टेस्ला के बाद प्रीमियम व्हीकल्स पर टैक्स में छूट के लिए ऑडी ने भी उठाई मांग
प्रकाशित: नवंबर 03, 2021 03:57 pm । भानु
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जर्मन कारमेकर ऑडी इंडिया ने पीटीआई से कहा कि भारत में लग्जरी कार सेगमेंट की ग्रोथ में टैक्स की ज्यादा दरें एक बड़ी बाधा है। बता दें कि सरकार लग्जरी वाहनों पर 28 फीसदी जीएसटी के अलावा सेडान पर 20 फीसदी और एसयूवी पर 22 फीसदी सेस लगाती है। ऐसे में कुल टैक्स 50 प्रतिशत तक जाने की संभावना बन जाती है।
ऑडी इंडिया के हेड बलबीर सिंह ढिल्लों ने पीटीआई से कहा कि 'लग्जरी कार सेगमेंट का विकास नहीं होने से हम यहां अपनी क्षमताओं का पूरा इस्तेमाल नहीं कर पाए हैं। जबकि हर साल देश मेंं मास मार्केट कारें ज्यादा बिक रहीं है और लग्ज़री सेगमेंट से एक साल में 40,000 यूनिट तक ही कारें बिक पाती है और इस साल ये आंकड़ा इससे भी नीचे जा सकता है। कुल पैसेंजर व्हीकल की सेल्स में लग्जरी सेगमेंट का योगदान 2 प्रतिशत से भी कम रहा है। सरकार से हमारा सबसे बड़ा अनुरोध है कि ड्यूटीज़ को कम किया जाए। 28 प्रतिशत जीएसटी तो ज्यादा है ही साथ में सेस भी हमारे उपर एक बड़ा बोझ है।”
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भारत में ऑडी कार खरीदने के इच्छुक ग्राहक विदेशों में इन गाड़ियों की कीमत जानते हैं और यहां ज्यादा कीमत देने से हिचकिचाते हैं। ऐसे में ये कार मैन्युफैक्चरिंग कंपनी चाहती है कि सरकार टैक्स की दरों को कम करे जिनसे लग्जरी कारों की प्राइस दोगुना तक पहुंच जाती है।
इससे पहले टेस्ला, मर्सिडीज-बेंज और हुंडई जैसी कार मैन्युफैक्चरिंग कंपनियां भी हाल ही में इंपोर्ट टैक्स को लेकर इसी तरह की चिंता व्यक्त कर चुकी है। टेस्ला भारत में अपने इलेक्ट्रिक व्हीकल लॉन्च करना चाहती है मगर इससे पहले वो यहां इंपोर्ट टैक्स ड्यूटी कम कराना चाहती है। पीटीआई ने जब इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के बारे में पूछा तो ढिल्लों ने कहा कि अगर भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों का निर्माण करना है तो कंपनी को सबसे पहले अपनी मौजूदा कारों की बिक्री के ज्यादा नंबर दर्ज करने होंगे। बता दें कि ऑडी ने भारत में आईसी इंजन वाले मॉडल्स पर अच्छा खासा निवेश किया है और ये कंपनी इतने बड़े निवेश के बावजूद अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन नहीं कर पा रही है।
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