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मारुति सुजुकी एस-प्रेसो : फर्स्ट ड्राइव रिव्यू

Published On अक्टूबर 17, 2019 By nikhil for मारुति एस-प्रेसो
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मारुति ने अपनी इस लेटेस्ट कार की प्राइस कॉफ़ी के एक प्रकार के नाम पर रखा है, जिसका उपयोग अधिकांश भारतीय नहीं करते हैं। कुछ उसी प्रकार एस-प्रेसो कार भी मारुति की अन्य कारों से कुछ हटकर है। यह पहली बार है जब मारुति ने इस प्रकार की कोई कार उतारी है। हालांकि, रेनो इंडिया क्विड के साथ कई सालों पहले ही इस सेगमेंट में कदम रख चुकी है और बेहद सफल भी रही।

एक्सटीरियर

मारुति सुजुकी अपनी इस कार को मिनी-एसयूवी कहती है। लेकिन हम इस बात से पूरी तरह सहमत नहीं है। इस बात में कोई शक नहीं की इसमें किसी एसयूवी कार की तरह 180 मिलीमीटर का ऊंचा ग्राउंड क्लेअरन्स और टाल-बॉय स्टान्स मिलता है। मगर, यह विटार ब्रेज़ा जैसी एसयूवी के छोटे वर्ज़न की बजाएं ऑल्टो का उठा हुआ मॉडल ज्यादा लगता है। हालांकि, कंपनी ने इसमें कई एलिमेंट विटारा ब्रेज़ा से कुछ मिलते-जुलते दिए हैं।

बात की जाए एस-परेसो के फ्रंट डिज़ाइन की तो, इसके चौकोर हेडलैम्प्स, टूथ ग्रिल और बड़ा बम्पर आपको ब्रेज़ा की थोड़ी याद दिलाएंगे। इसका लम्बा और सपाट बोनट और ए-पिलर के तीखे एंगल जैसे एलिमेंट्स इसे कुछ हद तक एसयूवी जैसा लुक देते हैं। यह छोटी और ऊँची कार है और शायद एक नज़र में सबको पसंद ना आए। इसमें ड्यूल-टोन बंपर्स मिलते हैं। आश्चर्य की बात है कि इसमें फॉगलैम्प जैसे बेसिक फीचर की कमी है। फॉग लैंप की जगह एस-प्रेसो में ऑफिशियल एक्सेसरीज के रूप में डे-टाइम रनिंग लैंप मिलते है।

साइड से देखने पर एस-प्रेसो में अलॉय व्हील की कमी खलती है। गौरतलब है कि कंपनी ने इसके टॉप वेरिएंट में भी अलॉय व्हील की पेशकश नहीं की है। इसके फेंडर्स पर मिलने वाले छोटे टर्न इंडीकेटर्स 20-साल पुरानी मारुति जेन से लिए गए हैं जो मारुति की डिजाइनिंग पर कुछ सवाल तो जरूर खड़ा करते हैं। इसमें डोर काफी बड़े हैं जो एक अच्छी बात है। लेकिन इसमें साइड क्लैडिंग और व्हील आर्च क्लैडिंग की कमी है। यदि इसमें ये दोनों चीज़े होती तो शायद एस-प्रेसो और ज्यादा आकर्षक होती। हालांकि, मारुति ने कार की प्राइसिंग को कम से कम रखने के लिए इन फीचर्स को पेश नहीं किया है। लेकिन इच्छुक ग्राहक क्लैडिंग और अलॉय व्हील्स को एक्सेसरीज के रूप में मारुति से लगवा सकते हैं। ग्राहकों को अलॉय व्हील्स, डीआरएल और क्लैडिंग एक्सेसरीज के लिए लगभग 40,000 रुपये अधिक चुकाने होंगे।

एस-प्रेसो की रियर डिज़ाइन भी काफी सिंपल है। इसमें भी फ्रंट की तरह ऊँचा ड्यूल टोन बम्पर मिलता है। इसकी टेललैंप में एलईडी एलिमेंट्स दिए गए हैं। कार का बूट गेट के बाएं निचले हिस्से पर 'एस-प्रेसो' की बैजिंग दी गई है। यदि यह बैजिंग बूटगेट के सेंटर में होती तो और अच्छा लगता। इसके अलावा, इस पर वेरिएंट बैजिंग नहीं दी गई है।

