कोरोना के कारण अब ऑटो इंडस्ट्री पर नए तरह का आया संकट,कारों का बढ़ सकता है वेटिंग पीरियड

प्रकाशित: मई 26, 2021 07:41 pm । भानु

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कोरोना महामारी की दूसरी लहर के कारण जहां पहले ही जन जीवन पूरी तरह से प्रभावित हो चुका है वहीं ऑटो सेक्टर भी इससे अछूता नहीं है। हाल ही में तमिलनाडू के विभिन्न ऑटोमोटिव्स ब्रांड के वर्कर्स ने बीमारी फैलने की चिंता जताते हुए कुछ मांगे उठाई है। साथ ही वर्कर्स ने ये भी कहा है कि यदि उनकी मांगे नहीं मानी जाती है तो फिर वो हड़ताल पर चले जाएंगे। ऐसे में माना जा रहा है कि कंपनियों को मजबूरन या तो अपना कामकाज बंद करना पड़ेगा या फिर उन्हें शिफ्ट्स कम करनी पड़ेंगी। 

बता दें कि तमिलनाडू राज्य में हुंडई और रेनो निसान के की मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स मौजूद हैं। अभी तमिलनाडू में इस महामारी का प्रकोप काफी चिंताजनक है जिसके कारण यहां लॉकडाउन लगा हुआ है। हालांकि यहां ऑटो इंडस्ट्री को कुछ छूट देकर कामकाज करने की अनुमति मिली हुई है। जहां कंपनियों पर तय समय में अपने प्रोडक्ट्स तैयार करने का दबाव है तो वहीं वर्कर्स को मौजूदा हालातों में काम करते हुए बीमारी फैलने का डर सता रहा है। 

यदि कंपनियां शिफ्ट्स की संख्या घटा देती है या फिर प्रोडक्शन को कुछ समय के लिए रोक देती है तो कार इंडस्ट्री को बाद में इसके परिणाम भुगतने पड़ेंगे। वैसे भी इस महामारी के कारण भारत में काफी पॉपुलर मॉडल्स पर लंबा वेटिंग पीरियड चल रहा है जिसके कारण कई ग्राहकों ने तो अपनी बुकिंग्स तक कैंसिल करा दी है। 

Renault Kiger Vs Nissan Magnite

कोरोना महामारी की दूसरी लहर से ठीक पहले लॉन्च हुई रेनो काइगर और निसान मैग्नाइट जैसी कारों पर इस वक्त 4 महीने का वेटिंग पीरियड दिया जा रहा है। ऐसे में यदि अभी इनका प्रोडक्शन कुछ समय के लिए और रोक दिया गया तो फिर ये वेटिंग पीरियड और भी ज्यादा बढ़ सकता है। दूसरी तरफ हुंडई अपनी अपकमिंग 7 सीटर एसयूवी अल्कजार की लॉन्चिंग को पहले ही टाल चुकी है। ​तमिलनाडू राज्य की गाइडलाइन के अनुसार फिलहाल कंपनी ने 31 मई तक अपना प्रोडक्शन रोक रखा है और लॉकडाउन खुलने के बाद हो सकता है कि फैक्ट्रियों में केवल एक शिफ्ट में ही कामकाज शुरू किया जाए। इस तरह से फिर वेन्यू,क्रेटा,ग्रैंड आई10 निओस और आई20 जैसे पॉपुलर हुंडई ब्रांड्स पर वेटिंग पीरियड और भी ज्यादा बढ़ने की आशंका है। 

Hyundai Alcazar

वैसे भारत में लगभग सभी कार मैन्युफैक्चरर्स को अपने वर्कर्स के स्वास्थय को ध्यान में रखते हुए कुछ कठिन फैसले लेने पर मजबूर होना पड़ सकता है। लेकिन चिंता का विषय ये है कि इसके कुछ नकारात्मक परिणाम पूरी ऑटो इंडस्ट्री को बाद में देखने को मिल सकते हैं। 

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