2021 फोर्ड फिगो पेट्रोल ऑटोमैटिक : फर्स्ट ड्राइव रिव्यू

Published On अगस्त 04, 2021 By भानु for फोर्ड फिगो

 

अप्रैल 2020 में फोर्ड ने फिगो हैचबैक के 1.5 लीटर पेट्रोल ऑटोमैटिक वेरिएंट्स को बंद कर दिया था। इसके बाद पेट्रोल ऑटोमैटिक मॉडल खरीदने वाले काफी ग्राहकों को दूसरे ब्रांड्स की कारों में ये ऑप्शन ढूंढना पड़ा। नतीजतन फिगो की पॉपुलैरिटी कम होती चली गई और कंपनी ने इस बात को समझा और अब फिगो एक बार फिर से पेट्रोल ऑटोमैटिक ऑप्शन के साथ मार्केट में आ गई है। ये अपने सेगमेंट में एकमात्र प्रॉपर ऑटोमैटिक गियरबॉक्स वाला मॉडल भी है। ऐसे में अब सवाल ये उठता है कि क्या फिगो पेट्रोल ऑटोमैटिक सिटी में ड्राइव करने के लिहाज से आपकी राह आसान बनाती है या फिर इसका मैनुअल वर्जन ही लेना बेहतर रहेगा। ऐसे तमाम सवालों के जवाब आपको मिलेंगे इस फर्स्ट ड्राइव रिव्यू में:

फिगो मैनुअल वेरिएंट्स

फिगो ऑटोमैटिक वेरिएंट्स

अंतर

टाइटेनियम (6.82 लाख रुपये)

टाइटेनियम (7.75 लाख रुपये)

+ 93,000 रुपये

--

टाइटेनियम+ (8.20 लाख रुपये)

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 इंजन और परफॉर्मेंस

फिगो में 1.2 लीटर नैचुरली एस्पिरेटेड पेट्रोल इंजन के साथ 6 स्पीड टॉर्क कन्वर्टर ऑटोमैटिक गियरबॉक्स दिया गया है। इसके साथ ही 5 स्पीड मैनुअल गियरबॉक्स का ऑप्शन भी मिलता है। दोनों ही गियरबॉक्स के साथ ये इंजन 96 पीएस की पावर और 119 एनएम का टॉर्क जनरेट करने में सक्षम है। अच्छी लो एंड टॉर्क के साथ इसे ड्राइव करने में काफी मजा भी आता है और अब 6-स्पीड ऑटोमैटिक गियरबॉक्स के आ जाने से तो ड्राइव करना और भी आसान हो गया है। इसका रिफाइनमेंट लेवल काफी अच्छा है और केबिन में कभी कभी ही वाइब्रेशंस को महसूस किया जा सकता है। ये इंजन काफी स्मूद है और काफी तेज भी है। हालांकि शुरूआत में आपको थोड़े भारी थ्रॉटल इनपुट्स देने पड़ते हैं। 

फिगो के टॉर्क कन्वर्टर ऑटोमैटिक का सबसे बड़ा फायदा ये है कि ये काफी स्मूद है और इसकी शिफ्टिंग भी काफी अच्छी है। वहीं सिटी में ड्राइव करते वक्त इंजन से मिलने वाली अच्छी खासी टॉर्क से ट्रैफिक में बार बार शिफ्ट भी नही होते हैं। ओवरटेकिंग के दौरान भी ये उसी गियर में रहता है। ऐसे में इन सब खूबियों के चलते ये कार सिटी में काफी अच्छे से ड्राइव की जा सकती है। वहीं ये एएमटी गियरबॉक्स के साथ आने वाली मारुति स्विफ्ट और हुंडई ग्रैंड आई10 निओस से काफी अच्छी साबित होती है। 

दूसरी तरफ हाईवे पर इसके इंजन का परफॉर्मेंस वैसा दिखाई नहीं देता है ​जैसा सिटी राइड्स के दौरान देखने को मिलता है। 5000 आरपीएम के बाद इंजन से ज्यादा पावर नहीं जनरेट होती है जिससे कि ओवरटेकिंग के दौरान डाउनशिफ्टिंग जरूरी हो जाती है और अच्छी एक्सलरेशन स्पीड पाने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ती है। ऐसे में आपको ओवरटेकिंग के लिए पहले से प्लान करने की भी जरूरत पड़ती है। फिगो ऑटोमैटिक में स्पोर्ट मोड भी दिया गया है जो गियर को काफी देर तक होल्ड करके रखता है और जरूरत पड़ने पर काफी तेजी से डाउनशिफ्टिंग भी करता है। हालांकि इस दौरान भी एक्सलरेशन में वैसी पावर नजर नहीं आती है। हमारे द्वारा किए गए इस टेस्ट में फिगो ऑटोमैटिक को 0 से 100 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड पकड़ने में 16.01 सेकंड्स का समय लगा। ऐसे में हमारी राय यही है कि 5000 आरपीएम पर पहुंचने के बाद आप प्लस और माइनस के बटन का उपयोग करते हुए मैनुअली अपशिफ्टिंग करें जिससे गाड़ी में पावर बनी रहेगी। 

हालांकि पिछले 1.5 लीटर बीएस4 ऑटोमैटिक वर्जन के मुकाबले नया 1.2 लीटर बीएस6 ऑटोमैटिक अब कम माइलेज डिलीवर करने लगा है। पहले फोर्ड फिगो पेट्रोल ऑटोमैटिक 16.3 किलोमीटर प्रति लीटर का माइलेज देती थी वहीं अब 1.2 लीटर इंजन के साथ 6 स्पीड टॉर्क कन्वर्टर ऑटोमैटिक 16 किलोमीटर प्र​ति लीटर का माइलेज देता है। 

