Login or Register for best CarDekho experience
Login

मानसून के दौरान इलेक्ट्रिक कारें नहीं हैं सेफ, जानिए इस बात में कितनी है सच्चाई!

संशोधित: जुलाई 29, 2020 11:50 am | cardekho

भारत के कार बाजार में इन दिनों धीरे-धीरे ही सही लेकिन इलेक्ट्रिक कारों के प्रति लोगों का रूझान बढ़ने लगा है और अब कार कंपनियां भी इस सेगमेंट पर अच्छे से काम कर रही है। चूंकि देश में इलेक्ट्रिक कारों का सेगमेंट नया है तो ऐसे में मानसून के इस मौसम में लोगों के मन में इनके लिए कुछ मिथक भी है। तो मानसून के मौसम में इलेक्ट्रिक कारें हैं कितनी सेफ, ये जानेंगे यहांः-

मिथ 1: जलभराव वाले एरिया में इलेक्ट्रिक वाहन खराब हो जाते हैं

हकीकत: इलेक्ट्रिक वाहनों में एक इनग्रेस प्रोटेक्शन (आईपी) सिस्टम होता है। इलेक्ट्रिक गाड़ियों के हिसाब से उनकी विषिष्ट आईपी रेटिंग आईपी65 या आईपी67 हो सकती है। ये रेटिंग आपकी गाड़ी को धूल और पानी से सुरक्षा देती है। इसमें रेटिंग नंबर जितना ज्यादा होगा आपकी गाड़ी की सुरक्षा उतनी ही ज्यादा होगी। वर्तमान में इलेक्ट्रिक गाड़ियों की बैटरी की रेटिंग आईपी67 है। इस रेटिंग को काफी अच्छा कह सकते हैं क्योंकि आमतौर पर पनडुब्बियों जैसे उपकरणों की रेटिंग भी इतनी ही होती है। आईपी67 रेटिंग वाली इलेक्ट्रिक गाड़ी को आप बिना किसी जगह लीक हुए 30 मिनट तक पानी में चला सकते हैं। अगर आप ऐसे एरिया में रहते हैं जहां अक्सर बाढ़ जैसा माहौल बना रहता है तो वहां पर आपको 300 मिलीमीटर तक पानी भरने के दौरान किसी प्रकार की चिंता करने की जरूरत नहीं है। इलेक्ट्रिक कार को ज्यादा पानी में चलाने पर नुकसान नहीं होता है और ना ही उस दौरान पानी में करंट आने की संभावनाएं रहती है। इनकी बैटरी के अंदर लगे सभी सिस्टम को कई लेअर से प्रोटेक्ट किया जाता है जिससे ये गहरे पानी में भी चल सकती है। वहीं कार की मैन बैटरी पैक में अपने आप इलेक्ट्रिक से दूर रखने की क्षमता होती है जिससे करंट आने की संभावनाएं खत्म हो जाती है।

मिथ 2: इलेक्ट्रिक वाहनों पर बिजली गिरने की संभावनाएं ज्यादा हैं

हकीकत: मानसून के दौरान कभी-कभी कुछ आकस्मिक घटनाएं होती रहती है। अधिकांश लोगों का मानना है कि ऐसे मौसम में इलेक्ट्रिक वाहनों पर बिजली गिरने की संभावनाएं ज्यादा होती है। हालांकि वास्तविक में ऐसा कुछ नहीं है। अगर किसी वजह से आकाशीय बिजली आपकी कार पर गिर भी जाती है तो भी आप इसमें सुरक्षित रह सकते हैं। बिजली आपकी गाड़ी के मैटल सरफेस वाले एक्सटीरियर से टकराएगी और फिर सीधे जमीन में चली जाएगी। इसे फराडे इफेक्ट कहते हैं। एनएचटीएसए की एक रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया गया है कि आईसीई वाहनों की तरह इलेक्ट्रिक गाड़ियों पर भी बिजली गिरने की संभावना ज्यादा नहीं है।

मिथ 3 : बारिश में इलेक्ट्रिक व्हीकल को चार्ज करना काफी खतरनाक है

हकीकत: अधिकतर लोगों को लगता है कि बारिश में इलेक्ट्रिक व्हीकल को चार्ज करना बिलकुल भी सुरक्षित नहीं है, क्योंकि पानी बिजली का संचालन करता है। लेकिन, इलेक्ट्रिक कार चार्जर हर तरह के मौसम से बचाव करते हैं। यह चार्जर वेदरप्रूफ होते हैं और कार का बचाव करने के साथ-साथ व्यक्ति को इलेक्ट्रिकल शॉक से भी बचाते हैं। इलेक्ट्रिक व्हीकल के चार्जर का पूरी सावधानी बरतते हुए टेस्ट किया जाता है और ऐसे चार्जर का सभी स्टैंडर्ड सुरक्षा मानदंडों का पालन करना बेहद जरूरी है। इसके अलावा इलेक्ट्रिकल कनेक्टर्स और अन्य इलेक्ट्रिक उपकरणों को वाटरप्रूफ बनाना भी आवश्यक है।

मिथ 4 : एंसिलरी कॉम्पोनेंट्स का इस्तेमाल करना इलेक्ट्रिक कार की रेंज को प्रभावित करता है

हकीकत: इलेक्ट्रिक व्हीकल में एंसिलरी कॉम्पोनेंट्स (एयर कंडीशनर या फिर लाइट) का इस्तेमाल होने से कार की बैटरी की खपत पर ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ता है। मॉनसून के मौसम में विंडस्क्रीन वाइपर, डिफॉगर और हेडलाइट व टेल लैंप्स का इस्तेमाल करना भी ईवी की रेंज को बिलकुल प्रभावित नहीं करता है। बैटरी पैक को डिजाइन करते समय इन सहायक उपकरणों द्वारा बिजली की खपत का पहले से ही पूरा ध्यान रखा जाता है।

इलेक्ट्रिक कारों को प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करने के हिसाब से बनाया गया है। मानसून सीजन में यह कारें आईसीई इंजन से लैस मॉडल्स की तरह ही अच्छी राइड्स देने में सक्षम होती हैं। जैसा कि अधिक से अधिक उपयोगकर्ता इलेक्ट्रिक वाहनों का अनुभव करेंगे, इन कारों के बारे में गलत धारणाएं और मिथ्स दूर हो जाएंगे।

c
द्वारा प्रकाशित

cardekho

  • 2544 व्यूज़
  • 0 कमेंट्स

Write your कमेंट

Read Full News

ट्रेंडिंग इलेक्ट्रिक कारें

  • पॉपुलर
  • अपकमिंग
नई दिल्ली में *एक्स-शोरूम कीमत