गुड न्यूज़ राउंडअप: कोरोना से जंग जारी, ऐसे हो रही है जीत की तैयारी

संशोधित: मई 04, 2020 12:32 pm | भानु

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कोरोना नाम के अदृश्य दुश्मन से मानव सभ्यता डटकर सामना कर रही है। दुनियाभर में फैली इस महामारी को रोकने के लिए सरकारी से लेकर चिकित्सीय प्रयास किए जा रहे हैं, जहां कुछ हद तक हमें कामयाबियां भी मिल रही हैै। इस बात की गवाह, सफलता की ये 5 कहानियां हैं जिनके बारे में आप आगे विस्तार से जानेंगे:

10 लाख से ज्यादा लोग ठीक हो चुके हैं इस बीमारी से 

दुनियाभर में कोरोनावायरस से अब तक 10 लाख से ज्यादा लोग ठीक हो चुके हैं। अकेले स्पेन और जर्मनी में ही करीब 2.5 लाख लोग कोविड-19 से उबर चुके हैं। कई देशों ने इस बीमारी के फैलाव की गति को धीमा करने के लिए ऐहतियात भरे कदम उठाए हैं और हमारे वैज्ञानिक भी कोरोनोवायरस महामारी के लिए टीके और इलाज विकसित करने के करीब पहुंच रहे हैं। संक्रमित लोगों के ठीक होने के लिए शुरुआत में ही इनमें पनपे लक्षण की पहचान भी एक महत्वपूर्ण पहलू रहा है।

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सितंबर तक वैक्सीन तैयार कर सकते हैं ऑक्सफोर्ड के वैज्ञानिक

दुनियाभर की काफी सारी चिकित्सा संस्था और फार्मास्यूटिकल कंपनी कोरोना से बचाव और इसके खात्मे के लिए वैक्सीन तैयार करने में जुटी है। अनुमान लगाए जा रहे हैं कि कोरोना वायरस से बचाव के लिए वैक्सीन तैयार होने में करीब एक साल से ज्यादा का समय लग सकता है, मगर ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के एक समूह ने इस प्रक्रिया को गति देने का एक तरीका खोज लिया है। यदि इन वैज्ञानिकों द्वारा तैयार की गई वैक्सीन प्रभावी और सुरक्षित साबित होती है और उन्हें नियामकों से आपातकालीन स्वीकृति मिल जाती है, तो पहली 10 लाख खुराक सितंबर 2020 तक उपलब्ध कराई जा सकती है।

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के वैज्ञानिकों के एक अन्य बैच ने पिछले महीने ऑक्सफोर्ड वैक्सीन को 6 रीसस मकैक बंदरों पर आज़माया था। इसके बाद इन बंदरों को कोविड-19 वायरस की भारी मात्रा के बीच छोड़ा गया जिसके 28 दिन बाद भी ये बंदर स्वस्थ ही नज़र आए। इससे कुछ हद तक ऑक्सफोर्ड वैक्सीन की क्षमता साबित होती है और माना जा रहा है कि मावन पर भी ये प्रभावी साबित हो सकती है। 

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कई देशों में लॉकडाउन हटाने की कवायद हुई तेज

फ्रांस, इटली और स्पेन कोरोना महामारी से सबसे बुरी तरह प्रभावित हुए हैं, मगर अब यहां मरीजों की रिकवरी रेट में भी इजाफा देखने को मिल रहा है। नतीजतन, इन देशों में धीरे-धीरे लॉकडाउन को हटाने की कवायद शुरू की जा रही है। अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए इटली में सोशल डिस्टेंसिंग की पालना का ध्यान रखते हुए फैक्ट्रियों में कामकाज शुरू होगा। वहीं, स्पेन में कोरोना से मौत की संख्या में आई कमी को देखते हुए वहां की सरकार बच्चों को राहत देने जा रही है। लॉकडाउन के 6 सप्ताह बाद अब बच्चों को एक घंटा बाहर खेलने की इजाजत मिलेगी। फ्रांस में भी लगातार मौतों की संख्या में कमी देखने को मिल रही है। 

