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टोयोटा मिराई हाइड्रो कार से संसद पहुंचे नितिन गडकरी, शेयर किया अपना एक्सपीरियंस

संशोधित: मार्च 31, 2022 02:27 pm | भानु
2278 Views

जैसे जैसे इंडियन मार्केट इलेक्ट्रिक मोबिलिटी की दिशा में आगे बढ़ रहा है, वैसे वैसे अब इलेक्ट्रिक कारों के अलावा और भी वैकल्पिक जीरो एमिशन फ्यूल की संभावनाएं तलाशी जा रही है। परिवहन मंत्री नितिन गडकरी इन दिनों हाइड्रोजन फ्यूल सेल इलेक्ट्रिक व्हीकल्स का प्रचार कर रहे हैं जिसके लिए उन्होंने टोयोटा मिराई को पायलट स्टडी के तौर पर इस्तेमाल करना शुरू किया है। हाइड्रोजन फ्यूल सेल इलेक्ट्रिक व्हीकल्स का महत्व बताने के इरादे से गडकरी इन दिनों संसद में इस कार में बैठकर ही जाते देखे जा सकते हैं और नीचे दिए गए वीडियो में गडकरी ने इससे जुड़े अनुभव भी शेयर किए हैं।

बता दें कि टोयोटा मिराई एक इलेक्ट्रिक सेडान है जिसका विदेशी बाजारों में कंपेरिजन टेस्ला मॉडल एस से है। इसमें 182 पीएस की पावर और 406 एनएम का टॉर्क जनरेट करने वाली इलेक्ट्रिक मोटर को 1.24 केडब्ल्यूएच बैट्री पैक से पावर सप्लाई होती है। ये एक बार में हाइड्रोजन फ्यूल से टैंक को फुल कराने के बाद 646 किलोमीटर तक ड्राइव की जा सकती है। इससे जुड़ा रोचक तथ्य ये है कि यह कार कार्बन की जगह पानी छोड़ती है।

रेगुलर इलेक्ट्रिक व्हीकल्स से कितने अलग होते हैं फ्यूल सेल इलेक्ट्रिक व्हीकल

इलेक्ट्रिक व्हीकल्स इलेक्ट्रिक मोटर्स के जरिए काम करते हैं और इन्हें बैट्री पैक से पावर मिलती है। वहीं इनमें दिए गए बैट्री पैक को एक पावर सोर्स के जरिए इलेक्ट्रिसिटी के जरिए चार्ज किया जाता है। दूसरी तरफ एफसीईवी में भी इलेक्ट्रिक मोटर दी जाती है, मगर इनमें बड़े बैट्री पैक के बजाए छोटा बैट्री पैक दिया जाता है जो हाइड्रोजन फ्यूल सेल से जुड़ा होता है।

ये फ्यूल सेल हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के बीच हुए रिएक्शन से निकलने वाली एनर्जी का इस्तेमाल करते हुए इलेक्ट्रिसिटी जनरेट करते हैं। एक फ्यूल सेल इलेक्ट्रिक व्हीकल में सील टैंक के अंदर हाई प्रेशर में हाइड्रोजन गैस स्टोर की जाती है जिसे रीफ्यूल करना भी काफी आसान है। एक तरह से ये पेट्रोल, डीजल या सीएनजी जितनी तेज रीफ्यूल की जा सकती है।

यहां देखिए इलेक्ट्रिक व्हीकल्स और हायड्रोजन कारों का छोटा सा एफिशिएंसी कंपेरिजन:

टोयोटा मिराई

जगुआर आई-पेस

बैट्री साइज

1.24केडब्लयूएच

90केडब्लयूएच

चार्जिंग/रीफ्यूलिंग टाइम

5 मिनट्स

40 मिनट्स (150 केडब्ल्यू पर) 1 घंटा 10 मिनट ( 50केडब्ल्यू पर)

ड्राइविंग रेंज

646किलोमीटर

470किलोमीटर

व्हीकल वेट

1,930 किलोग्राम

2,208किलोग्राम

ऊपर दी गई टेबल में एफसीईवी की दो मेन एडवांटेज पता चलती है। एक तो ये कि रेंज फिगर्स को प्रभावित किए बिना इन्हें इलेक्ट्रिक कारों की तुलना में काफी हल्का बनाया जा सकता है, क्योंकि इनमें भारी बैटरी पैक की कोई आवश्यकता नहीं है। दूसरा ये कि इन्हें बिना हाई वॉट पब्लिक चार्जर के भी काफी जल्दी रीफ्यूल किया जा सकता है।

