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यूरोपियन क्रैश टेस्ट में पास हुई नई स्विफ्ट

प्रकाशित: जून 02, 2017 11:38 am । rachit shadमारुति स्विफ्ट 2014-2021

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इस बार यूरोपियन न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम (यूरो एनकैप) के क्रैश टेस्ट में नई सुज़ुकी स्विफ्ट के मॉडलों को उतारा गया, इन में एक स्टैंडर्ड सेफ्टी किट वाली स्विफ्ट और दूसरी ऑप्शनल सेफ्टी पैक वाला मॉडल था, दोनों ने 3-स्टार और 4-स्टार सेफ्टी रेटिंग हासिल की।

स्टैंडर्ड सेफ्टी किट वाली स्विफ्ट

सबसे पहले बताते चलें कि इस क्रैश टेस्ट में सुज़ुकी स्विफ्ट के यूरोपीय मॉडल को उतारा गया था, इस में जो सेफ्टी फीचर दिए गए हैं वो भारत आने वाली स्विफ्ट में शायद ही देखने को मिलें।

स्विफ्ट के यूरोपीय मॉडल में छह एयरबैग, प्री-टेंशनर्स के साथ लोड लिमिटर्स, आईएसओफिक्स चाइल्ड सीट एंकर, एयरबैग कट-ऑफ स्विच और सीट बेल्ट रिमाइंडर जैसे फीचर दिए गए हैं। इस वजह से नई स्विफ्ट को पैसेंजर सुरक्षा के लिए 3-स्टार रेटिंग मिली है।

यूरो एनकैप का निष्कर्ष

क्रैश टेस्ट में स्टैंडर्ड सेफ्टी किट वाली स्विफ्ट हैचबैक को व्यस्क पैसेंजर सुरक्षा के मामले में 83 फीसदी स्कोरिंग मिली, यूरो एनसीएपी का कहना है कि नई स्विफ्ट ने चार में से तीन टेस्ट में काफी अच्छा प्रदर्शन किया है। केवल सामने से कार की सुरक्षा को मापने वाले फुल विर्थ रिज़िड बैरियर टेस्ट में सामने आया कि टक्कर होने की स्थिति में ड्राइवर और पैसेंजर को सीने पर चोट लगने की गुंजाइश बनी हुई है। कंपनी ने पीछे वाली सीटों पर जियोमैट्रिक असेस्मेंट भी किया है, लेकिन यह भी टेस्ट में कमजोर साबित हुआ है।

चाइल्ड पैसेंजर सुरक्षा के मामले में इसका स्कोर 75 फीसदी रहा, यूरो एनसीएपी के अनुसार चाइल्ड पैसेंजर के लिए बनी सभी टेक्नोलॉजी को कार में सही तरह से इस्तेमाल किया गया है, लेकिन इसकी परफॉर्मेंस में कुछ कमियां रही हैं। क्रैश टेस्ट में पाया गया कि इस में बैठाई गई छह साल के बच्चे की डमी को सीने और गर्दन में चोटें आने की आशंका बनी हुई है और साइड से किए गए टेस्ट में दस साल के बच्चे की डमी को सीने पर नुकसान हुआ।

पैदल चल रहे यात्रियों की सुरक्षा के मामले में नई स्विफ्ट का स्कोर 69 फीसदी रहा। मजबूत विंडस्क्रीन पिलर की वजह से पैदल यात्रियों को चोटें लग सकती हैं, इस मामले में बम्पर का स्कोर अच्छा रहा।

ऑप्शनल सेफ्टी किट वाली स्विफ्ट

स्टैंडर्ड किट वाले फीचर के अलावा इस में रडार ब्रेक सपोर्ट को भी शामिल किया गया है, इस में ऑटोमैटिक इमरजेंसी ब्रेकिंग (एईबी) के साथ सिटी और इंटर-अर्बन ड्राइव मोड दिए गए हैं, सुरक्षा के मामले इसे 4 में 4-स्टार रेटिंग मिली।

निष्कर्ष

फुल स्टार सेफ्टी रेटिंग पाने के पीछे एईबी टेक्नोलॉजी की अहम भूमिका रही है, 5 से 210 किमी प्रति घंटा की स्पीड के दौरान यह सिस्टम काम करता है, व्यस्क पैसेंजर सुरक्षा के लिए इसका स्कोर 88 फीसदी रहा। यूरो एनसीएपी के अनुसार रडार ब्रेक, सिटी में कार की स्पीड को कम रखता है, टेस्ट में इसका प्रदर्शन अच्छा रहा।

हालांकि चाइल्ड पैसेंजर और पैदल यात्रियों की सुरक्षा की बात करें तो यहां एईबी की कोई अहम भूमिका नज़र नहीं आई, इस मामले में इसका प्रदर्शन 25 फीसदी और 44 फीसदी रहा। सुज़ुकी ने इस में ड्राइवर-सेट स्पीड लिमिटर्स का विकल्प भी दिया है, लेकिन टेस्ट हुई कार में यह फीचर नहीं लगा था। उम्मीद है कि इससे कार का स्कोर बेहतर हो सकता था।

कुछ समय पहले निसान माइक्रा, मारूति इग्निस और फोर्ड फीगो का भी यूरो एनसीएपी ने क्रैश टेस्ट किया था, जिस में माइक्रा के स्टैंडर्ड वर्जन को 4-स्टार रेटिंग और सेफ्टी पैक वर्जन को 5-स्टार रेटिंग मिली थी। इसी तरह इग्निस के स्टैंडर्ड किट वर्जन को 3-स्टार और सेफ्टी पैक वर्जन को 5-स्टार रेटिंग मिली थी, फीगो को 3-स्टार रेटिंग मिली थी।

क्रैश टेस्ट के नतीजे कार खरीदने के निर्णय पर काफी अहम प्रभाव डालते हैं, बात करें भारतीय कार बाजार की तो यहां पैसेंजर सुरक्षा को लेकर भारत सरकार भी इन दिनों काफी सक्रिय हो गई है, इसी साल अक्टूबर महीने से कारों के लिए नए सेफ्टी नियम लागू होने जा रहे हैं, जिसके परिणाम स्वरूप कंपनियों को विदेशी बाजारों की तरह भारतीय ग्राहकों के लिए भी सुरक्षित कारें बनानी होंगी।

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