गुडन्यूज़ राउंडअप: पॉजिटिव खबरों के वीकली डोज़ में इस बार क्या कुछ है खास, यहां जानें
प्रकाशित: जून 20, 2020 03:25 pm । भानु
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एक ऑनलाइन ऑटोमोबाइल पोर्टल होते हुए हम कोरोनावायरस से जुड़ी कुछ अच्छी खबरों को गुडन्यूज राउंडअप के माध्यम से आप तक कई हफ्तों से पहुंचाते आ रहे हैं। गुडन्यूज राउंडअप का ये 11वा एडिशन है जहां आज हम कुछ नए इन्वेन्शन,साहसिक कहानियों और इस महामारी से जारी लड़ाई में होने वाली प्रगति की दास्तां बता रहे हैं। साथ आपको ये भी बताएंगे कि अब तक इस बीमारी से कितने लोग ठीक हो चुके हैं। तो इस बार क्या कुछ है खास इस गुडन्यूज़ राउंडअप में ये आप जानेंगे आगे:
कोविड-19 के खिलाफ कारगर साबित हो सकती है ये दवा
इस वक्त पूरी दुनिया की उम्मीदे कोरोनावायरस का खात्मा करने वाली वैक्सीन के तैयार होने पर टिकी हैं, और डेक्सामेथासोन नामक दवा ने कोरोना पीड़ितों की मृत्यु की प्रतिशतता को कम करके एक राहत भरी उम्मीद दिखाई है। एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि डेक्सामेथासोन के सेवन से 20 में से 19 मरीज अस्पताल में भर्ती हुए बिना ठीक हो गए। सबसे अच्छी बात ये है कि ये दवा ज्यादा महंगी भी नहीं है।
42 लाख पहुंची ठीक होने वालों की संख्या
पिछले हफ्ते पूरी दुनिया में कोरोना से ठीक होने वाले मरीजों की संख्या 6 लाख से ज्यादा थी। भारत में 3.80 लाख एक्टिव केस होने के बावजूद भी यहां रिकवरी रेट 54 प्रतिशत है जो कि काफी अच्छी है।
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कोरोनाकाल में मदद के लिए एक कैब ड्राइवर और बच्चे को ईनाम में दी गई कार
अमेरिका में दो लोगों को उनके द्वारा कम्यूनिटी सर्विस देने के लिए बतौर ईनाम नई कार दी गई है। इनमें से एक महिला उबर ड्राइवर है जो फ्रंटलाइन वर्कर्स के लिए रोजाना 60 फूड पैकेट बांटने का काम कर रही थी। उनके इस काम को देखकर जाडा पिंकेट स्म्थि नाम के व्यक्ति ने उन्हें एक 'ईको फ्रेंडली' का गिफ्ट कर डाली।
इसी तरह अमेरिका में ही ने वहां हाल ही में हुए विरोध प्रदर्शन के बाद भीड़ द्वारा कचरा फैलाए जाने के बाद उसे साफ करने की जिम्मेदारी उठाई। सुबह 2 बजे से 10 घंटे तक साफ सफाई करने वाले इस बच्चे को ईनाम के रूप में कॉलेज स्कॉलरशिप और फोर्ड मस्टैंग कार भेंट की गई है।
आईआईटी और एम्स ने तैयार किए अफोर्डेबल,कंफर्टेबल और रीयूज़ेबल मास्क
एक डिजाइन फर्म ने आईआईटी दिल्ली और एम्स के डॉक्टर्स की मदद से इंडस्ट्रियल यूज़ के लिए विशेष मास्क तैयार किए हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार इन्हें बिना परेशानी के घंटो तक पहने रखा जा सकता है और इन्हें दोबारा इस्तेमाल में भी लिया जा सकता है। फ्रंटलाइन मेडिकल वर्कर्स के लिए भी इस तरह के मास्क काफी कंफर्टेबल रहेंगे।
प्लास्टिक की बोतलों को फेसशील्ड में किया गया तब्दील
इस महामारी के फैलने से पहले ही पीपीई किट की कमी को लेकर चिंताए जताई जा रही थी। हालांकि, अब यूगांडा के एक स्टार्टअप द्वारा प्लास्टिक की बोतलों और वेस्ट से फेसशील्ड तैयार की जा रही है। ये सिर्फ लोगों के लिए ही फायदेमंद नहीं होगा बल्कि पर्यावरण को बचाने में भी इसका अहम योगदान रहेगा।
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