मार्च 2022 की शुरूआत में नितिन गडकरी ने टोयोटा के साथ मिलकर मिराई कार के जरिए देश में हायड्रोजन इलेक्ट्रिक व्हीकल्स चलाने की राह तलाशने का ऐलान किया था। उन्होंने इस बात पर जोर दिया है कि देश में एफसीईवी को ग्रीन हाइड्रोजन से चलाया जाएगा और इसका उद्देश्य भारत को ग्रीन हाइड्रोजन एक्सपोर्ट करने में सक्षम बनाना है।

क्या होती है ग्रीन हाइड्रोजन?

स्रोत के आधार पर दुनियाभर में हाइड्रोजन के तीन तरह की फॉर्म्स हैं जिनमें ग्रे, ब्लू और ग्रीन शामिल है। इनमें सबसे कम इको फ्रेंडली ऑप्शन ग्रे हाइड्रोजन है, क्योंकि यह नैचुरल गैस से बनती है और इसके उत्पादन के दौरान वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड फैलती है। अभी दुनिया में सबसे ज्यादा ग्रे हाइड्रोजन का प्रोडक्शन ही हो रहा है।

यह भी पढ़ें: नितिन गडकरी की अपील: कार कंपनियां एक साल में फ्लेक्स इंजन तैयार करने पर शुरू करें काम

ग्रीन हाइड्रोजन को एच2 भी कहा जाता है जो रिन्युएबल एनर्जी से तैयार होती है। ये काफी दुर्लभ है क्योंकि इसे तैयार करने के स्रोतों को खोजना काफी मुश्किल है। पूरी दुनिया में कार्बन उत्सर्जन को कम करने की दिशा में वैश्विक बदलाव के साथ, आने वाले वर्षों में एफसीईवी और ग्रीन हाइड्रोजन की मांग बढ़ने की उम्मीद की जा सकती है।

यहां तक की ग्रे हाइड्रोजन फ्यूल वाली एफसीईवी भी कार्बन एमिशन को कम करने की दिशा में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के बराबर कारगर साबित हो सकती है। ये टेक्नोलॉजी तो काफी अच्छी है मगर कस्टमर्स के लिए ऐसे व्हीकल्स के विकल्प ज्यादा नहीं है। हुंडई नेक्सो और टोयोटा मिराई दो ही ऐसे प्रोडक्ट्स हैं जो ग्लोबल मार्केट में इस सेगमेंट में बिक्री के लिए उपलब्ध हैं।

यह भी पढ़ें: भारत की पहली हाइड्रोजन पावर वाली कार हो सकती है हुंडई नेक्सो इलेक्ट्रिक, जानिए कब होगी लॉन्च

इसके अलावा हाइड्रोजन कारें इलेक्ट्रिक कारों की तुलना में काफी महंगी भी साबित होती है। उदाहरण के तौर पर जर्मन मार्केट में टोयोटा मिराई की कीमत भारतीय मुद्रा के अनुसार 54 लाख रुपये है जबकि नेक्सो की शुरूआती कीमत 65 लाख रुपये है। यदि भारत में इन व्हीकल्स को हरी झंडी मिल जाती है तो इन्हें यहां इंपोर्ट करके बेचा जा सकता है और इनकी प्राइस 1 करोड़ रुपये से शुरू हो सकती है।

दूसरी तरफ हाइड्रोजन और फ्यूल सेल टेक्नोलॉजी को कुछ दूसरे नॉन कार प्रोडक्ट्स के लिए भी तैयार किया जा रहा है। कार्बन एमिशन को कम करने की दिशा में हाइड्रोजन व्हीकल्स एक अच्छा कदम साबित हो सकते हैं।

यह भी पढ़ें: रतन टाटा ने अपने कार कलेक्शन में शामिल की नैनो इलेक्ट्रिक, जानिए इसके बारे में

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S
sreejith sudhakaran nair
Apr 1, 2022, 7:01:13 PM

A potentially new technology as answer to global air pollution. ???

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टोयोटा मिराई

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Rs.60 लाख* Estimated Price
जनवरी 01, 2030 Expected Launch
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