न्यूजीलैड और ऑस्ट्रेलिया जैसे देश भी अपने यहां नॉन एसेंशियल कैटेगरी में आने वाले बिजनेस को फिर से शुरू करने के बारे में सोच रहे हैं। हालांकि उनके यहां समय रहते शटडाउन और बड़े पैमाने पर परीक्षण ने बीमारी को नियंत्रित करने में मदद की, दोनों देशों को पता है कि यदि इस अवधि के दौरान वे पर्याप्त सावधानी नहीं बरतते हैं तो संक्रमण दर फिर से बढ़ सकती है। भारत में भी कई शहरों को जोन के हिसाब से बांटा गया है और यहां लॉकडाउन को बढ़ाने के साथ सरकार ने कुछ क्षेत्रों को बड़ी राहत दी है। 

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कोविड-19 की दवा तैयार करने के लिए गेमर्स की ली जाएगी मदद

माना जाता है कि गेमिंग और साइंस एक दूसरे के पर्याय हैं। ऐसे में गेमर्स कोविड-19 वायरस की दवा तैयार करने में वैज्ञानिकों की मदद कर सकते हैं। "फोल्डिट" नाम के गेम में प्लेयर्स को वैज्ञानिकों की मदद के लिए प्रोटीन तैयार करने के लिए 3डी में जटिल पहेली को हल करने का चैलेंज दिया जाता है। इसके बाद वैज्ञानिक इस गेम से तैयार किए गए डेटा का विश्लेषण करते हैं और ये निष्कर्ष निकालते हैं कि क्या कोई खिलाड़ी कुछ ऐसा बनाता है जो प्रोटीन के लिए व्यवहार्य डिजाइन साबित हो सकता है। 

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यह एक सिद्ध अभ्यास भी है क्योंकि फोल्डिट खिलाड़ियों ने पहले भी वैज्ञानिकों को बेहतर एंजाइम बनाने और जीवन रक्षक दवाओं में इस्तेमाल किए जाने वाले कंपाउंड के क्रिस्टलीय संरचनाओं को बनाने में मदद की है।

इस प्रोजेक्ट को 'गम अप द की-होल' नाम दिया गया है। कोरोना वायरस को लेकर वैज्ञानिकों का मानना है कि इस वायरस में एक लंबी स्पाइक होती है जो हमारी कोशिकाओं को घेर लेती है और ताले की तरह खुद को बंद कर लेती है फिर ये हमारे सेल्स को संक्रमित करती हुई तेजी से फैलने लगती है। फोल्डिट गेम का उपयोग वैकल्पिक प्रोटीन की खोज करने के लिए किया जा रहा है जो उसी लॉक को फिट करता है जो वायरस को सेल तक पहुंचने से रोक सकता है। इसलिए गेमर्स को दिए जाने वाले इस चैलेंज को  “gum up the keyhole” नाम दिया गया है। यह विशेष समाधान सेल्फ वैक्सीन या कोरोनावायरस के इलाज में मदद तो नहीं करेगा, लेकिन यह COVID-19 रोगियों को जीवित रहने का बेहतर मौका देने में मदद करेगा। 

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कॉमेडियन और कार कलेक्टर ‘जे लेनो’ अपने गैराज में तैयार कर रहे हैं फेस शील्ड

अमेरिका में जे लेनो काफी जाना पहचाना नाम है। ये अपने कार कलेक्शन को लेकर लोगों के बीच काफी फेमस हैं। ये सेलेब्रिटी कॉमेडियन अपनी नायाब कारों का कलेक्शन बड़े-बड़े गैराजों में करते हैं। कोरोना महामारी को देखते हुए जे ने अपने गैराज में फेसशील्ड तैयार करने का फैसला किया।

लेनो अप्रैल माह से लगातार 3डी प्रिंटर की मदद से प्लास्टिक के फेस​शील्ड तैयार करने में जुटे हैं। लेनो और उनके निकटतम सहयोगियों ने प्रत्येक सप्ताह के अंत में सभी मास्क को इकट्ठा करते हैं और उन्हें स्थानीय अग्निशमन विभाग को सौंप देते हैं, जो फिर बाद में आपातकालीन सेवाओं से जुड़े फ्रंट लाइन वॉरियर्स और अस्पताल कर्मियों के बीच भी वितरित होता है। 

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