रेनो ट्राइबर एएमटी रिव्यू

Published On सितंबर 01, 2020 By भानु for रेनॉल्ट ट्राइबर

रेनो ट्राइबर एक कम बजट वाली काफी प्रेक्टिकल कार है। इसका इंटीरियर काफी बड़ा है जिसमें ज्यादा स्पेस मिलता है। इसके अलावा इसका बूटस्पेस भी काफी बड़ा है और थर्ड रो को रिमूव भी किया जा सकता है। वहीं इसका साइज कॉम्पैक्ट कारों जैसा है जिससे ये चलाने में भी काफी आसान है। रेनो ने अब इस गाड़ी में एएमटी गियरबॉक्स का ऑप्शन भी जोड़ा दिया है। ऑटोमैटिक मैनुअल गियरबॉक्स के अलावा ट्राइबर में कोई और बदलाव नहीं हुआ है। ऐसे में हम इस रिव्यू के जरिए केवल इसके ड्राइविंग एक्सपीरियंस पर ही बात करेंगे और जानेंगे कि क्या एएमटी गियरबॉक्स वाली ट्राइबर के लिए मैनुअल वेरिएंट से 40,000 रुपये ज्यादा खर्च करना है बेहतर?

क्या इस गियरबॉक्स के रहते सिटी में ड्राइविंग बन जाती है आसान

ट्राइबर एएमटी में मैनुअल वेरिएंट वाला 1.0 लीटर 3-सिलेंडर पेट्रोल इंजन दिया गया है जो 73 पीएस की पावर और 96 एनएम का टॉर्क जनरेट करने में सक्षम है। वैसे इस प्राइस रेंज में कुछ बड़े और पावरफुल 4-सिलेंडर इंजन वाली कारें भी उपलब्ध हैं जिनसे इस मामले में ट्राइबर मात खा जाती है। ऐसे में पावर की कमी को भरने के लिए रेनो ने ट्राइबर में एएमटी गियरबॉक्स दे दिया जिससे सिटी में इसे ड्राइव करते वक्त पावर की कमी महसूस नहीं होती है। 

इसके एएमटी वेरिएंट में एक डी मोड दिया गया है। जैसे ही आप डी मोड पर सलेक्ट करते हुए ब्रेक छोड़ते हैं तो कार धीरे धीरे आगे बढ़ना शुरू करती है जो धीमे चलते रुकते ट्रैफिक में काफी काम आता है। ये सपाट रास्तों पर तो काफी अच्छे से काम करता है, मगर किसी चढ़ाई पर चढ़ने से पहले यदि इसे सलेक्ट करते हैं तो पहले गाड़ी थोड़ा पीछे जाने लगती है उसके बाद वो आगे बढ़ती है। एएमटी गियरबॉक्स के स्टैंडर्ड्स के अनुसार तो इसके गियर शिफ्ट्स काफी स्मूद लगते हैं और जब आप इसे आराम से चलाते हैं तो कोई जर्क भी नहीं होता है। 

मैनुअल गियरबॉक्स के कंपेरिजन में एएमटी गियरबॉक्स का थर्ड गियर काफी शॉर्ट पड़ता है। जहां मैनुअल गियरबॉक्स में थर्ड गियर पर गाड़ी 105 किलोमीटर प्रति घंटा की स्पीड पर पहुंच जाती है, वहीं एएमटी में यही स्पीड 80 किलोमीटर प्रति घंटा रहती है। ट्राइबर के एएमटी वर्जन के लाइट स्टीयरिंग और बेहतर राइड क्वालिटी कॉम्बिनेशन के लिहाज से ये सिटी में चलाने के लिए एक अच्छी कार साबित होती है। 

हालांकि सिटी में दूसरी गाड़ियों को ओवरटेक करते समय आपको पहले से थोड़ा तैयार रहना पड़ता है। इस वक्त इसका गियरबॉक्स थ्रॉटल को रिस्पॉन्स देते समय थोड़ा ढीला पड़ जाता है और वहीं इंजन पावर भी उतनी नहीं मिलती है। 