राइड और हैंडलिंग 

राइड और कंफर्ट के मामले में फोर्ड फिगो ऑटोमैटिक काफी अच्छी है। भले ही आप इसे अच्छी सड़कों पर ड्राइव कर र​हें हों या गड्ढ़े वाले खराब रास्तों पर, इसके सस्पेंशन सिस्टम आपको बिल्कुल निराश नहीं करेंगे। साथ ही में इसके सस्पेंशन सिस्टम से आपको जरा सी भी आवाज नहीं आएगी। यहां तक कि हाईवे पर भी फिगो ऑटोमैटिक एकदम स्मूदली चलती है और लेन चेंजिंग के बाद वापस से सैटल भी हो जाती है। 

​कुल मिलाकर फोर्ड फिगो में ड्राइविंग, कंफर्ट और स्पोर्टीनैस का बढ़िया कॉम्बिनेशन देखने को मिलता है। इसके स्टीयरिंग काफी हल्के और कम्यूनिकेटिव हैं जिससे आपको कॉर्नर्स और शार्प टर्न पर भी गाड़ी ड्राइव करते वक्त पूरा कॉन्फिडेंस रहता है। 

लुक्स, फीचर्स और टेक्नोलॉजी

फिगो के इस वर्जन में ऑटोमैटिक गियरबॉक्स ही एकमात्र ऐसी चीज है जो नई है। बाकी फोर्ड ने इसकी फीचर लिस्ट में ना ही कोई बदलाव किया है और ना ही गाड़ी के लुक्स में कोई कॉस्मैटिक बदलाव किए हैंं। चलिए नजर डालते हैं इसमें दिए गए कंफर्ट और सेफ्टी फीचर्स पर:-

  • अपने मुकाबले में मौजूद दूसरी कारों के आगे फोर्ड फिगो का डिजाइन थोड़ा आउटडेटेड लगने लगा है। इसमें प्रोजेक्टर हेडलैंप्स और एलईडी डेटाइम रनिंग लैंप्स जैसे बेसिक फीचर्स तक नहीं दिए गए हैं। हालांकि इसके एक्सटीरियर में आपको ब्लू एसेंट्स नजर आ जाएंगे जो कि सिर्फ टॉप वेरिएंट टाइटेनियम ब्लू तक ही सीमित है। इसमें हाइट एडजस्टेबल ड्राइवर सीट, ऑटोमैटिक हेडलैंप, ऑटो एसी, पुश-बटन स्टार्ट/स्टॉप, 15 इंच तक के अलॉय व्हील और रेन-सेंसिंग वाइपर जैसे फीचर्स दिए गए हैं। हालांकि इसमें वायरलेस चार्जर, क्रूज़ कंट्रोल और रियर एसी वेंट्स जैसे फीचर्स मौजूद नहीं है। 

फिगो की सेफ्टी फीचर लिस्ट काफी अच्छी है। इसमें छह एयरबैग, एक रियर पार्किंग कैमरा, ईबीडी के साथ एबीएस, और रियर पार्किंग सेंसर जैसे फीचर्स दिए गए हैं। इसके अलावा नए ऑटोमैटिक वेरिएंट में हिल-होल्ड असिस्ट, इलेक्ट्रॉनिक स्टेबिलिटी कंट्रोल और ट्रैक्शन कंट्रोल सिस्टम जैसे फीचर्स भी मौजूद है। 

इसके अलावा फोर्ड की इस हैचबैक में 4 स्पीकर्स से लैस 7-इंच टचस्क्रीन इंफोटेनमेंट सिस्टम और फोर्ड पास कनेक्टेड कार टेक्नोलॉजी भी दी गई है। मगर इस कार में एंड्रॉयड ऑटो और एपल कारप्ले कनेक्टिविटी मौजूद नहीं है। 

निष्कर्ष 

जैसा कि हमने आपको पहले भी बताया कि अपने सेगमेंट में फिगो ही ऐसी कार है जिसमें एक प्रोपर ऑटोमैटिक गियरबॉक्स दिया गया है। वहीं इसके मुकाबले में मौजूद दूसरी कारों में एएमटी गियरबॉक्स दिया जा रहा है। ऐसे में सिटी ड्राइविंग के लिहाज से फोर्ड फिगो एक शानदार पैकेज साबित होता है। हालांकि आप कभी कभी कार का इस्तेमाल करते हैं तो फिर फिगो ऑटोमैटिक एक सही चॉइस साबित नहीं होती है। क्योंकि हाई आरपीएम पर आपको इससे उतनी अच्छी पावर नहीं मिलेगी जिससे ओवरटेकिंग के लिए आपको पहले से ही तैयारी रखनी पड़ेगी। 

एक और बात जो फिगो के खिलाफ जाती है वो ये कि अपने मुकाबले में मौजूद दूसरी कारों के आगे इसके लुक्स काफी फीके लगते हैं। वहीं इसमें काफी फीचर्स का भी अभाव है। हालांकि इसमें 6 एयरबैग्स, एक प्रॉपर ऑटोमैटिक गियरबॉक्स और अच्छा सस्पेंशन सेटअप दिया गया है। इसकी राइड क्वालिटी भी काफी अच्छी है और सिटी में इसका इंजन ज्यादा अच्छा परफॉर्म करता है। वहीं मारुति स्विफ्ट एएमटी के मुकाबले फिगो ऑटोमैटिक की प्राइस भी कहीं ज्यादा अफोर्डेबल है।

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