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इलेक्ट्रिक कारों के भविष्य के लिए आखिर क्यों महत्वपूर्ण है फॉर्मूला-ई, जानिए यहां

संशोधित: फरवरी 15, 2023 11:28 am | sonny

मोटरस्पोर्ट्स चैंपियनशिप की दिवानगी दुनियाभर में है और सड़क पर चलने वाली रेगुलर कारों का भी इससे एक गहरा नाता जुड़ा है। रेसिंग कारों के लिए जो नई टेक्नोलॉजी डेवलप होती है, ये बाद में हमारी रेगुलर कारों में भी आ ही जाती है। कुछ ऐसी ही उम्मीद अब फॉर्मूला ई मोटरस्पोर्ट्स से इलेक्ट्रिक कारों को लेकर की जा रही है।

फॉर्मूला ई क्या है?

यह एक ऑल-इलेक्ट्रिक, सिंगल-सीटर मोटरस्पोर्ट चैंपियनशिप है। इस चैंपियनशिप के बारे में 2011 में कल्पना की गई थी और इसकी पहली रेस 2014 में (ई-प्रिक्स नाम से) हुई थी। इस चैंपियनशिप की अधिकांश रेस स्ट्रिट सर्किट पर हुई है और अब इसके नौवें सीजन का आयोजन किया गया है। शुरुआत से लेकर अब तक ये रेस कारें काफी अपडेट और पहले से काफी फुर्तिली हो चुकी हैं।

हाल ही में ये रेस पहली बार भारत में भी आयोजित हुई है। यहां ई-प्रिक्स को हैदराबाद में हॉस्ट किया गया था। करीब एक दशक में यह भारत में आयोजित होने वाला पहला इंटरनेशनल मोटरस्पोर्ट्स चैंपियनशिप इवेंट था।

फॉर्मूला ई में कौनसे ब्रांड हैं?

इस इलेक्ट्रिक कार चैंपियनशिप ने कई नई कार कंपनियों का ध्यान अपनी ओर खींचा है। खासतौर पर इस मोटरस्पोर्ट्स चैंपियनशिप में उन कंपनियों ने दिलचस्पी दिखाई है जो अपनी खुद की इलेक्ट्रिक कारें तैयार कर रही हैं। कंपनियां रेस कार के अधिकांश कंपोनेंट जैसे बैटरी पैक, चेसिस और इलेक्ट्रिक पावरट्रेन एक ही मैन्युफैक्चरर से लेती हैं, और फिर उनकी टीम अपने हिसाब से उनमें डेवलपमेंट करती है।

फॉर्मूला ई रेस में भाग लेने वाली दो कार कंपनियां भारत की हैं जिनमें एक महिंद्रा और दूसरी जगुआर (टाटा के स्वामित्व वाली कंपनी) शामिल है। इसके अलावा रेनो, निसान, ऑडी, मर्सिडीज-बेंज, बीएमडब्ल्यू और पोर्श कंपनियां भी मोटरस्पोर्ट्स चैंपियनशिप में भाग लेती हैं।

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फॉर्मूला ई से क्या सीखा जा सकता है?

जैसा कि हम पहले ही बता चुके हैं इलेक्ट्रिक मोटरस्पोर्ट्स चैंपियनशिप शुरू होने के बाद से अब तक रेस कारों में कई बदलाव हो चुके हें। जब ये चैंपियनशिप शुरू हुई थी तब आयोजकों को 45 मिनट तक रेस चलाने के लिए बैटरी इलेक्ट्रिक पावरट्रेन से जुड़ी कई समस्याओं का सामना करना पड़ा था। कुछ सालों बाद जनरेशन3 फॉर्मूला ई कार से पर्दा उठा और ये करीब दोगुनी एनर्जी कैपेसिटी (54केडब्ल्यूएच) के साथ आई और इसकी परफॉर्मेंस भी काफी बेहतर थी।

अब नई जनरेशन3 की कारें आ चुकी हैं और इनका पावरट्रेन पहले से काफी बेहतर है। यह कार छोटी, कम वजनी और काफी तेज है। इनमें फ्रंट में इलेक्ट्रिक मोटर लगी है और 600किलोवॉट चार्जर से ये 40 प्रतिशत ज्यादा जल्दी चार्ज हो जाती है। पर्याप्त रेस और बेहतर परफॉर्मेंस के चलते इनकी बैटरी पैक को छोटा किया गया है।

कुछ ऐसे ही सुधार सड़क पर चलने वाली रेगुलर इलेक्ट्रिक कारों में भी देखे गए हैं। कंपनियां इनमें उसी साइज का बैटरी पैक देकर इनकी रेंज में सुधार करने के लिए नई टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर रही हैं। इन दिनों कंपनियों ने इलेक्ट्रिक गाड़ियों के बैटरी और पावरट्रेन का वजन कम कर दिया है और नए स्ट्रक्चर डिजाइन और नए कंपोनेंट का इस्तेमाल कर इलेक्ट्रिक कारों को पहले से काफी ज्यादा बेहतर कर दिया है।

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इलेक्ट्रिक कारों का भविष्य

ये चीज हम पहले ही देख चुके हैं कि फॉर्मूला एफ1 कार में बेहतर परफॉर्मेंस के लिए हाइब्रिड टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया था और बाद मे यही टेक्नोलॉजी सड़क पर चलने वाली रेगुलर कारों में भी मिलने लगी थी। फॉर्मूला ई इलेक्ट्रिक व्हीकल के डेवलपमेंट को बूस्ट देगा और हमारा मानना है कि निकट भविष्य में हम रेगुलर इलेक्ट्रिक कार में भी ये चीजें देख सकते हैं।

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