साइज के लिहाज़ से एस-प्रेसो ऑल्टो से बड़ी है। यह अपने सेगमेंट में भी सबसे ऊंची कार है। लेकिन अन्य मामलों में रेनो क्विड एस-प्रेसो से आगे है।

साइज (मिलीमीटर में)

मारुति एस-प्रेसो

रेनो क्विड

डैटसन रेडी-गो

लंबाई

3665

3731

3429

चौड़ाई

1520

1579

1560

ऊंचाई

1564

1490

1541

व्हीलबेस

2380

2422

2348

इंटीरियर

एस-प्रेसो के डोर काफी चौड़े खुलते हैं जिससे कार में बैठना और उतरना आसान है। वहीं, ऑल्टो और क्विड में बैठने के लिए आपको ज्यादा झुकना पड़ता है। कार में बैठते ही इसका सर्कुलर एलिमेंट्स वाला स्पोर्टी डैशबोर्ड आपका ध्यान अपनी ओर खींचने में कामयाब होता है। इसके डैशबोर्ड के सेंटर में डिजिटल इंस्ट्रूमेंट क्लस्टर दिया गया है। इंस्ट्रुंनेट क्लस्टर के नीचे वैगनआर वाला टचस्क्रीन इंफोटेनमेंट सिस्टम दिया गया है। इसके नीचे हजार्ड लैंप और फ्रंट पावर विंडो के स्विच दिए गए हैं। इस पूरे सेटअप के चारों ओर सर्कल दिया गया है जो मिनी कूपर कार की याद दिलाता है। यह सर्कल ऑरेंज एक्सटीरियर कलर के ऑरेंज कलर में आता है। वहीं, कोई अन्य एक्सटीरियर पेंट के साथ यह सर्कल सिल्वर कलर में आता है। इंटीरियर के प्लास्टिक की क्वालिटी और फिटिंग-फिनिशिंग इस सेगमेंट के हिसाब से अच्छी है।

एस-प्रेसो की एक बात जो हमे बेहद अच्छी लगी वह ये कि छोटे साइज के होने के बावजूद भी इसमें अच्छा केबिन स्पेस मिलता है। यह छोटी फॅमिली के लिए एक अच्छी कार साबित होती सकती है। इसमें 6 फ़ीट के चार वयस्क लोग आसानी से बैठ सकते हैं। पांचवें पैसेंजर के तौर पर इसमें एक अवयस्क/बच्चा ही कम्फर्टेबल तरीके से बैठे सकेगा। एस-प्रेसो की चौड़ाई क्विड से 60 मिलीमीटर कम है लेकिन इसमें क्विड से अच्छा शोल्डर स्पेस मिलता है। फ्रंट में आप देखेंगे कि मारुति ने पावर विंडो के बटनों को डैशबोर्ड पर पोज़िशन किया है। साथ ही, डोर पैड को भी सकड़ा बनाया है जिससे फ्रंट में भी अच्छी चौड़ाई मिल पाती है। इसके अलावा, एस-प्रेसो में पर्याप्त मात्रा में हेडरूम भी मिलता है। लेकिन 6 फ़ीट से ज्यादा बड़े पैसेंजर/ड्राइवर को थोड़ी सी परेशानी हो सकती है क्योँकि इसकी फ्रंट सीट्स को थोड़ा उठा हुआ बनाया गया है। गौरतबल है कि ऑल्टो में एस-प्रेसो से ज्यादा हेडरूम मिलता है।

फ्रंट सीट्स

एस-प्रेसो

क्विड

ऑल्टो

हेडरूम

980 मिलीमीटर

950 मिलीमीटर

1020 मिलीमीटर

केबिन की चौड़ाई

1220 मिलीमीटर

1145 मिलीमीटर

1220 मिलीमीटर

नी-रूम (न्यूनतम)

590 मिलीमीटर

590 मिलीमीटर

610 मिलीमीटर

नी-रूम (अधिकतम)