हाईवे पर कैसा मिलेगा ड्राइविंग एक्सपीरियंस

इसके इंजन से मिलने वाली पावर में कमी हाईवे पर और भी ज्यादा महसूस होती है। हालांकि ट्राइबर एएमटी तीन लेन वाले हाईवे पर तो 90 से 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार पर आराम से चलती है, मगर दो लेन वाली सड़कों पर इसका इंजन थोड़ा संघर्ष करता नजर आता है क्योंकि यहां बार बार ब्रेक लगाना,ओवरटेकिंग जैसे काम करने पड़ते हैं। यदि आपको किसी गाड़ी को जल्दी से ओवरटेक करना हो तो इसमें डाउनशिफ्टंग होने में थोड़ा समय लगता है। वहीं अगर गाड़ी में पैसेंजर ज्यादा हो तो इंजन और गियरबॉक्स से मिलने वाला रिस्पॉन्स भी काफी निराश करता है। 2500 आरपीएम के बाद तो इसके इंजन से शोर भी आने लगता है। 

हम उम्मीद कर रहे थे कि मैनुअल वर्जन के मुकाबले ट्राइबर का एएमटी वर्जन थोड़ा स्लो होगा। मगर ऐसा बिल्कुल भी नहीं हुआ। 0 से 100 किलोमीटर प्रति घंटे के एक्सलरेशन टेस्ट में ट्राइबर एमटी को 20.2 सेकंड का समय लगा जो इसके मैनुअल वेरिएंट से महज 4 सेकंड से पीछे ही रही। यहां तक कि इस मामले में ये अपने से सस्ती क्विड के एएमटी वर्जन से भी महज 2.5 सेकंड ही पीछे रही। 

अब बात माइलेज की

एक हल्की कार होने और छोटे 1.0 लीटर इंजन से लैस होने के कारण इसका माइलेज थोड़ा कम ही है। सिटी में इसने हमें मैनुअल वेरिएंट से ज्यादा कुल 12.36 किलोमीटर प्रति लीटर का माइलेज दिया, मगर इसके मुकाबले मौजूद दूसरी कारें इससे ज्यादा माइलेज देती है। दूसरी तरफ हाईवे पर इंजन से पावर कम मिलने और एएमटी गियरबॉक्स की स्लो शिफ्टिंग के कारण इसने 14.83 किलोमीटर प्रति लीटर का माइलेज दिया जो कि इसके मैनुअल वेरिएंट से 3 किलोमीटर प्रति लीटर कम रहा। 

चलिए अब बात करतें हैं रेनो ट्राइबर एएमटी की खूबियों और कमियों के बारे में:-

खूबियां

अच्छी राइड क्वालिटी

रेनो ट्राइबर के सस्पेंशन काफी अच्छे हैं जो कम स्पीड के दौरान उछाल भरे ब्रेकर्स और छोटो मोटे गड्ढों को आराम से झेल लेते हैं। वहीं तेज स्पीड में भी इस कम वजन वाली कार की राइड कंफर्टेबल रहती है और ये काफी सीधी चलती है। 

प्रैक्टिकल केबिन

रेनो ट्राइबर काफी प्रैक्टिकल कार है इसमें काफी सारे स्टोरेज स्पेस दिए गए हैं। इसके फ्रंट में दो बड़े स्टोरेज स्पेस, डोर पर बड़े पॉकेट्स और एक कूल्ड बॉक्स दिया गया है जहां 220 मिलीलीटर के कोल्डड्रिंक्स के कैन रखे जा सकते हैं। वहीं इसमें दो बड़े ग्लवबॉक्स भी दिए गए हैं। 

सेकंड रो पर स्लाइडिंग फंक्शन वाली सीट के साथ ज्यादा स्पेस

ट्राइबर के मुकाबले में मौजूद दूसरी कारों से इसकी सेकंड रो ज्यादा कंफर्टेबल है। यदि थर्ड रो कोई काम नहीं आ रही है तो मिडिल रो को स्लाइड बैक करते हुए अपने पैरों को फैलाकर बैठा जा सकता है। इसकी बेंच टाइप सीट काफी कंफर्टेबल जहां अच्छा अंडरथाई सपोर्ट मिलता है। हर पैसेंजर के लिए एसी वेंट इस अनुभव को और भी अच्छा कर देता है। 

