टोयोटा और भारत सरकार मिराई कार के जरिए तलाशेगी देश में हायड्रोजन इलेक्ट्रिक व्हीकल्स चलाने की राह
संशोधित: मार्च 17, 2022 01:45 pm | भानु
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ग्रीन मोबिलिटी के लिए जहां इस समय बैट्री पावर्ड इलेक्ट्रिक व्हीकल्स तैयार करने पर ज्यादा फोकस रखा जा रहा है तो वहीं कुछ और टेक्नोलॉजी भी संज्ञान में हैं जो डेवलप भी की जा रही है। हाइड्रोजन फ्यूल सेल टेक्नोलॉजी लिथियम आयन बैट्री व्हीकल्स का एक अच्छा विकल्प हो सकते हैं। अब भारत में भी हाइड्रोजन फ्यूल सेल वाले व्हीकल्स के बारे में गंभीरता से सोचा जा रहा है। खासतौर पर इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल लंबी दूरी तय करने वाले हैवी व्हीकल्स में करने के बारे में विचार किया जा रहा है।
भारत सरकार की ऑटोमोटिव टेस्टिंग एजेंसी आईसीएटी (इंटरनेशनल सेंटर फॉर ऑटोमोटिव टेक्नोलॉजी) ने टोयोटा के साथ फ्यूल सेल इलेक्ट्रिक व्हीकल मिराई पर अध्ययन और उसका मुल्यांकन करने को लेकर एक समझौता पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं। सेकंड जनरेशन मिराई की भारतीय मौसम और यहां की सड़कों की परिस्थितियों के अनुसार टेस्टिंग की गई है ताकी ये जाना जा सके कि आखिर यहां एक हाइड्रोजन पावर्ड व्हीकल कैसा परफॉर्म करता है। इस पायलट प्रोजेक्ट का उद्धाटन केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के मुखिया नितिन गडकरी ने किया।
इस मौके पर टोयोटा किर्लोस्कर मोटर्स के प्रवक्ता ने कहा “हम माननीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री द्वारा दिल्ली में हो रहे इस पायलट स्टडी के दौरान एफसीईवी मिराई का प्रचार प्रसार करने के लिए उनके बहुत आभारी हैं। हमें पूरा विश्वास है कि हाइड्रोजन बेस्ड सोसायटी तैयार करने में जिम्मेदारी निभाने जा रहे लोगों को बहुत प्रोत्साहन और जबरदस्त बढ़ावा देगा और हमें विश्वास है कि भारत भविष्य में इस दिशा में आगे बढ़ सकता है। हम कार्बन एमिशन कम करने की दिशा में काम करने के लिए और इलेक्ट्रिफाइड टेक्नोलॉजी को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार के योगदान की सराहना करते हैं।”
बता दें कि फ्यूल सेल इलेक्ट्रिक व्हीकल्स हाइड्रोजन से भरे फ्यूल सेल्स की मदद से इलेक्ट्रिसिटी जनरेट करता है जिससे मोटर को पावर मिलती है। बैट्री इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के मुकाबले इनमें कम वेट और फास्ट चार्जिंग का सबसे बड़ा एडवांटेज मिलता है। इन्हें कंवेशनल कंब्सशन इंजन वाले व्हीकल्स की तरह रीफ्यूल कराया जा सकता है, साथ ही एक बड़ी बैट्री को चार्ज करने में लगने वाले समय से भी कम समय में ये रीफ्यूल हो जाते हैं। बैट्री पैक भारी होने से इलेक्ट्रिक व्हीकल्स का वजन भी ज्यादा होता है, मगर फ्यूल सेल वाले व्हीकल्स लाइटवेटेड होते हैं। फ्यूल सेल इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के ट्रक और बस जैसे लंबी दूरी तय करने वाले भारी वाहनों के वर्जन काफी अच्छे साबित हो सकते हैं।
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हाइड्रोजन फ्यूल की मैन्युफैक्चरिंग से फायदा भी होता है। फिलहाल रिन्युएबल एनर्जी और बायोमास से जनरेट होने वाली ग्रीन हाइड्रोजन के इस्तेमाल को लेकर अध्ययन किया जाएगा। बैट्री इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के मुकाबले ये ज्यादा इको फ्रेंडली फ्यूल साबित होगा, क्योंकि बैट्री इलेक्ट्रिक व्हीकल्स तैयार करने में स्पेशल मेटल का इस्तेमाल किया जाता है जिसके लिए खनन जैसी पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली गतिविधियां शामिल होती है।
कस्टमर्स के लिए टोयोटा मिराई दुनिया में उपलब्ध गिनी चुनी हाइड्रोजन फ्यूल सेल इलेक्ट्रिक व्हीकल्स में से एक है जिसे सबसे पहले 2014 में पेश किया गया था। इसमें तीन हाइड्रोजन टैंक्स दिए गए हैं जो इलेक्ट्रिक मोटर तक 174 पीएस की पावर सप्लाय करते है। इसके 330 फ्यूल सेल्स के जरिए कार 650 किलोमीटर तक की दूरी तय कर सकती है और एमिशन के नाम पर इसमें से केवल पानी निकलता है।
भारत सरकार हायड्रोजन फ्यूल सेल कारों के निर्माण को हरी झंडी देने पर विचार कर रही है। फिलहाल मिराई को यहां केवल पायलट प्रोग्राम के तहत लाया गया है, वहीं हुंडई नेक्सो हाइड्रो कार को 2021 में आरटीओ द्वारा पास कर दिया गया है।
हायड्रोजन व्हीकल्स को सर्पोट करने वाले इंफ्रास्ट्रक्चर की यहां काफी कमी है, इसलिए टोयोटा मिराई और हुंडई नेक्सो का भारत में इस समय लॉन्च होना काफी मुश्किल है। हालांकि इस तरह के पायलट प्रोग्राम्स से भविष्य में हाइड्रोजन फ्यूल सेल इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के लिए राहें आसान हो सकती है।
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