800 मिलीमीटर

760 मिलीमीटर

780 मिलीमीटर

सीट बेस की लंबाई

475 मिलीमीटर

470 मिलीमीटर

-

बैकरेस्ट की ऊंचाई

660 मिलीमीटर

585 मिलीमीटर

640 मिलीमीटर

मारुति एस-प्रेसो में फैब्रिक सीटें दी गई है जो बेहद सॉफ्ट और सिटी राइड के लिए कम्फर्टेबल है। हालांकि, लंबी दूरी की यात्रा में आपको थोड़ा डिसकम्फर्ट अनुभव हो सकता है। इसके अलावा, एस-प्रेसो की सीटों की लंबाई भी थोड़ी ज्यादा होनी चाहिए थी। इसमें एडजस्टेबल हेडरेस्ट की भी कमी है। लेकिन इसके फिक्स-हेडरेस्ट गर्दन और सिर को अच्छा सपोर्ट देते है।

केबिन स्टोरेज स्पेस की बात करे तो, एस-प्रेसो के फ्रंट में पर्याप्त स्पेस मिलता है। इसके डैशबोर्ड पर एक छोटा ग्लव बॉक्स, एक ओपन स्टोरेज स्पेस, 1-लीटर बोतल व कुछ अन्य छोटी-मोटी चीज़ें रखने के लिए डोर पर स्टोरेज, सेंटर कंसोल पर दो कप होल्डर और ड्राइवर नी-साइड छोटा स्टोरेज मिलता हैं। रियर पैसेंजर के लिए सेंटर कंसोल टनल के अंतिम छोर पर एक छोटा स्पेस मिलता है। इसके अलावा, रियर पैसेंजर के लिए डोर होल्डर या सीटबैक पॉकेट जैसी सुविधाओं की कमी है।

मारुति एस-प्रेसो की पिछली सीटों पर क्विड और ऑल्टो से अच्छा नी-रूम मिलता है। साथ ही इन सीटों पर 6 फ़ीट से ज्यादा ऊंचाई वाले पैसेंजर को भी पर्याप्त हेडरूम मिलता है। केवल एक कमी जो यहां खलती है वह ये कि फ्रंट की तरह इसकी पिछली सीटों पर भी फिक्स हेडरेस्ट मिलते हैं जो लम्बे व्यक्ति की गर्दन को उतना अच्छा सपोर्ट नहीं देते हैं।

रियर सीट

मारुति एस-प्रेसो

रेनो क्विड

मारुति ऑल्टो

हेडरूम

920 मिलीमीटर

900 मिलीमीटर

920 मिलीमीटर

शोल्डर रूम

1200 मिलीमीटर

1195 मिलीमीटर

1170 मिलीमीटर

नी-रूम (न्यूनतम)

670 मिलीमीटर

595 मिलीमीटर

550 मिलीमीटर

नी-रूम (अधिकतम)

910 मिलीमीटर

750 मिलीमीटर

750 मिलीमीटर

आइडियल नी-रूम*

710 मिलीमीटर

610 मिलीमीटर

600 मिलीमीटर

सीट बेस की लंबाई

455 मिलीमीटर

460 मिलीमीटर

480 मिलीमीटर

बैकरेस्ट की ऊंचाई

550 मिलीमीटर

575 मिलीमीटर

510 मिलीमीटर

*फ्रंट सीट को 5'8" से 6' के पैसेंजर/ड्राइवर के अनुसार एडजस्ट करने पर।

कुल मिलकर एस-प्रेसो में 5-सीटर की जगह 4-सीटर कार कहना सही होगा। क्योंकि इसमें चार वयस्क लोग कम्फर्टेबल होकर बैठ सकेंगे। रियर सीट पर तीन वयस्क लोगो को तंग होकर बैठना पड़ेगा।

मारुति एस-प्रेसो में 270-लीटर का बूटस्पेस मिलता है। इसमें दो मध्यम आकार के सूटकेस के अलावा कई अन्य छोटे मोटे समान या बैग को भी एक साथ रखा जा सकेगा।

टेक्नोलॉजी और फीचर्स

मारुति एस-प्रेसो के टॉप वेरिएंट में मैनुअल एसी, फ्रंट पावर विंडो, पावर स्टीयरिंग, स्टीयरिंग माउंटेड ऑडियो और टेलीफोनी कंट्रोल्स, 7-इंच का टचस्क्रीन इंफोटेनमेंट सिस्टम, एंड्रॉयड ऑटो और एप्पल कारप्ले कनेक्टिविटी का फीचर मिलता है। रेनो क्विड की तुलना में इसमें रिवर्स कैमरा, रियर पावर विंडो और रियर चार्जिंग सॉकेट जैसे फीचर्स की कमी है। कार का इंफोटेनमेंट सिस्टम का टच अच्छा है और इसे इस्तमाल करना भी आसान है। हालाँकि एंड्रॉइड ऑटो के माध्यम से फोन को कनेक्ट करने में काफी समय लेता है।

