मारुति सुजुकी फ्रॉन्क्स vs टोयोटा ग्लैंजा : कंपेरिजन रिव्यू
प्रकाशित: सितंबर 05, 2023 07:08 pm । भानु । मारुति फ्रॉन्क्स
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फ्रॉन्क्स मारुति सुजुकी की लेेटेेस्ट सब कॉम्पैक्ट क्रॉसओवर कार है। ये उन लोगों के लिए बनी है जो एक ऐसी एसयूवी चाहतें है जिसे रोजाना सिटी में ड्राइव किया जा सके। इसे बलेनो के प्लेटफॉर्म पर ही तैयार किया गया है। बलेनो के मुकाबले फ्रॉन्क्स की ऑन रोड कीमत 3 लाख रुपये ज्यादा है। ऐसे में अब सवाल ये उठता है कि इस गाड़ी के लिए इतनी ज्यादा कीमत देना वाजिब है?
हमनें नई मारुति फ्रॉन्क्स का कंपेरिजन मारुति बलेनो पर ही बेस्ड टोयोटा ग्लैंजा से किया है जिसके बारे में आप जानेंगे आगे:
लुक्स
इस मोर्चे पर मारुति फ्रॉन्क्स के लिए एक्सट्रा पैसा खर्च करना वाजिब नजर आता है क्योंकि इसके लुक्स काफी अच्छे हैं। ये मिनी ग्रैंड विटारा जैसा फील देती है। इसमें रियर 3 क्वार्टर के साथ स्लोपिंग रूफलाइन और कनेक्टेड टेललैंप्स से इसको काफी प्रीमियम लुक मिल रहा है।
इसके अलावा इस कार में ज्यादा स्टाइलिश 16 इंच के अलॉय व्हील्स दिए गए हैं। वहीं व्हील आर्क के चारों ओर क्लैडिंग से इसे एक दमदार लुक भी मिल रहा है। स्पिल्ट हेडलाइट्स और बड़ी सी ग्रिल के साथ आगे से ये छोटी ग्रैंड विटारा जैसी ही लगती है। ज्यादा स्पोर्टी लुक के लिए आप इसे ड्युअल टोन कलर्स में भी ले सकते हैं और ये ऑप्शन आपको ग्लैंजा में नहीं मिलेंगे।
टोयोटा ग्लैंजा |
मारुति सुजुकी फ्रॉन्क्स |
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टोयोटा ग्लैंजा उतनी आकर्षक कार तो नजर नहीं आती है मगर इसका डिजाइन आंखों को जरूर भाता है। इसमें टोयोटा ने कैमरी से इंस्पायर्ड ग्रिल दी है और 8 स्पोक ड्युअल टोन अलॉय व्हील्स दिए हैं। वहीं पीछे की तरफ इसमें नए स्टाइल के एलईडी टेललैंप्स दिए गए हैं।
इंटीरियर
दोनों कारों के डैशबोर्ड का लेआउट एक जैसा है जिनमें 9 इंच फ्लोटिंग टचस्क्रीन इंफोटेनमेंट सिस्टम दिया गया है। दोनों में एक जैसे ही कंट्रोल्स भी दिए गए हैं जो इस्तेमाल करने में भी आसान है। यहां जो चीज दोनों कारों को एकदूसरे से अलग करती है वो है कलर स्कीम। ग्लैंजा में ब्लैक/बैज थीम दी गई है जिससे खुलेपन का अहसास होता है वहीं फ्रॉन्क्स में गोल्ड और सिल्वर इंसर्ट्स के साथ ब्लैक/मरून स्कीम दी गई है जो इसे एक प्रीमियम लुक देती है।
दोनों मॉडल्स में मारुति का 9 इंच टचस्क्रीन इंफोटेनमेंट सिस्टम दिया गया है जिसका इंटरफेस काफी बिजी नजर आता है। मगर एकबार जब आप इसका इस्तेमाल करने लग जाते हैं तो ये सिस्टम सिंपल लगने लगता है। फ्रॉन्क्स में वायरलेस एंड्रॉयड ऑटो एवं एपल कारप्ले कनेक्टिविटी का फीचर एडवांटेज भी मिलता है जिससे आपका फोन बिना किसी रूकावट के आसानी से कनेक्ट हो जाता है। ग्लैंजा में ओटीए अपडेट मिलने के बाद ये फीचर इसमें भी मिलने लगेगा।
दोनों कारों के केबिन में हार्ड प्लास्टिक का इस्तेमाल किया गया है जिसकी क्वालिटी अच्छी है। इनकी फिट और फिनिशिंग क्वालिटी भी अच्छी है। इनमें डोर पैड पर एल्बो रेस्ट और दोनों फ्रंट सीटों के बीच दिए गए आर्मरेस्ट पर पैडिंग का इस्तेमाल किया गया है।
