गुडन्यूज राउंडअप: कोरोनाकाल में पॉजिटिव खबरों का वीकली डोज़
कोरोना का प्रकोप अब इस कदर हावी हो रहा है कि हर दिन कुछ ना कुछ बुरी खबरें सुनने को मिल रही है। हालांकि, वक्त बीतने के साथ ही कहीं ना कहीं कुछ ऐसा भी हो रहा है जिससे इस बुरे समय के टलने की उम्मीदें दिखाई पड़ रही है। ऐसी कुछ खबरों को यहां हम आपके साथ शेयर कर रहे हैं जो वाकय आपका हौंसला बढ़ा सकती है।
दुनियाभर में 35 लाख से ज्यादा लोग हुए ठीक
पिछले सप्ताह कोरोना से लड़ते हुए 6 लाख से ज्यादा मरीजों के ठीक होने की खबर सामने आई थी। इसके अलावा भारतीय स्वास्थ मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि अब देश में एक्टिव केस की संख्या से ज्यादा ठीक होने वालों की संख्या है। इस वक्त देश में रिकवरी रेट 48.88 प्रतिशत है जिसे काफी अच्छा कहा जा सकता है।
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एनजीओ की मदद से मुंबई और बेंगलुरु में लोगों की इस तरह मदद कर रहे एक सरकारी अधिकारी
यदि आपके पास कोई बड़ी पावर हो तो उसके साथ ही आपको एक बड़ी जिम्मेदारी का भी वहन करना पड़ता है। इस बात को एक भारतीय प्रशासनिक अधिकारी ने सार्थक करके दिखाया है। शौर्य चक्र पुरस्कार से सम्मानित किए जा चुके भारतीय राजस्व अधिकारी प्रदीप शौर्य ने लोगों और आवारा पशुओं की मदद करने के लिए एनजीओ से हाथ मिलाया है। इस पहल के तहत लोगों के बीच ड्राय राशन किट और गर्म भोजन बांटे जाने के साथ-साथ उन्हें शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य सहायता और एनिमल एम्बुलेंस की व्यवस्था करना शामिल है।
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अफ्रीका के मोची ने सोलर पावर वाला हैंड्स फ्री वॉशबेसिन किया तैयार
आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है और ये बात आज भी सच साबित होती है। घाना के एक जूते बनाने वाले ने अपने कुछ दोस्तों के साथ मिलकर सोलर पावर से चलने वाला हैंड्स फ्री वॉशबेसिन तैयार किया है। कोरोनाकाल में ऐसी चीज़ों की लोगों को सबसे ज्यादा जरूरत है जिनसे हम बिना कोई चीज को छुए अपने काम कर सके।
कोरोना को ध्यान में रखते हुए भारत में सरल उपायों के साथ इस तरह हो रहा व्यापार
भारत में लोग कुछ सरल उपायों के साथ व्यापार शुरू करने को लेकर नए नए आइडियाज के साथ आगे आ रहे हैं। कैब और ऑटो चालक अपने वाहनों में संपर्करहित यात्रा के लिए सी थ्रू पार्टिशन इंस्टॉल कर रहे हैं। एक ऑटोचालक ने तो पैसेंजर को अपने वाहन में बैठाने से पहले उनके हाथ सैनिटाइज करवाता है।
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने कहा भारत में कोरोना कम्यूनिटी ट्रांसमिशन की स्टेज पर नहीं
वर्ल्ड हैल्थ ऑर्गनाइजेशन के अनुसार जहां वायरस के स्रोत की उत्पत्ति का पता नहीं लगाया जा सकता है वहां ये कम्यूनिटी ट्रांसमिशन का रूप लेता है। लेकिन आईसीएमआर के अनुसार भारत में ऐसा कुछ भी नहीं है। यदि आधिकारिक रूप से कहे गए इन शब्दों का कुछ भी महत्व है तो हम समय रहते उचित निगरानी, टेस्टिंग, क्वारैंटाइन और कंटेनमेंट जैसे उपायों के साथ वायरस को नियंत्रण में लाने के बारे में सोच सकते हैं।
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