इसके फ्रंट में (डोर पर) दो स्पीकर्स दिए हैं जिनकी साउंड क्वालिटी शानदार है। इसके रियर डोर पर स्पीकर फिट करने के लिए कोई स्लॉट नहीं दिया गया है। ऐसे में आफ्टरमार्केट जो लोग कार में अतिरिक्त स्पीकर लगवाना चाहते हैं उन्हें रियर पार्सल ट्रे का इस्तमाल करना होगा।

एस-प्रेसो में मिलने वाला मैनुअल एसी काफी अच्छे से काम करता है और बेहद कम समय में केबिन को ठंडा कर देता है। हमारे अनुसार यह किसी अन्य छोटी कार में मिलने वाले एयर कंडीशन सिस्टम से कही बेहतर है। हमने एस-प्रेसो को जोधपुर (राजस्थान) के तपते और उमस से भरे मौसम में टेस्ट किया लेकिन उसके बावजूद भी कार को केबिन चिल्ड़ करने में कोई समस्या नहीं हुई।

जैसा कि हमने पहले भी बताया एस-प्रेसो में स्पीडोमीटर, ओडोमीटर व फ्यूल गेज आदि डैशबोर्ड के सेंटर में मिलते हैं। ऐसे में जिन लोगो के पास कोई और कार भी है उन्हें एस-प्रेसो के इस सेटअप के साथ एडजस्ट होने में थोड़ा समय लग सकता है। हालांकि यदि किसी के पास पहले ही टोयोटा इटिऑस, शेवरले स्पार्क, टाटा इंडिका विस्टा या मांजा में से कोई कार है तो उन्हें ज्यादा परेशानी नहीं होगी क्योंकि इन कारों में भी सेंट्रली-माउंटेड इंस्ट्रूमेंट क्लस्टर मिलता है/था। एस-प्रेसो में टेको मीटर नहीं दिया गया है।

हमारे अनुसार एस-प्रेसो को टेक्निकल और फीचर्स पॉइंट पर और बेहतर बनना चाहिए था। अगर मारुति अपनी इस कार में डे/नाईट मिरर, इलेक्ट्रिक ओ.आर.वी.एम. (आउटसाइड रियर व्यू मिरर), रियर वाइपर/वॉशर और रियर डिफॉगर, हाइट एडजस्टेबल ड्राइवर सीट और टिल्ट एडजस्टेबल स्टीयरिंग व्हील जैसे बेसिक फीचर्स और जोड़ देती तो कार की प्रैक्टिकल अप्रोच बढ़ जाती।

परफॉर्मेंस

एस-प्रेसो में ऑल्टो के10 और वैगनआर वाला 1.0-लीटर, 3-सिलेंडर इंजन दिया गया है जो 5500आरपीएम पर 68पीएस की पावर और 3500आरपीएम पर 90एनएम का टॉर्क जनरेट करता है। मारुति ने इंजन से पैदा होने वाले वाइब्रेशन को काफी हद तक कंट्रोल किया है। लेकिन गलत गियर पर गलत स्पीड से कार चलने पर आपको जरूर केबिन में वाइब्रेशन महसूस होंगे।

मारुति ने अपने इस जाने-माने इंजन को बीएस6 उत्सर्जन मानकों पर अपग्रेड कर पेश किया है। हालांकि, इन सख्त उत्सर्जन नॉर्म्स पर अपडेट होने के बावजूद भी इसकी परफॉर्मेंस में कोई अंतर नहीं आया है। यह शहर में शानदार प्रदर्शन करता है और दूसरे-तीसरे गियर में भी आप आसानी से सिटी ड्राइविंग कर सकते हैं।