फीचर्स
ग्लैंजा के मुकाबले फ्रॉन्क्स में केवल वायरलेस फोन चार्जर के तौर पर एक्सट्रा फीचर दिया गया है। दोनों कारों में हेड-अप डिस्प्ले, 9-इंच टचस्क्रीन इंफोटेनमेंट सिस्टम, ऑटोमैटिक क्लाइमेट कंट्रोल, स्टीयरिंग-माउंटेड ऑडियो कंट्रोल, क्रूज़ कंट्रोल, पुश-बटन स्टार्ट के साथ कीलेस एंट्री, इलेक्ट्रॉनिकली फोल्डेबल और एडजस्टेबल ओआरवीएम और कलर्ड मल्टी-इंफो डिस्प्ले जैसे फीचर्स कॉमन हैं।
दोनों में छह एयरबैग, चारों ओर तीन-पॉइंट सीटबेल्ट, इलेक्ट्रॉनिक स्टेबिलिटी कंट्रोल, एक 360-डिग्री कैमरा, और रियर पार्किंग सेंसर जैसे सेफ्टी फीचर्स दिए गए हैं।
चूंकि ग्लैंजा के मुकाबले फ्रॉन्क्स एक महंगी कार है इसलिए मारुति को इसमें लैदरेट अपहोल्स्ट्री,वेंटिलेटेड फ्रंट सीट्स और सनरूफ जैसे फीचर्स भी देने चाहिए थे।
स्पेस और प्रैक्टिकैलिटी
फ्लोर हाईट उंची होने के कारण फ्रॉन्क्स के केबिन में दाखिल होना या उससे बाहर निकलना आसान बन जाता है।
दोनों कारों की फ्रंट सीट्स एक जैसी ही है जहां बैठकर एक जैसा ही कंफर्ट मिलता है। मोटी साइड बोलस्ट्रिंग के कारण आपको अच्छा सपोर्ट भी मिलता है जिसकी कुशनिंग काफी सॉफ्ट है और यहां ज्यादा चौड़े व्यक्ति भी आराम से बैठ सकते हैं। यहां तक कि इनमें अच्छा अंडरथाई सपोर्ट भी मिलता है और आप आराम से लंबा सफर काट सकते हैं। साथ ही दोनों ही कारों में आपको एक अच्छी ड्राइविंग पोजिशन भी मिल जाती है ।
रियर पोर्शन में चीजों में अंतर साफ नजर आता है। फ्रॉन्क्स में रिक्लाइंड सीट एंगल और स्लोपिंग रूफलाइन होने के कारण रियर सीट पर अच्छा हेडरूम स्पेस मिल जाता है।
हालांकि इसमें बाहर का व्यू अच्छे से नहीं मिल पाता है। वहीं ग्लैंजा में अपराइट रिक्लाइन एंगल होने के कारण ये दिक्कत नहीं आती है। यानी 6 फुट से ज्यादा लंबे कद के पैसेंजर को थोड़ा कम हेडरूम मिलता है।
रियर सीट कंफर्ट के मोर्चे पर दोनों कारें समान ही नजर आती हैं। दोनों में ही अच्छा खासा लेगरूम स्पेस दिया गया है और 6 फुट तब के लंबे लोग भी एकदूसरे के आगे पीछे आराम से बैठ सकते हैं। इनकी सीट की चौड़ाई को देखते हुए कहा जा सकता है कि यहां दो वयस्क और बीच में एक बच्चा आराम से बैठ सकता है। दोनों कारों में ठीक ठाक अंडरथाई सपोर्ट और लेटरल सपोर्ट मिल जाता है और फुट स्पेस भी संतोषजनक है। मगर बता दें कि यदि आप फ्रॉन्क्स का माइल्ड हाइब्रिड वेरिएंट लेते हैं तो लेफ्ट फ्रंट सीट के नीचे बैटरी को रखा गया है जिससे फुट स्पेस कम हो जाता है।
पीछे बैठने वाले पैसेंजर्स के लिए दोनों ही कारों में रियर एसी वेंट्स,टाइप सी और यूएसबी चार्जर दिए गए हैं।
स्पेस और प्रैक्टिकैलिटी की जब बात आती है तो दोनों कारें एकसमान लगती हैं। इनमें ड्राइवर साइड एसी वेंट के नीचे एक स्लॉट दिया गया है जहां आप अपना वॉलेट रख सकते हैं वहीं ग्लवबॉक्स में एक लीटर तक की बॉटल और दूसरे सामान रखे जा सकते हैं। चारों दरवाजों पर दिए गए डोर पॉकेट्स में 1 लीटर की बॉटल दूसरे छोटे मोटे आइटम्स रखे जा सकते हैं। वहीं एसी वेंट्स के नीचे दो कपहोल्डर्स भी इनमें दिए गए हैं।
