क्या इलेक्ट्रिक कारों के लिए कारगर साबित होगा बैट्री स्वेपिंग का फॉर्मूला? जानिए यहां
प्रकाशित: फरवरी 07, 2022 02:53 pm । sonny
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2022 यूनियन बजट में वैसे तो ऑटो इंडस्ट्री के लिए कोई बड़ी घोषणा नहीं हुई है मगर इलेक्ट्रिक व्हीकल सेगमेंट में ग्रोथ लाने के लिए कुछ बदलाव जरूर किए जाने की घोषणा जरूर हुई है। इसमें सबसे खास बैट्री स्वेपिंग पॉलिसी की घोषणा है। हालांकि ये पॉलिसी 2 व्हीलर या 3 व्हीलर जैसे छोटे इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के लिए तो काफी कारगर साबित होगी वहीं ये पर्सनल 4 व्हीलर के लिए भी बेहतर साबित हो सकती है।
बैट्री स्वेपिंग का आइडिया ठीक वैसा ही है जैसा कि रिमोट जैसे इलेक्ट्रिक डिवाइस रखना जिन्हें बैट्री बदल बदल कर इस्तेमाल में लिया जा सकता है। बैट्री स्वेपिंग के जरिए आप अपनी डिस्चार्ज्ड बैट्री को पूरी तरह से चार्ज्ड बैट्री से रिप्लेस कर सकेंगे। ये बैट्री को चार्ज करने से ज्यादा कम समय तो लेगा ही साथ ही इससे बैट्री की लाइफ भी बढ़ेगी।
बैट्री स्वेपिंग के आइडिए पर काफी समय से विचार किया जा रहा है। हालांकि ये प्रोसेस 300 किलोमीटर तक की रेंज देने वाले बड़े इलेक्ट्रिक व्हीकल के लिए कारगर साबित नहीं होगा। ऐसा क्यों इसके कई कारण है जो हमनें नीचे हाइलाइट किए हैं जिनपर आप भी डालिए एक नजर:
कंपेटिबिलिटी की रहेगी समस्या
हर कंपनी अपने बैट्री पैक में इस्तेमाल की गई टेक्नोलॉजी और डिजाइन को सीक्रेट रखती है। ऐसे में स्टैंडर्डाइजेशन नहीं होने के कारण अलग अलग मैन्युफैक्चरर्स का बैट्री पैक अलग अलग हो सकता है। बैट्री स्वेपिंग सिस्टम के लिए मल्टीपल ब्रांड्स को हर टाइप की कार के लिए एक जैसी टूलिंग और फिटिंग करनी होगी जो कि सिस्टम के अलग होने से काम नहीं आएगा। उदाहरण के तौर पर टेस्ला के बैट्री स्वेपिंग स्टेशनों पर हुंडई की इलेक्ट्रिक कारों की बैट्रियों की अदला बदली नहीं की जा सकेगी। इसके अलावा हर ब्रांड की इलेक्ट्रिक कारें अलग अलग प्लेटफॉर्म पर बनी होती है जिनका साइज भी अलग अलग होता है ऐसे में हर टाइप की कारों की बैट्री स्वेपिंग सर्विस देना स्टेशंस को काफी महंगा पड़ेगा।
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इसके अलावा ब्रांड्स को एक कंबाइंड चार्जिंग सिस्टम पर भी काम करना होगा जहां चार्जिंग पोर्ट्स को स्टैडर्डडाज्ड करने होंगे। यदि चार्जिंग कैपेसिटी अलग भी हो तो भी आप स्टेशन पर जाकर अपनी कार चार्ज कर सकेंगे।
बड़े निवेश की होगी जरूरत
इलेक्ट्रिक चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने के लिए काफी निवेश की आवश्यकता होगी। वहीं इलेक्ट्रिक 4 व्हीलर के लिए भी ऑटोमेटेड स्वेविंग स्टेशन लगाने में भी इसी तरह के बड़े निवेश की जरूरत पड़ेगी। यहां रोबोटिक सिस्टम डेवलप करना जरूरी होगा जो झट से कार में से डिस्चार्ज बैट्री को निकालकर चार्ज्ड बैट्री लगा सके। साथ के साथ निकाली गई बैट्री को तुरंत चार्जिंग बे में भी लगाना होगा ताकि अगले व्हीकल को समय पर चार्ज की हुई बैट्री दी जा सके। ऐसे में यहां काफी मूविंग पार्ट्स की जरूरत पड़ेगी जिसमें खर्चा काफी आएगा।