हाईवे पर, यह इंजन 80 से 100 किमी/घंटा की स्पीड आराम से पकड़ लेती है और तीन अंकों वाली स्पीड पर भी कार स्टेबल महसूस होती है। हालांकि, इसके सस्पेंशन को स्टिफ (हार्ड) रखा गया है लेकिन फिर भी कार की ज्यादा ऊंचाई के चलते हाई स्पीड पर बॉडी रोल होता है। ऐसे में तेज़ स्पीड पर ओवरटेक न करें।

मैनुअल गियरबॉक्स से आपको कोई ख़ासा शिकायत नहीं होगी। हालांकि इसका गियर ट्रेवल थोड़ा ज्यादा है। बात करें एएमटी गियरबॉक्स की तो, इसकी परफॉर्मेंस सैंट्रो और क्विड की तुलना में अच्छी है। चूँकि यह ऑटोमैटिक गियरशिफ्ट करता है तो आपको बार-बार गियरबदलने और क्लच के इस्तमाल से राहत मिलती है। यह स्मूथ तरीके से ऑटोमैटिक गियर शिफ्टिंग करता है। हालांकि, पूरी तरह से आपको गियरशिफ्टिंग का पता नहीं चलेगा ऐसा भी नहीं है। साथ ही ओवरटेक के दौरान यह डाउनशिफ्टिंग में एक-दो सेकण्ड्स का टाइम भी लेता है।

राइड और हैंडलिंग

एस-प्रेसों शहर में बेहद अच्छी राइड क्वालिटी और हैंडलिंग देती है। केबिन से रोड और आस-पास का अच्छा व्यू (विजिबिलिटी) मिलती है। कार के छोटे साइज लेकिन ज्यादा ऊंचाई और ग्राउंड क्लीयरेंस के चलते यह आसानी से स्पीड ब्रेकर्स या रोड की अन्य बाधाओं को पार कर लेती है और बिना गियर बदले आप वापस रेव कर सकते हैं। कार को छोटे तंग इलाको से भी निकालना आसान है। हालांकि, इसमें पतले टायर्स मिलते हैं जिसके चलते रोड पर इनकी पकड़ उतनी ज्यादा मजबूत नहीं होती। इसलिए हाई-स्पीड पर ब्रेकिंग न करें। इसके अलावा, जैसा की हमने भी बताया गाड़ी के सस्पेंशन को थोड़ा स्टिफ रखा गया है जिससे सिटी स्पीड पर राइड थोड़ी बाउंसी लगती है। लेकिन थोड़ी तेज़ स्पीड पर केबिन के अंदर बंप्स का पता नहीं चलता है।

तीन अंकों की स्पीड पर भी कार सीधी रोड पर स्टेबल रहती है। लेकिन पतले टायर्स और बॉडी रोल के चलते तेज़ स्पीड पर शार्प टर्निंग या ओवरटेकिंग को भी अनदेखा करें।

सेफ्टी

मारुति की इस माइक्रो-एसयूवी के सभी वेरिएंट्स में ड्राइवर साइड एयरबैग, एंटीलॉक ब्रेकिंग सिस्ट (एबीएस), इलेक्ट्रॉनिक ब्रेकफोर्स डिस्ट्रीब्यूशन (ईबीडी), रिवर्स पार्किंग सेंसर, फ्रंट सीटबेल्ट रिमाइंडर और हाई स्पीड अलर्ट सिस्टम जैसे फीचर्स मिलते हैं। वहीं, वीएक्सआई+ वेरिएंट में पैसेंजर साइड एयरबैग अतिरिक्त मिलता है। हालांकि, अन्य वेरिएंट्स में भी पैसेंजर साइड एयरबैग का ऑप्शन मिलता है लेकिन इसके लिए ग्राहकों को 6,000 रुपये की अतिरिक्त राशि चुकानी होगी। हम आपको सलाह देंगे की आप पैसेंजर साइड एयरबैग का ऑप्शन जरूर चुनें।

एस-प्रेसो को क्रैश टेस्ट नॉर्म्स के अनुसार तैयार किया गया है। हालांकि, एनकैप द्वारा अब तक इसका क्रैश टेस्ट नहीं किया गया है।

