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अब जीपीएस से होगी टोल टैक्स की वसूली: हाईवे पर 20 किलोमीटर का सफर फ्री, फिर जितनी यात्रा उतना लगेगा टोल, जानिए कैसे काम करेगा जीएनएनएस सिस्टम

प्रकाशित: सितंबर 12, 2024 02:28 pm । भानु

  • भारत के सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने नए जीएनएसएस बेस्ड टोल कलेक्शन सिस्टम में संशोधन करने का किया ऐलान
  • देश के नेशनल हाईवे और एक्सप्रेस-वे पर "पे एज यू यूज" बेसिस पर टोल चार्ज करता है ये सिस्टम
  • प्रतिदिन हर दिशा में 20 किलोमीटर तक टोल फ्री सफर करने की इजाजत देगा ये सिस्टम
  • शुरूआती दौर में फास्टैग के जरिए हाइब्रिड मॉडल के तौर पर लागू किया जाएगा इसे

भारतीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने ब्रांड न्यू जीएनएसस बेस्ड टोल कलेक्शन सिस्टम शुरू करने का ऐलान किया है। इस सिस्टम के तहत आपको 20 किलोमीटर तक टोल फ्री आने जाने की सहूलियतें दी जाएंगी। इस नए सिस्टम का टेस्टिंग फेज पूरा हो चुका है और इसके बारे में ज्यादा जानकारी आपको मिलेगी आगे:

क्या होता है जीएनएसएस इनेबल्ड टोल कलेक्शन सिस्टम?

जीएनएसएस या ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम एक इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन सिस्टम है जो सैटेलाइट टेक्नोलॉजी और जियोग्राफिकल इंफॉर्मेशन सिस्टम (जीआईएस) सॉफ्टवेयर के जरिए नेशनल हाईवे और एक्सप्रेस हाईवे पर टोल चार्ज करता है। ये सिस्टम टोल प्लाजा पर वेटिंग टाइम,लेन डिस्ट्रीब्सूशन और ट्रैफिक को प्रभावित करने वाली वैदर कंडीशंस की भी मॉनिटरिंग करता है।

कैसे काम करता है जीएनएसएस टोल कलेक्शन सिस्टम ?

जीएनएसएस बेस्ड टोल सिस्टम टोल नेम,लोकेशन और डिस्टेंस ट्रैवल्ड का डेटा कलेक्ट करता है। इससे डायनैमिक टोल चार्जिंग सिस्टम इनेबल होता है जिसका मतलब ये हुआ कि आपको हाईवे पर ड्राइव करने के लिए सिर्फ उतने ही पैसे देने होंगे जितने किलोमीटर आप चले हैं।

मौजूदा समय में टोल मैनुअली चार्ज किया जाता है जिसका मतलब ये है कि आप कुछ एक्सट्रा किलोमीटर के लिए भी पैसे दे देते हैं जहां आपने ड्राइव किया ही नहीं है। जीएनएसएस सिस्टम ये देखेगा कि आप कितना दूर गए हैं और फिर उसी हिसाब से चार्ज करेगा।

जीएनएसएस टोल कलेक्शन सिस्टम व्हीकल्स से कैसे लेता है चार्ज?

शुरू​आती दौर में ये नया सिस्टम फास्टैग के साथ एक हाइब्रिड मॉडल की तरह चार्ज करेगा। टोल प्लाजा पर जीएनएसएस से लैस व्हीकल्स के लिए अलग से लेन बनेगी। यदि इन लेन में कोई नॉन जीएनएसएस व्हीकल दाखिल हो जाता है तो उससे टोल फीस से दोगुना फीस वसूली जाएगी।

जैसे ही व्हीकल आॅनबोर्ड यूनिट से पास होगा ये यूनिट प्रोसेस चार्जेज को सिग्नल भेजेगी जो कि फिनटेक कंपनी हैंडल करेगी। इस ऐलान के साथ ये भी घोषणा हुई है कि ये जीएनएसएस सिस्टम प्रतिदिन हर दिशा में केवल 20 किलोमीटर तक का ही सफर करने वाले व्हीकल्स से कोई टोल नहीं वसूलेगा। नेशनल हाईवे पर 20 किलोमीटर से ज्यादा सफर करने के बाद जितना दूर आपने सफर तय किया है और उसमें 20 किलोमीटर और जोड़कर टोल वसूला जाएगा।

हालांकि अभी सरकार ने इसे राष्ट्रव्यापी तौर पर लागू नहीं किया है और इस नए सैटेलाइट बेस्ड टोल कलेक्शन सिस्टम को जल्द ही पेश किया जा सकता है।

जीएनएसएस टोल कलेक्शन सिस्टम के फायदे

फास्टैग के मुकाबले इस नए सैटेलाइट बेस्ड टोल कलेक्शन सिस्टम की मेटेनेंस कॉस्ट कम रहेगी और इससे टोल रेवेन्यू भी बढ़ेगा। इसके अलावा इस सिस्टम से ट्रैफिक वॉल्यूम का पता भी चल सकेगा। साथ ही इससे टोल प्लाजा पर व्हीकल का मूवमेंट नॉन स्टॉप मूवमेंट बना रहेगा जिससे फ्यूल कॉस्ट कम होगी।

जीएनएसएस टोल कलेक्शन सिस्टम को लेकर चिंताएं

जीएनएसएस बेस्ड टोल कलेक्शन सिस्टम की अपनी कुछ सीमितताएं भी है। इसमें मल्टीपल रिफलेक्शन मल्टीपाथ से सिग्ननल इंटरफेस शामिल है जो गलत लोकेशन डेटा दे सकता है। टनल और घाट सेक्शन में सिग्नल में परेशानी आ सकती है। सैटेलाइट सिग्नल्स पर पूरी तरह निर्भरता खराब मौसम में मूसीबत बन सकती है। इसके अलावा चूंकि जीएनएसएस व्हीकल के मूवमेंट्स को ट्रैक करता है ऐसे में प्राइवेसी से संबंधित चिंता रहेगी और साथ ही भारी निवेश की भी जरूरत पड़ेगी।

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भानु

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