यदि ऐसे कामों में मानव संसाधनों का इस्तेमाल किया जाए तो ये भी काफी खर्चीला ही साबित होगा क्योंकि पहले तो उन्हें इन कामों के लिए स्पेशल ट्रेनिंग देनी होगी जिसमें समय भी काफी लगेगा। इसके अलावा फिर भी यहां रोबोटिक टूल्स की जरूरत पड़ेगी जो इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के भारी भरकम बैट्री पैक को उठा सके।
बैट्री स्वेपिंग टेक्नोलॉजी के पक्षधरों की मानें तो फास्ट चार्जर बे के मुकाबले स्वेपिंग स्टेशन स्थापित करने में कम खर्च आएगा मगर कम जानकारियों के अभाव में इसका अभी से ठीक ठाक आकलन कर पाना सही नहीं होगा।
इंटीग्रेटेड बैट्री डिजाइन
मॉर्डन इलेक्ट्रिक कारों में इंटीग्रेटेड बैट्री पैक दिया जाता है जो कार के स्ट्रक्चर में ही होता है। सेफ्टी के लिए कई कारमेकर्स बैट्री के स्ट्रक्चर का भी ध्यान रखते हैं। अभी इलेक्ट्रिक कारों में स्केटबोर्ड लेआउट दिया जा रहा है जहां फ्लोर के नीचे बैट्री को रखा जाता है ऐसे में रिमूवेबल बैट्री लेआउट देने के लिए अलग तरह का स्ट्रक्चरल डिजाइन देना होगा जो काफी मुश्किल साबित हो सकता है। ऐसे में काफी कार मैन्युफैक्चरर्स के लिए ये काफी महंगा सौदा भी साबित हो सकता है।
कई जगहों पर फेल हुआ है ये आइडिया
जैसा कि हमनें आपको पहले भी बताया चार्जिंग टाइम की समस्या से लड़ने के लिए ही बैट्री स्वाइपिंग का आइडिया इजाद किया गया था। जिन कंपनियों ने इसे आजमाया वो आज दिवालिया हो चुकी है। 2012 में डेनमार्क और इजरायल में एक कंपनी ने रेनो के साथ मिलकर फ्लुएंस जेड ई में बैट्री स्वेपिंग टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया था। इसकी ज्यादा यूनिट्स तो नहीं बिकी बल्कि ज्यादा निवेश कर देने से कंपनी घाटे में चली गई और उन्हें काफी नुकसाान हुआ।
अभी भी इसपर किया जा रहा है काम
अभी भी काफी इलेक्ट्रिक पैसेंजर व्हीकल मैन्युफैक्चरर्स की ओर से बैट्री स्वाइपिंग टेक्नोलॉजी को और बेहतर बनाने के लिए काम किया जा रहा है। कई चाइनीज कंपनी इसपर भारी निवेश करके बैठी है जिनमें निओ नाम की कंपनी भी शामिल है। निओ ने हाल ही में चीन में अपना 700वा बैट्री स्वाइपिंग स्टेशन लगाया है और वो इस साल यूरोप में भी अपना पहला स्टेशन शुरू करेगी। दावा किया गया है कि यहां महज 3 मिनट में कारों की बैट्री स्वाइप हो जाएगी। हालांकि ये सर्विस केवल निओ के व्हीकल्स को ही मिलेगी जिसकी शुरूआत ईएस8 इलेक्ट्रिक व्हीकल से होगी।
यहां तक कि अमेरिका में भी एंपल नाम की कंपनी बैट्री स्वेपिंग पर काम कर रही है। हालांकि इस कंपनी के बैट्री स्वेपिंग को लेकर तौर तरीके काफी अलग होंगे जहां ये कंपनी ओरिजनल बैट्री से अपनी बैट्री को रिप्लेस करेगी। इसे मॉड्युलर बैट्री नाम दिया गया है।
इलेक्ट्रिक व्हीकल सेगमेंट को पहुंचेगा फायदा
बैट्री स्वेपिंग सर्वस से 4 व्हीलर्स की खरीद फरोख्त को तो बढ़ावा नहीं मिलेगा मगर ये कुछ मददगार साबित हो सकता है। अभी अफोर्डेबल 2 और 3 व्हीलर की काफी कमी है और बैट्री स्वेपिंग से इन्हें सस्ता करने में काफी मदद मिल सकती है।
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