बूट स्पेस की बात की जाए तो ग्लैंजा में 318 लीटर का बूट स्पेस दिया गया है जबकि फ्रॉन्क्स में 308 लीटर का ऑन पेपर बूट स्पेस बताया गया है। मगर रियर लाइफ में इससे कोई ज्यादा फर्क नहीं पड़ता है। इनके बूट का शेप रेक्टेंगुलर है जहां एक बड़ा,मीडियम और छोटा सूटकेस रखा जा सकता है और इसके बाद भी कोई छोटा बैग भी आप यहां रख सकते है। हालांकि लोडिंग लिप उंची होने के कारण आपको सामान रखने में थोड़ी परेशानी जरूर आती है।
परफॉर्मेंस
इस टेस्ट में हमनें ग्लैंजा के 1.2 लीटर पेट्रोल मैनुअल मॉडल और फ्रॉन्क्स के 1 लीटर टर्बो पेट्रोल मैनुअल मॉडल को ड्राइव किया है। बता दें कि फ्रॉन्क्स के लोअर वेरिएंट्स में आपको 1.2 लीटर पेट्रोल इंजन का भी ऑप्शन मिल जाएगा।
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टोयोटा ग्लैंजा 1.2-लीटर पेट्रोल |
मारुति फ्रॉन्क्स 1-लीटर टर्बो-पेट्रोल |
इंजन |
1.2-लीटर नैचुरली एस्पिरेटेड 4-सिलेंडर पेट्रोल |
1-लीटर 3-सिलेंडर टर्बो-पेट्रोल |
पावर ( पीएस) |
90 पीएस |
100 पीएस |
टॉर्क ( एनएम) |
113 एनएम |
148 एनएम |
ट्रांसमिशन ऑप्शंस |
5-स्पीड मैनुअल / 5-स्पीड एएमटी |
5-स्पीड मैनुअल / 6-स्पीड ऑटोमैटिक |
यहां फ्रॉन्क्स में मारुति का 1 लीटर टर्बो पेट्रोल इंजन ज्यादा अच्छा नजर आता है। ये काफी रिफाइंड है और इसे ड्राइव करने में काफी स्मूद और रेस्पॉन्सिव महसूस होता है। आप हाई गियर पर भी आराम से लगातार चल सकते हैं और ये तुरंत स्पीड भी पकड़ने लगता है। इसका गियरबॉक्स भी काफी अच्छा है और क्लच पैडल हल्का है जिससे सिटी में ड्राइव करना आसान हो जाता है।
फ्रॉन्क्स हाईवे के हिसाब से भी काफी अच्छी कार है और इसे पूरा दिन 100 किलोमीटर प्रति घंटे से ज्यादा की रफ्तार पर आराम से ड्राइव किया जा सकता है। इसकी पावर डिलीवरी भी स्मूद है और टर्बो आने के बाद ये और ज्यादा पावरफुल हो जाती है। हालांकि आपको ओवरटेकिंग के लिए आपको एक गियर डाउन करना ही पड़ता है।
दूसरी तरफ ग्लैंजा में दिया गया 1.2 लीटर नैचुरली एस्पिरेटेड पेट्रोल इंजन भी रेस्पॉन्सिव है। फ्रॉन्क्स की तरह इसके कंट्रोल्स भी काफी लाइट है और सिटी में ड्राइव करने में आपको कोई परेशानी नहीं आएगी। ग्लैंजा आराम से 100 किलोमीटर प्रति घंटे से ज्यादा स्पीड आराम से पकड़ लेती है। यदि कार में 5 पैसेंजर्स बैठे हो और आपको किसी दूसरे व्हीकल को ओवरटेक करना हो या फिर आप पहाड़ चढ़ रहें हो आपको इंजन पर थोड़ा जोर डालना पड़ता है।
राइड और हैंडलिंग
सॉफ्ट सस्पेंशन सेटअप के साथ ग्लैंजा में अच्छी राइड क्वालिटी मिलती है। ये खराब से खराब सड़क पर आराम से चलती है। मगर फ्रॉन्क्स इस मामले में एक कदम आगे है।
फ्रॉन्क्स की राइड क्वालिटी काफी फ्लैट है। ये ग्लैंजा के मुकाबले गड्ढों का बेहतर तरीके से सामना करती है क्योंकि इसके सस्पेंशन का ट्रेवल लंबा है। ग्लैंजा में सफर करते वक्त कोई बड़ा गड्ढा आने पर आपको कार को स्लो करना पड़ता है।
