हाइड्रोजन कारें चलाने पर विचार कर रही सरकार, हुंडई नेक्सो को मिल सकती है हरी झंडी
प्रकाशित: जुलाई 13, 2020 05:58 pm । भानु
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- सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के मसौदे में केंद्रीय मोटर वाहन नियम, 1989 में हाइड्रोजन कारों को शामिल करने का दिया गया है सुझाव
- भारत में फिलहाल कोई भी हाइड्रोजन पावर वाली कार नहीं है मौजूद
- भारत में 2021 तक एफसीईवी नेक्सो को लॉन्च करने की योजना बना रही है हुंडई मोटर्स
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने भारत में हाइड्रोजन फ्यूल सेल से चलने वाले व्हीकल्स के उपयोग का सुझाव देते हुए एक मसौदा तैयार किया है। 10 जुलाई को जारी किए गए मसौदे में केंद्रीय मोटर वाहन नियम, 1989 में हाइड्रोजन फ्यूल सेल से चलने वाली गाड़ियों में सेफ्टी के लिए तय किए गए स्टैंडर्ड को शामिल करने की बात कही गई है।
सबसे पहला सवाल तो ये उठता है कि हाइड्रोजन फ्यूल सेल पावर वाली कार काम कैसे करती है? बता दें कि एक एफसीईवी में फ्यूल सैल होते हैं जो इलेक्ट्रिसिटी प्रोड्यूस करने के लिए हाइड्रोजन गैस का इस्तेमाल करते हैं जिससे गाड़ी की इलेक्ट्रिक मोटर को पावर मिलती है। यह रेगुलर इलेक्ट्रिक कार से काफी अलग होती है जिसमें एक्सटर्नल इलेक्ट्रिसिटी सोर्स से पावर ली जाती है और एक बड़े बैट्री पैक में ये पावर स्टोर होती है।
फिलहाल भारत में एक भी हाइड्रोजन फ्यूल सेल पावर वाली कार मौजूद नहीं है। मगर हुंडई मोटर्स 2021 तक यहां नेक्सो नाम की एफसीईवी को लॉन्च करने के बारे में विचार कर रही है। इस एसयूवी की फिजिबिलिटी के बारे में तो फिलहाल विचार किया जा रहा है, मगर एक अच्छे इंफ्रास्ट्रक्चर के बगैर इसे लॉन्च किया जाना थोड़ा मुश्किल ही है। यदि सबकुछ सही रहा तो आने वाले दो साल में हुंडई नेक्सो (Hyundai Nexo) डीलरशिप्स पर उपलब्ध हो सकती है जिसकी शुरूआत दिल्ली एनसीआर से की जा सकती है।
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वर्तमान में भारत में हर दूसरी गाड़ी या तो पेट्रोल से चलती है या डीजल से। हालांकि कुछ समय से सीएनजी कारों का चलन भी काफी बढ़ गया है, मगर अब भी कई इलाकों में ये लोगों की पहुंच से दूर है। इसी तरह इलेक्ट्रिक व्हीकल्स भी केवल मेट्रो सिटी में ही चल रहे हैं क्योंकि अन्य शहरों में अब भी फास्ट चार्जिंग स्टेशन की दरकार है।
लंबे समय तक जीवाश्म ईंधन जैसे की पेट्रोल और डीजल की उपलब्धता और बड़े पैमाने पर फैल रहे प्रदूषण के बारे में बढ़ती चिंताओं ने स्वाभाविक रूप से वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों को शामिल करने की दिशा में एक बदलाव किया है।
भारत सरकार ने भी आम जनता समेत काफी कंपनियों से इस बारे में सुझाव मांगे हैं। इस बारे में नोटिफिकेशन जारी होने के बाद 30 दिनों के भीतर आप भी डाक या ई-मेल के माध्यम से अपनी राय संयुक्त सचिव (एमवीएल), सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय को भेज सकते हैं।
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