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    ट्रैफिक सिग्नल से बात करेंगी ऑडी कारें, पहले ही बता देंगी कब ग्रीन होगी रेड लाइट

    प्रकाशित: दिसंबर 08, 2016 04:20 pm । akas

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    सड़कों पर गाड़ियों की लंबी कतारें, सामने खड़े एक खंभे को निहारती निगाहें... और सभी लोगों की एक सी बेचैनी... यार… कब ये रेड लाइट, हरी होगी और हमें आगे बढ़ने का ग्रीन सिग्नल मिलेगा। दुनिया भर के व्यस्तम शहरों की सड़कों का यह आम नज़ारा है लेकिन अब जर्मन कार कंपनी ऑडी की नई टेक्नोलॉज़ी इस स्थिति को बदलने वाली है...

    अब ऑडी कारें ट्रैफिक सिग्नल पर पहुंचने से पहले ही ड्राइवर को बता देंगी कि ट्रैफिक को थामकर रखने वाली रेड लाइट कब ग्रीन होने वाली है। दरअसल ऑडी अपनी कारों में इसी महीने से ट्रैफिक लाइट इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉज़ी का इस्तेमाल करने वाली है। इस टेक्नोलॉज़ी के जरिये ऑडी की कारें ट्रैफिक सिग्नलों से संपर्क कर सकेंगी और ड्राइवर को ट्रैफिक लाइट के रेड या ग्रीन होने की जानकारी पहले ही दे पाएंगी।

    हालांकि इस टेक्नोलॉज़ी को फिलहाल अमेरिका के लॉस वेगास में इस्तेमाल किया जाएगा, अगले साल तक यह सुविधा कई और अमेरिकी शहरों में उपलब्ध हो जाएगी। इसके लिए वहां के ट्रैफिक सिग्नलों को भी अपग्रेड किया जा रहा है।

    अमेरिका में ये टेक्नोलॉज़ी 01 जून 2016 के बाद बनी ऑडी ए4, ए4 ऑलरोड और क्यू7 में मिलेगी। इन कारों में 4जी एलटीई डाटा कनेक्शन वाली डिवाइस लगी होगी। ऑडी ओनर्स को इसके लिए स्ट्रीमिंग सर्विस पैकेज़ लेना होगा, इस के जरिये कंपनी सीधे उनके इंस्ट्रूमेंट क्लस्टर या हैड-अप डिस्प्ले यूनिट पर आगे आने वाले ट्रैफिक सिग्नल की जानकारी भेजेगी। ऑडी की यह टेक्नोलॉज़ी एडवांस ट्रैफिक मैनेज़मेंट सिस्टम के साथ मिलकर मॉनिटरिंग करेगी।

    इस टेक्नोलॉज़ी के अलावा ऑडी की योजना भविष्य में एडवांस ट्रैफिक मैनेज़मेंट सिस्टम को नेविगेशन सिस्टम से जोड़ने की भी है। इस का फायदा ये होगा कि नेविगेशन आपको ज्यादा से ज्यादा ग्रीन लाइट वाले रास्तों पर लेकर जाएगा। कार को कम से कम रुकना पड़ेगा।

    इस इंटरेक्टिव टेक्नोलॉज़ी का श्रेय लॉस वेगास में इस्तेमाल होने वाले व्हीकल टू इंफ्रास्ट्रक्चर (वी2आई) सिस्टम को भी जाता है। वी2आई सिस्टम किसी भी वाहन को आस-पास के इंफ्रास्ट्रक्चर से जोड़ने और उसकी जानकारी देने में मदद करता है। ऑडी पहली कार कंपनी है जो वी2आई टेक्नोलॉज़ी को पब्लिक इस्तेमाल के लिए ला रही है। भारत की बात करें तो यहां अभी इस तरह की टेक्नोलॉज़ी का इस्तेमाल आसान नहीं है, इसके लिए बड़े स्तर पर बदलाव की जरुरत है।

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