थर्ड रो 

नीरूम स्पेस के लिहाज से रेनो ट्राइबर की थर्ड रो पर किसी 5 फुट 10 इंच से ज्यादा लंबे व्यक्ति का बैठना तो थोड़ा मुश्किल हो जाता है, मगर एक औसत कद काठी का व्यक्ति यहां आराम से बैठ सकता है। सबसे अच्छी बात ये है कि यहां हेडरूम भी अच्छा मिलता है, मगर रियर विंडस्क्रीन और आपके सिर के बीच फासला महज इंच भर का रहता है। 

बड़ा बूट स्पेस

वैसे तो ट्राइबर में काफी कम बूट स्पेस दिया गया है। मगर,थर्ड रो सीटों को हटाने के बाद इसमें अच्छा खासा स्पेस तैयार किया जा सकता है। थर्ड रो की दोनों सीटों को फोल्ड करने के बाद आपको 650 लीटर का बूट स्पेस मिलेगा। इतना स्पेस तो आपको एमजी हेक्टर जैसी कार में भी नहीं मिलता है। 

 रेनो ट्राइबर की खामियां

1. केबिन में आता है काफी शोर

ट्राइबर का इंजन कम पावर देने के साथ काफी शोर भी करता है। इस मामले में तो ये हुंडई ग्रैंड आई10 निओस और मारुति स्विफ्ट को भी पीछे छोड़ देती है। इसका साउंड इंसुलेशन भी उतना बेहतर नहीं है और आपको सड़क और हवा का शोर केबिन में साफ सुनाई देता है। 

2. फीचर्स की कमी

ट्राइबर के टॉप वेरिएंट में तो कुछ अच्छे फीचर्स दिए गए हैं। इनमें एंड्रॉयड ऑटो और एपल कारप्ले कनेक्टिविटी से लैस 7 इंच टचस्क्रीन इंफोटेनमेंट सिस्टम, की लैस गो, तीनों रो में एयर कॉन वेंट्स, टिल्ट एडजस्टेबल स्टीयरिंग और 4 एयरबैग शामिल है। मगर इसमें ड्राइवर सीट हाइट एडजस्ट, स्टीयरिंग माउंटेड कंट्रोल्स, ऑटोमैटिक क्लाइमेट कंट्रोल,अलॉय व्हील्स,ऑटोमैटिक हेडलैंप और वायपर्स जैसे फीचर्स की कमी है। यहां तक कि हुंडई के जैसे मॉडर्न सिस्टम के मुकाबले इसके टचस्क्रीन के ग्राफिक्स उतने खास नहीं लगते हैं। 

निष्कर्ष

तो क्या मैनुअल वेरिएंट के मुकाबले ट्राइबर के एएमटी वर्जन को 40,000 रुपये एक्सट्रा खर्च कर खरीदना वाजिब है? यदि आप ज्यादातर सिटी में ही ड्राइव करते हैं तो हमारा जवाब है हां। 

अपनी स्मूद शिफ्टंग के कारण ये सिटी के लिहाज से काफी अच्छा वेरिएंट है। इसका केबिन काफी प्रैक्टिकल है, 8 लाख रुपये के प्राइस ब्रेकेट में ट्राइबर एएमटी में आपको कंफर्टेबल राइड क्वालिटी मिलती है। मगर हाईवे ड्राइविंग के लिहाज से ये कार उतनी खास साबित नहीं होती है। इससे हाईवे पर पावर तो कम मिलती ही है, साथ ही में ये माइलेज भी कम देती है। 

तो कुल मिलाकर आप ज्यादातर सिटी में ही ड्राइव करते हैं तो रेनो ट्राइबर का एएमटी मॉडल आपके लिए एक सही पैकेज साबित होगा। मगर, आप हाईवे पर भी कार बराबर रूप से चलाते हैं तो फिर इसका मैनुअल वेरिएंट बेहतर रहेगा।

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