रेनो ट्राइबर Vs मारुति सुजुकी अर्टिगा : कंपेरिजन रिव्यू

Published On मई 22, 2020 By भानु for रेनॉल्ट ट्राइबर

क्विड की अपार सफलता के बाद रेनो ने भारतीय बाजार में ट्राइबर एमपीवी को लॉन्च किया है। रेनो क्विड एक फीचर लोडेड कार होने के साथ किसी एसयूवी जैसा अहसास देती है जो कि केवल अफोर्डेबल बड़ी कारों में ही मिलता है। 7-सीटर एमपीवी सेगमेंट को टार्गेट करते हुए रेनो ने ट्राइबर के साथ भी कुछ ऐसा ही करने की कोशिश की।

ट्राइबर की प्राइस के हिसाब से तो इसका सीधे तौर पर किसी कार से कोई मुकाबला नहीं है। हालांकि इस प्राइस पॉइन्ट पर लोग स्विफ्ट या ग्रैंड आई10 जैसी हैचबैक खरीदना पसंद करते हैं। लेकिन जिस ग्राहक की पसंद मारुति अर्टिगा एमपीवी हो और उसके पास बजट की कमी है तो फिर वो ट्राइबर के बारे में सोच सकता है। 

क्या रेनो ट्राइबर अर्टिगा का एक बेहतरीन विकल्प है? जानेंगे इस कंपेरिजन रिव्यू के जरिए:-

टेस्ट की गई कारें

रेनो ट्राइबर

वेरिएंट: आरएक्सजेड

कीमत: 6.63 लाख रुपये (एक्स-शोरूम नई दिल्ली)

मारुति सुजुकी अर्टिगा

वेरिएंट: स्मार्ट हाइब्रिड जेडएक्सआई+

कीमत: 9.61 लाख रुपये (एक्स-शोरूम नई दिल्ली)

अर्टिगा में रेनो ट्राइबर से बड़ा इंजन दिया गया है जिससे ये कार काफी अच्छा परफॉर्म करती है। दूसरी तरफ ट्राइबर भी चलाने में काफी अच्छी कार है, मगर फुल लोडेड होने पर ये दबाव महसूस करने लग जाती है। 

सिटी में फर्स्ट और सेंकड गियर पर इस कार को चलाते हुए थोड़ी परेशानी होती है, मगर थर्ड गियर पर आने के बाद ये 20 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से आगे आराम से चलने लगती है। इस दौरान गाड़ी में 7 पैसेंजर भी बैठे हो तो भी कार को कोई समस्या नहीं होती। 

हाईवे पर जब आप इस कार को अकेले ड्राइव कर रहे हों तो 90 किलोमीटर प्रति घंटे से लेकर 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार पर इसे मेंटेन किया जा सकता है, मगर जब कार में आपके अलावा अन्य 6 पैसेंजर सवार हो तब ये स्पीड हासिल करना थोड़ा मुश्किल हो जाता है। ऐसे में हमारा सुझाव है कि आप इसे 70 से 80 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड पर ही चलाएं और जल्दी से ओवरटेक करने का प्रयास भी ना करें। 

राइड क्वालिटी

सिटी में ट्राइबर खराब सड़कों और गड्ढों को आराम से झेल लेती है। केबिन फुल होने पर तो इसमें झटकों का मुश्किल ही अहसास होता है। रेनो ने इसके सस्पेंशन को फुल पैसेंजर लोड के हिसाब से ही ट्यून किया है। 

अर्टिगा में बैठने के बाद हमें बड़ी हैरानी हुई कि इसमें साइड टू साइड और वर्टिकल मूवमेंट ज्यादा ​महसूस होता है। स्पीड ब्रेकर पर इसके सस्पेंशन ट्राइबर जितना कंफर्टेबल नहीं हैं। फुल लोड के बावजूद भी ये परेशानियां दूर नही होती।

 

वैसे इससे पहले जब हमने अर्टिगा की टेस्ट राइड की थी तो हमें ऐसी ​कोई ​शिकायत नहीं रही थी, मगर ट्राइबर को चलाने के बाद हमें महसूस हुआ कि इसकी राइड क्वालिटी अर्टिगा के मुकाबले बेहतर है। 

इंटीरियर

ट्राइबर के केबिन में हार्ड प्लास्टिक का उपयोग किया गया है और इसकी ओवरऑल फिट और फिनिशिंग भी काफी अच्छी है। हालांकि इस अफोर्डेबल एमपीवी में कुछ प्रीमियम एलिमेंट्स की कमी जरूर महसूस होती है। 

ट्राइबर का केबिन वैसे तो काफी अच्छा है, मगर अर्टिगा के केबिन से इसकी तुलना नहीं की जा सकती है। बैज कलर की फिनिशिंग वाला अर्टिगा का केबिन काफी बड़ा है। बैज कलर की वजह से ही इसके केबिन में खुलेपन का अहसास होता है। इसकी फिट और फिनिशिंग ट्राइबर से कही ज्यादा अच्छे लेवल की है। हालांकि, बैज कलर होने से इसमें दाग धब्बे दिखने लगते हैं जो कि ट्राइबर के ड्यून टोन वाले केबिन में नजर नहीं आते हैं। 