फ्रॉन्क्स में थोड़े स्टिफ सस्पेंशन सेटअप दिए गए हैं जिससे खराब रास्तों पर चलते हुए आपको साइड टू साइड मूवमेंट महसूस होता है। ग्लैंजा में भी आपको थोड़ा बॉडी मूवमेंट महसूस होगा मगर ये चीज आपको अनकंफर्टेबल नहीं करती है। दोनों ही कारें उतार चढ़ाव वाले रास्तों का सामना आराम से कर लेती है और जल्दी से सैटल हो जाती है।
खुले रास्तों पर दोनों मॉडल्स को चलाते वक्त आपको इनकी स्ट्रेथ लाइन स्टेबिलिटी के कारण कॉन्फिडेंस मिलता रहता है और ये काफी अच्छे से स्पीड पकड़ लेती है। एकदम ये यदि आप अपना डायरेक्शन चेंज करते हैं तो भी आपको कोई खतरा नहीं रहता है। वहीं दोनों कारों की ब्रेकिंग भी काफी अच्छी है।
कीमत और निष्कर्ष
टोयोटा ग्लैंजा |
मारुति सुजुकी फ्रॉन्क्स |
ई मैनुअल - 6.81 लाख रुपये |
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सिग्मा 1.2-लीटर मैनुअल - 7.47 लाख रुपये |
एस मैनुअल - 7.7 लाख रुपये |
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एस एएमटी - 8.25 लाख रुपये |
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डेल्टा 1.2-लीटर मैनुअल - 8.33 लाख रुपये |
जी मैनुअल - 8.73 लाख रुपये |
डेल्टा+ 1.2-लीटर मैनुअल - 8.73 लाख रुपये |
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डेल्टा 1.2-लीटर एएमटी - 8.88 लाख रुपये |
जी एएमटी - 9.28 लाख रुपये |
डेल्टा+ 1.2-लीटर एएमटी - 9.28 लाख रुपये |
वी मैनुअल - 9.73 लाख रुपये |
डेल्टा + 1-लीटर मैनुअल - 9.73 लाख रुपये |
वी एएमटी - 10 लाख रुपये |
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जेटा 1-लीटर मैनुअल - 10.56 लाख रुपये |
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अल्फा 1-लीटर मैनुअल - 11.48 लाख रुपये |
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जेटा 1-लीटर ऑटोमैटिक - 12.06 लाख रुपये |
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अल्फा 1-लीटर ऑटोमैटिक - 12.98 लाख रुपये |
तो क्या ग्लैंजा के मुकाबले फ्रॉन्क्स की ज्यादा कीमत ठहराती है इसे वाजिब?
केस1: टॉप वेरिएंट्स
यदि आप टॉप वेरिएंट लेने के बारे में सोच रहे हैं तो हम आपको थोड़े ज्यादा पैसे मिलाकर फ्रॉन्क्स लेने की सलाह देंगे। इसके नैचुरली एस्पिरेटेड वेरिएंट्स के मुकाबले 1 लीटर टर्बो पेट्रोल वेरिएंट्स की कीमत 1 लाख रुपये ज्यादा है मगर इतनी एक्सट्रा कीमत चुकाना वाजिब ही लगता है। इस एक्सट्रा कीमत के बदले में आपको एक्सटीरियर में ज्यादा प्रीमियम लुक्स,फन टू ड्राइव एक्सपीरियंस और एक एसयूवी कार होने का फैक्टर भी मिल जाएगा। यदि आप फ्रॉन्क्स के ऑटोमैटिक वेरिएंट्स लेते हैं तो इस कार में आपको ज्यादा फुर्तिला और स्मूद शिफ्टिंग वाला 6 स्पीड ऑटोमैटिक गियरबॉक्स का ऑप्शन मिल जाएगा जबकि ग्लैंजा का 5 स्पीड एएमटी थोड़ा स्लो है।
केस2: ग्लैंजा के टॉप वेरिएंट की कीमत फ्रॉन्क्स के मिड वेरिएंट्स की कीमत है बराबर
यदि आप ग्लैंजा का टॉप वेरिएंट लेना चाह रहे हैं तो आपको इसी कीमत पर फ्रॉन्क्स के मिड वेरिएंट्स मिल जाएंगे मगर हम फिर भी आपको ग्लैंजा लेने की सलाह देेंगे। इसके पीछे कारण ये है कि ग्लैंजा के टॉप वेरिएंट्स में आपको ज्यादा फीचर्स मिलेंगे और इनमें फ्रॉन्क्स के समान ही कंफर्ट और प्रैक्टिकैलिटी मिलेगी।