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    70 साल पहले इन्हीं दिनों आई थी दुनिया की सबसे चहेती कार बीटल

    प्रकाशित: दिसंबर 30, 2015 07:32 pm । रौनक

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    दुनिया में धूम मचाने वाली फॉक्सवेगन बीटल के नाम से शायद ही कोई अनजान होगा। 'आम आदमी की कार' के नाम से मशहूर  इस जर्मन कार ने दुनिया में जितना नाम कमाया है, उतनी लोकप्रियता शायद ही किसी और कार के खाते में दर्ज हो। साल का यह गुजरता वक्त वही समय है जब 70 साल पहले पहली बीटल कार फैक्ट्री में तैयार हुई थी।

    जर्मनी के वूल्फ्सबर्ग में फॉक्सवेगन की फैक्ट्री से दिसंबर 1945 में पहली बीटल बनकर तैयार हुई थी। क्रिसमस के दौरान कार का निर्माण शुरू हुआ था और साल 1945 गुजरते-गुजरते कंपनी केवल 55 बीटल कारें ही बना पाई थी। बीटल के इतिहास में एक वक्त ऐसा भी आया था जब कच्चे माल की कमी के चलते कंपनी को इसका निर्माण घटाना पड़ा और हर महीने बनने वाली कारों की संख्या को 1000 यूनिट पर सीमित करना पड़ा।

    यह भी पढ़ें: आ गई फॉक्सवेगन की नई बीटल, शुरुआती कीमत 28.73 लाख रूपए

    फॉक्सवेगन की कॉरपोरेट हिस्ट्री डिपार्टमेंट के प्रमुख डॉ. मैनफ्रेड ग्रेगर बताते हैं कि ‘उस वक्त फॉक्सवेगन काफी भाग्यशाली रही क्योंकि तब की ब्रिटिश मिलिट्री सरकार को यह गाड़ी काफी पसंद आई थी। यह कार उनकी उम्मीदों पर खरी उतरी थी और इसने अपनी ड्यूटी काफी अच्छे तरीके से निभाई थी। इन सबके बीच एक और नाम है जिसने बीटल की सफलता की नींव रखी थी वो हैं इवान हर्स्ट। इवान के हाथों में फैक्ट्री की कमान थी। वह बहुत ही व्यवहारिक और लक्ष्यों के प्रति समर्पित आदमी थे। हर्स्ट को पता था कि फॉक्सवेगन की इस कार में क्या खासियत छुपी है। अपनी लगन से उन्होंने इसे हकीकत में बदला और बीटल को सड़क पर उतारा। इसी का नतीजा है कि जिसे सबसे खारिज़ किया वह दुनिया के कार बाजार में सबसे सफल कार बनीं।’

    दरअसल बीटल को यह नाम दूसरे विश्व युद्ध के बाद मिला था। इस कार को तैयार करने का विचार हिटलर की देन था। हिटलर ने इंजीनियरों को एक ऐसी कार तैयार करने को कहा था जिसमें पांच लोग बैठ सकें, वह सौ किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चले और इसकी कीमत आम जर्मन परिवार की आमदनी के मुताबिक ही हो। दूसरे विश्व युद्ध से पहले ऐसी 630 कारें बनी थीं जिन्हें 'केडीएफ वेगन' कहा गया। दूसरे विश्व युद्ध के बाद यही कार बीटल कहलायी।

    जहां यह कार तैयार की गई, उस जगह पर मौजूद कारखानों में पहले  युद्ध से जुड़ा साज़ो-सामान और हथियार बनते थे। 11 अप्रैल, 1945 में उस जगह पर अमेरिकी सेना ने कब्जा कर लिया। दो महीने बाद जून में अमेरिकी सेना ने यह जगह ब्रिटिश मिलिट्री गवर्नमेंट को सौंप दी। इसके बाद 1949 में यहां मौजूद फॉक्सवेगन वर्क फैक्ट्री को वापस जर्मनी को सौंप दिया गया।

    फॉक्सवेगन के मुताबिक 1948 में हुए मुद्रा सुधार (करेंसी रिफॉर्म) के बाद बीटल की मांग बढ़ी और कार की बिक्री ने रफ्तार पकड़ ली। यह फर्स्ट जेनरेशन बीटल थी। साल 2003 में मेक्सिको के प्यूबला स्थित फैक्ट्री में आखरी फर्स्ट जेनरेशन बीटल बनी। इस फैक्ट्री में 2.10 करोड़ बीटल कारों का निर्माण हुआ था।

    यह भी पढ़ें: फॉक्सवेगन बीटल- क्या भारत में कामयाब होगी इसकी दूसरी पारी

     

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