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इन 8 चीजों की वजह से कारों में 10.25 इंच की डिस्प्ले हो रही है पॉपुलर, आप भी डालिए एक नजर

प्रकाशित: मई 18, 2023 02:13 pm । भानु

एक समय था जब कारों में डिस्प्ले दी ही नहीं जाती थी और आज तो कई कारों में एक से ज्यादा डिस्प्ले का फीचर दिया जा रहा है, जिसने कार का केबिन एक्सपीरियंस ही बदल डाला है। 2000 के आखिरी दौर में बड़ी टचस्क्रीन देने का चलन बढ़ा और इस दशक में ये तेजी से बढ़ता ही चला गया। 2010 के आसपास टेस्ला और मर्सिडीज बेंज ने इंफोटेनमेंट सिस्टम के पार्ट के तौर पर बड़ी टचस्क्रीन देना शुरू किया था। तब ये कंपनियां 7 से 10 इंच की स्क्रीन दे रही थी जो उस समय के हिसाब से काफी बड़ी थी। तब मॉडर्न कारों में बड़ी सेंट्रल डिस्प्ले डिजाइन भी देखने को मिलती थी और इनका स्टैंडर्ड साइज 10.25 इंच का हुआ करता था।

आज अलग-अलग प्राइस रेंज वाले अलग अलग सेगमेंट के मॉडर्न व्हीकल्स में बड़ी टचस्क्रीन्स एक अहम फीचर के तौर पर पेश की जा रही है और इससे एडवांस्ड इंफोटेनमेंट और कनेक्टिविटी ऑप्शंस की डिमांड भी बढ़ रही है। आज आपको कई कारों में केबिन की चौड़ाई जितनी डिस्प्ले भी देखने को मिल जाएंगी जो रूफ पर लगी होती हैं। न्यू जनरेशन बीएमडब्ल्यू 7 सीरीज इसका बेहतरीन उदाहरण है।

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जहां कारमेकर्स अपनी डिजाइन और टेक्नोलॉजी से टचस्क्रीन से एक अलग एक्सपीरियंस देने की कोशिश कर रहे हैं तो वहीं कई ऐसे मास मार्केट ब्रांड्स है जो 10.25 इंच की सेंट्रल डिस्प्ले तो दे ही रहे हैं।अब डालिए नजर क्यों इतनी ज्यादा पॉपुलर हैं इस साइज की टचस्क्रीन:

इंफोटेनमेंट से मिलता है बेहतर एक्सपीरियंसः ड्राइवर और पैसेंजर के लिए 10.25 इंच की डिस्प्ले से इंफोटेनमेंट सिस्टम का एक्सपीरियंस काफी बेहतर हो जाता है। इसका साइज बड़ा होने से डीटेल्स और ग्राफिक्स बेहतर दिखाई देते हैं जिससे मेन्यू को नेविगेट करने, मीडिया एसेस करने और व्हीकल्स के कई फंक्शंस को कंट्रोल करना भी आसान हो जाता है।

विजिबिलिटी मिलती है बेहतरः बड़ी स्क्रीन से विजिबिलिटी और रीडेबिलिटी बेहतर हो जाती है और दूर से भी आसानी से देखकर कुछ भी पढ़ सकते हैं।

लग्जरी एक्सपीरियंसः कारों में 10.25 इंच की डिस्प्ले होने से इंटीरियर में लग्जरी एक्सपीरियंस मिलने जैसा अहसास होता है। ये विजुअल अपील को तो बढ़ाती ही है और ड्राइवर और पैसेंजर को एक मॉडर्न और हाईटेक माहौल भी देती है।

मोबाइल से कनेक्ट हो जाती है येः कई मॉडर्न कार डिस्प्ले एपल कारप्ले और एंड्रॉयड ऑटो के जरिए स्मार्टफोन से कनेक्ट हो जाती है। बड़े साइज की स्क्रीन होने से कार ड्राइव करते समय मोबाइल एप्स का इस्तेमाल करते समय या स्मार्टफोन फंक्शंस को एसेस करते हुए एक स्मूद एक्सपीरियंस मिलता है।

सेफ्टी और ड्राइवर असिस्टेंसः डिस्प्ले का साइज बड़ा होने से सेफ्टी और ड्राइवर असिस्टेंस फीचर्स में सुधार होता है। इससे लेन डिपार्चर वॉर्निंग, कॉलिजन अलर्ट्स और ब्लाइंड स्पॉट मॉनिटरिंग जैसी अहम इंफॉर्मेशन आसानी से दिखाई दे जाती है और ड्राइवर को सड़क पर निर्णय लेने में आसानी रहती है।

स्प्लिट स्क्रीन केपेबिलिटी से बढ़ता है यूजर एक्सपीरियंसः डिस्प्ले का साइज बड़ा होने से अच्छा यूजर एक्सपीरियंस मिलता है। इनमें इंफोटेनमेंट, नेविगेशन, क्लाइमेट सेटिंग्स, स्मार्टफोन कनेक्टिविटी, व्हीकल डायग्नोस्टिक और एडवांस्ड ड्राइविंग असिस्टेंस सिस्टम की इंफॉॅर्मेशन मिल जाती है।एक अच्छे ड्राइविंग एक्सपीरियंस के लिए मल्टी फंक्शनेलिटी और स्प्लिट स्क्रीन केपेबिलिटी के कॉम्बिनेशन से सुविधा और एफिशिएंसी दोनों ही मिल जाती है।

फीचर्स तक पहुंच बढ़ाना हो जाता है ज्यादा आसानः बड़ी डिस्प्ले के होने से आप अलग अलग फीचर्स को अच्छे से स्वाइप, पिंच और टैप कर सकते हैं और सेटिंग्स को एडजस्ट कर सकते हैं जिससे एक अच्छा यूजर एक्सपीरियंस मिलता है।

फ्यूचर प्रुफिंग: ऑटोमेकर्स फ्यूचर प्रुफ के लिए अपने व्हीकल्स में बड़े साइज की डिस्प्ले देते हैं। जैसे ही टेक्नोलॉजी एडवांस्ड होती है, वैसे ही सॉफ्टवेयर अपडेट के जरिए नए फीचर्स और फंक्शंस जोड़ दिए जाते हैं।

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ये सभी फैक्टर्स मिलकर 10.25 इंच डिस्प्ले को पॉपुलर बना रहे हैं। आने वाले समय में इस साइज की स्क्रीन में नई टेक्नोलॉजी देखने को मिल सकती है। इस दौरान ही कुछ महंगी कारों में एस क्लास और ईक्यूएस में मिलने वाली मर्सिडीज बेंज एमबीयूएक्स हाइपरस्क्रीन देखने को मिल सकती है।

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