time. Hence, it is a big failure. It need to correct this urgently else it will follow FORD.