ट्राइबर के केबिन में आप काफी सामान रख सकते हैं। इसके फ्रंट में दो ग्लव बॉक्स दिए गए हैं जिनमें से एक कूल्ड ग्लव बॉक्स है। सेंटर कंसोल में दो शेल्फ दी गई है आगे की दोनों सीटों के बीच में कूल्ड स्टोरेज एरिया भी दिया गया है। वहीं, थर्ड रो पर मोबाइल जैसे छिटपुट सामान रखने के लिए भी स्टोरेज स्पेस दिया गया है। 

दूसरी तर​फ अर्टिगा में केवल एक ही ग्लव बॉक्स दिया गया है। हालांकि इसकी फ्रंट रो में कूल्ड कपहोल्डर का फीचर मौजूद है। इसके सेंटर कंसोल में केवल एक शेल्फ दी गई है और थर्ड रो में बॉटल या स्मार्टफोन रखने के लिए स्टोरेज स्पेस दिया गया है। 

रेनो ट्राइबर की सेकंड रो अर्टिगा की सेकंड रो से छोटी है। मतलब यहां तीन पैसेंजर को सिकुड़कर बैठना पड़ सकता है। हालांकि, सेकंड रो में आर्मरेस्ट का फीचर नहीं दिया गया है जिससे बीच में बैठने वाले पैसेंजर को अच्छा बैक सपोर्ट मिलता है। 

थर्ड रो में जाने के लिए ट्राइबर में वन टच टंबल फॉरवर्ड का फीचर भी दिया गया है। मगर अर्टिगा के डोर इतने बड़े हैं कि सेकंड रो की सीटों को ज्यादा आगे किया बिना ही थर्ड रो पर आराम से पहुंचा जा सकता है। 

अर्टिगा की थर्ड रो भी ज्यादा स्पेशियस है। इन सीटों का बेस लंबा है और यहां अच्छा अंडर थाई सपोर्ट मिलता है। कुल मिलाकर ट्राइबर के मुकाबले अर्टिगा की थर्ड रो ​सीटों पर ज्यादा देर तक बिना तकलीफ के बैठा जा सकता है। ट्राइबर की थर्ड रो में सीटबेल्ट का फीचर नहीं दिया गया है जो कि कंपनी को देना चाहिए था। 

हालांकि ट्राइबर की थर्ड रो उतनी भी खराब नहीं है। सिटी में छोटी राइड्स के दौरान यहां कंफर्टेबल होकर बैठा जा सकता है, हां मगर लंबी दूरी तय करते वक्त यहां पैसेंजर्स को कुछ परेशानियां हो सकती है। 

बूट स्पेस

अर्टिगा के मुकाबले ट्राइबर में कम बूटस्पेस दिया गया है, क्योंकि इस कार का साइज अर्टिगा से कम है। 

हालांकि थर्ड रो की सीटों को फोल्ड कर दिया जाए तो इसमें ज्यादा बूट स्पेस तैयार किया जा सकता है। 

मगर ट्राइबर में इतना कुछ करने के बावजूद अर्टिगा में फिर भी ज्यादा बूट स्पेस मिलता है। 

फीचर्स

इन दोनों कारों के ब्रॉशर को जब आप देखोगे तो आपको ये जानकर हैरानी होगी कि दोनों कारों में कुछ-कुछ फीचर्स एक जैसे ही हैं। ज्यादा हैरानी तो तब होगी जब आपको पता चलेगा कि ट्राइबर में कुछ ऐसे फीचर्स भी दिए गए हैं जो कि अर्टिगा में मौजूद नहीं है। वहीं अर्टिगा के मामले में भी कुछ ऐसा ही सामने आता है। अब ऐसा होना लाजमी भी है क्योंकि दोनों कारों के बीच में 3 लाख रुपये का फर्क जो है। 

दोनों कारों के कॉमन फीचर्स पर नजर डालें तो इनमें ड्यूल एयरबैग, 6-स्पीकर से लैस टचस्क्रीन इंफोटेनमेंट सिस्टम, सेकंड और थर्ड रो पर एसी वेंट्स, पुश बटन स्टार्ट स्टॉप, सभी रो पर 12 वोल्ट का पावर सॉकेट शामिल है। 

जहां रेनो ट्राइबर में स्टैंडआउट फीचर के तौर पर दो कूल्ड ग्लव बॉक्स, दो एक्स्ट्रा एयरबैग, बड़ी टचस्क्रीन, एलईडी इंस्ट्रूमेंट क्लस्टर और एलईडी डेटाइम रनिंग लैंप दिए गए हैं। 

वहीं अर्टिगा में अलग से फॉगलैंप, सेकंड रो पर हाईट एडजस्टेबल सीटबेल्ट्स और अलॉय व्हील्स दिए गए हैं। 

निष्कर्ष

यदि आप केवल सिटी में ही ज्यादातर ड्राइव करते हैं तो आपके लिए ट्राइबर एक बहुत अच्छी एमपीवी साबित होगी। ये कार छोटा-मोटा व्यापार करने वालों के लिए भी काफी किफायती साबित हो सकती है। दूसरी तरफ अर्टिगा को ऑलराउंडर कहा जा सकता है जिसे लंबी दूरी की यात्राओं पर भी ले जाया जा सकता है। इसका ज्यादा पावरफुल इंजन फुल पैसेंजर लोड के साथ आपको एक शहर से दूसरे शहर में बिना किसी परेशानी के ले जाने का दम रखता है।

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