सीएनजी कारों में क्यों नहीं दिया जाता ऑटोमैटिक गियरबॉक्स, ये है असल वजह
प्रकाशित: दिसंबर 23, 2021 12:54 pm । भानु
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सीएनजी अपनी फ्यूल एफिशिएंसी और अफोर्डेबिलिटी के लिए तो काफी शानदार ही है मगर ये पेट्रोल और डीजल के मुकाबले पर्यावरण को भी काफी कम नुकसान पहुंचाता है। ऐसे में सवाल ये उठता है कि आखिर भारत में कारों के ज्यादा सीएनजी मॉडल्स क्यों नहीं है? और क्यों सीएनजी कारों में ऑटोमैटिक गियरबॉक्स नहीं दिया जाता है? शहरों में सीएनजी पंप्स की आसान उपलब्धता के कारण सीएनजी कारें सिटी के हिसाब से परफैक्ट साबित होती हैं और शहर में ही ऑटोमैटिक गियरबॉक्स की सहूलियत की सबसे ज्यादा जरूरत पड़ती है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल ये है कि अब तक किसी कार मैन्युफैक्चरर ने ऑटोमैटिक सीएनजी कार लॉन्च क्यों नहीं की? इसके पीछे कई कारण है जिनके बारे में आप जानेंगे आगे:
बहुत टफ है सीएनजी कारों में ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन सेट करना
एक ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन के लिए काफी सेंसर्स की जरूरत पड़ती है। इस टाइप के गियरबॉक्स आरपीएम, इंजन लोड, स्पीड, कार के एंगल के अनुसार ही शिफ्ट होते हैं जिसकी जानकारी इन्हें सेंसर से मिलती है। ऐसे में सीएनजी होने से कुछ चीजें बदल जाती है। जैसे कि पेट्रोल मॉडल के मुकाबले सीएनजी मॉडल में इंजन कम पावर और टॉर्क डिलीवर करता है। ऐसे में सेंसर को दोबारा से सीएनजी के अनुसार री-ट्यून्ड करने की मेहनत लगेगी ताकी वो नया डेटा ले सके। इसके लिए कार को काफी टेस्ट किया जाएगा और ये कोई कंपनी तभी करेगी जब वो इस बात के लिए आश्वस्त हो कि उसका सीएनजी ऑटोमैटिक मॉडल खूब बिकेगा।
बहुत महंगी साबित होंगी ऐसी कारें
पेट्रोल मॉडल्स के मुकाबले फैक्ट्री फिटेड सीएनजी मॉडल्स 80-90 हजार रुपये ज्यादा महंगे साबित होते हैं। वहीं यदि इनमें ऑटोमैटिक गियरबॉक्स दे दिया गया तो ये मैनुअल वर्जन के मुकाबले 1 लाख रुपये ज्यादा महंगे साबित होंगे। ऐसे में सीएनजी पेट्रोल मैनुअल मॉडल के मुकाबले सीएनजी पेट्रोल ऑटोमैटिक कार की कीमत 2 लाख रुपये से ज्यादा हो सकती है।
मानिए कि मारुति अर्टिगा सीएनजी ऑटोमैटिक के लिए आपको 2 लाख रुपये ज्यादा खर्च करने पड़े तो क्या आप वो लेंगे? हमारा मानना है कि इस सुविधा के लिए इतनी भारी कीमत देना जायज नहीं होगा। वहीं ऐसे मॉडल्स की ज्यादा कीमत होने के कारण कंपनियों को भी ये महसूस जरूर होगा कि उनकी कारें ज्यादा नहीं बिकने वाली है। ऐसे में वो फिर सीएनजी ऑटोमैटिक पावरट्रेंस तैयार ही नहीं करेंगे।
ड्राइविंग डायनैमिक्स पर भी पड़ेगा असर
हालांकि ये कोई बड़ा मुंद्दा नहीं है मगर फिर भी सीएनजी ऑटोमैटिक कारों को सरकार से सर्टिफाइड कराना कंपनियों के लिए सिर दर्द साबित हो सकता है। बता दें कि मैनुअल ट्रांसमिशन के मुकाबले ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन काफी भारी होते हैं। इससे कार भी भारी हो जाएगी।
इसका बेहतरीन उदाहरण 5 सीटर मारुति एस प्रेसो हो सकती है। मारुति ने जब इसका सीएनजी वेरिएंट लॉन्च किया तो ये 4 सीटर कार बनके रह गई क्योंकि पांचवे पैसेंजर जितना वजन तो सीएनजी किट के कारण ही बढ़ गया। मारुति ने इसके लिए कार के स्ट्रक्चर में भी कोई बदलाव नहीं किया और केवल इसे खरीदने वालों को एक एडवाइजरी दे दी कि इसमें चार पैसेंजर्स से ज्यादा नहीं बैठ सकते हैं।
अपनी सीएनजी कार में ऑटोमैटिक गियरबॉक्स लगाने के लिए आप और क्या कर सकते हैं?
इस बारे में जानने के लिए हमनें अपनी कारों में सीएनजी किट दे रही मारुति और हुंडई से भी संपर्क किया। मगर दोनों ही कंपनियों से हमें कोई जवाब नहीं मिला। मगर आपकी जानकारी के लिए बता दें कि आप बाजार से ऑटोमैटिक कारों में सीएनजी किट लगवा सकते हैं। इसके बारे में आपको गूगल पर भी जानकारी मिल जाएगी और यूट्यूब पर भी इसे लेकर कई वीडियोज़ अपलोड किए जा चुके हैं।
लेकिन इस बात का ध्यान जरूर रखें कि यदि आप अपनी ऑटोमैटिक कार में सीएनजी किट लगवाते हैं तो मैन्युफैक्चरर की ओर से दी जाने वाली वॉरन्टी का फायदा आपको नहीं मिलेगा। ऐसे में ये फैसला तभी लें जब आपका व्हीकल वॉरन्टी पीरियड से बाहर हो गया हो। वहीं आफ्टरमार्केट कंपनियां ऐसे काम करने में उतनी माहिर नहीं होती है जितनी की ओरिजनल मैन्युफैक्चरर्स होते हैं। ऐसे में आपके इंजन और ट्रांसमिशन को भी इस प्रक्रिया में नुकसान झेलना पड़ सकता है।
यदि आपने अपनी कार में इस तरह का मॉडिफिकेशन कराया है तो ट्विटर या इंस्टाग्राम के जरिए कमेंट करके हमें जरूर बताएं।