वेरिएंट

मारुति एस-प्रेसो कुल तीन वैरिएंट: एलएक्सआई, वीएक्सआई और वीएक्सआई+ में उपलब्ध है। इसके टॉप वेरिएंट - वीएक्सआई+ को छोड़कर अन्य सभी वेरिएंट ऑप्शन (ओ) सब-वेरिएंट में भी आते हैं। इन ऑप्शनल वेरिएंट के साथ पैसेंजर एयरबैग और फ्रंट सीटबेल्ट्स में प्रीटेशनर व फ़ोर्स लिमिटर जैसे सेफ्टी फीचर अतिरिक्त मिलते हैं।

आपको बता दें कि एस-प्रेसो के बेस वेरिएंट - एलएक्सआई में फ्रंट पावर विंडो, पावर स्टीयरिंग और एसी जैसे बेसिक फीचर्स की कमी है। ऐसे में आप इस वेरिएंट को भूल ही जाएं तो बेहतर है। यदि आपका बजट कम है तो आप एलएक्सआई (ओ) वेरिएंट ले सकते हैं इसमें ऊपर बताए गए अतिरिक्त सेफ्टी फीचर्स के अलावा एसी और पावर स्टीयरिंग भी मिल जाता है। इसके अलावा, वीएक्सआई (ओ) और वीएक्सआई+ में से हम आपको अपना बजट थोड़ा बढ़ाकर वीएक्सआई+ लेने की सलाह देंगे क्योंकि इसमें इंटरनली एडजस्टेबल आउटसाइड रियर व्यू मिरर (ओआरवीएम), टचस्क्रीन इंफोटेनमेंट सिस्टम और स्टीयरिंग माउंटेड ऑडियो कंट्रोल जैसे फीचर्स भी मिलते हैं।

निष्कर्ष

क्या मारुति एस-प्रेसो छोटी सिटी कार की परिभाषा को नई पहचान देती हैं? पूरी तरह से नहीं। हाँ, लेकिन यह एक सस्ती हैचबैक कार से हर मामले में बेहतर साबित होती है। यह एंट्री-लेवल सेगमेंट में सबसे ज्यादा स्पेशियस कार है। कार का बूट भी छोटी फॅमिली के लिए पर्याप्त है। यह पूरा पैकेज मारुति के भरोसेमंद 1.0-लीटर पेट्रोल इंजन के साथ आता है जिसकी परफॉरमेंस बेहद अच्छी है। इंजन के साथ एएमटी गियरबॉक्स का भी ऑप्शन मिलता है जो आपको बार-बार गियर बदलने के झंझट से आजादी देता है। हमारे अनुसार पहली बार कार खरीदने वालो के लिए मारुति एस-प्रेसो एक अच्छा विकल्प है।

हालांकि, एस-प्रेसो की डिज़ाइन उस प्रकार की नहीं है जिसे सब पसंद कर सकें। इस मामले में एस-प्रेसो के मुकाबले वाली रेनो क्विड कहीं आगे है। इसके अलावा, फीचर्स और प्राइसिंग के मोर्चे पर भी रेनो क्विड ज्यादा वैल्यू-फॉर-मनी लगती है। इसके अलावा एस-प्रेसो ना खरीदने का एक और कारण मारुति वैगनआर है। क्योंकि मारुति एस-प्रेसो 3.69 लाख से 4.91 लाख रुपये (एक्स-शोरूम दिल्ली) की प्राइस रेंज में उपलब्ध है। इस लिहाज़ से इसकी कीमत मारुति वैगनआर के काफी करीब है। ग्राहक अपने बजट को 50 से 70 हज़ार रुपये और बढ़ाकर (यानि मासिक ईएमआई में 1000-1500 रुपये का इज़ाफ़ा) एस-प्रेसो से बड़ी और बेहतर कार के रूप में वैगनआर ले सकते हैं।

मारुति एस-प्रेसो

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पेट्रोल24.76 किमी/लीटर
सीएनजी32.73 किलोमीटर/ किलोग्राम
ट्रांसमिशनमैनुअल/ऑटोमेटिक
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nikhil

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S
sass
Nov 3, 2020, 6:28:46 PM

Prices for the S-Presso (between Rs 3.69 lakh to Rs 4.91 lakh) are dangerously close to that of its elder sibling. If you’re willing to stretch by Rs 50,000 - Rs 70,000 - Which are other better option

S
sandeep sah
Oct 7, 2019, 9:46:23 AM

If I pay 1.5 then what will be EMI for 5yr

नई दिल्ली में *एक्स-शोरूम कीमत