टेस्ला कार हादसाः क्या वाकई में भविष्य की हकीकत बन पाएंगी सेल्फ ड्राइविंग कारें
प्रकाशित: जुलाई 04, 2016 01:44 pm । aman
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सेल्फ ड्राइविंग यानी बिना ड्राइवर या फिर खुद से चलने वाली कारों को लेकर दुनियाभर में एक नई बहस छिड़ गई है। टेस्ला की ऑटोपायलेट मोड वाली कार के हादसे के बाद सवाल उठ रहे हैं कि क्या वाकई में दुनिया ऐसी कारों के लिए तैयार है या फिर ऐसी कारें क्या हकीकत में भविष्य की कारें बन पाएंगी?
सबसे पहले बात उस हादसे की
यह हादसा दो महीने पहले सात मई को फ्लोरिडा के विलिस्टन इलाके के हाईवे पर हुआ था। टेस्ला मॉडल-एस के मालिक जोशुआ ब्राउन ने खाली पड़े हाईवे पर कार का ऑटो पायलट सिस्टम ऑन किया और कार अपने-आप चलने लगी। तभी अचानक से एक ट्रैक्टर-ट्रॉली के बाईं ओर मुड़ जाने से कार उससे जा भिड़ी और ट्रॉली के नीचे घुस गई। जब यह हादसा हुआ उस वक्त कार की स्पीड काफी ज्यादा थी, ऐसे में कार के परखच्चे उड़ गए और हादसे में ब्राउन की मौत हो गई।
मामले की गंभीरता को देखते हुए अमेरिका के राष्ट्रीय राजमार्ग यातायात सुरक्षा प्रशासन (एनएचटीएसए) ने टेस्ला की मॉडल-एस कारों में लगे ऑटो पायलट सिस्टम की जांच शुरू कर दी है। अमेरिकी एजेंसी ने कहा है कि हादसे में शामिल रहे वाहन के डिजाइन और उसमें लगे उपकरणों के प्रदर्शन की भी जांच करनी होगी।
टेस्ला की सफाई और दावा
टेस्ला ने अपने बयान में इसे बड़ा ही दुखद नुकसान करार दिया है। कंपनी ने अब तक ऑटो पायलट वाली करीब 25 हजार गाडिय़ों की बिक्री की है।
टेस्ला ने सफाई देते हुए सिर्फ ऑटो पायलट सिस्टम को ही जिम्मेदार बताने से परहेज किया है। कंपनी ने कहा कि 'न तो ऑटो पायलट और न ही ड्राइवर ने ट्रैक्टर को देखा और इसीलिए कार ब्रेक नहीं लगा सकी।' टेस्ला के मुताबिक कार चलाने वालों को यह बात ध्यान में रखनी होगी कि ऑटो पायलट एक नई तकनीक है और इसके विकास की प्रक्रिया जारी है। जब ड्राइवर ऑटो पायलट सिस्टम को इस्तेमाल करते हैं तो कार के मल्टीमीडिया स्क्रीन पर यह संदेश आता है कि यह सिस्टम सहयोगी फीचर है और आपको स्टीयरिंग व्हील को थामें रखना होगा।'
भविष्य की तैयारी पर असर
अपनी तरह के इस पहले हादसे ने ऑटो सेक्टर में बिना ड्राइवर वाली कार की टेक्नोलॉज़ी पर कई सवालिया निशान लगा दिए हैं। गूगल भी बिना ड्राइवर वाली कार के विकास में जोर-शोर से लगा हुआ है। स्वीडिश कंपनी वोल्वो समेत कुछ अन्य कंपनियां भी इसे भविष्य की क्रांतिकारी तकनीक मानते हुए बड़े पैमाने पर शोध और विकास में लगी हुई हैं। लेकिन इस हादसे के बाद यह सवाल खड़ा हो गया है कि ऑटो पायलट तकनीक पर कितना भरोसा किया जा सकता है? क्या कार में बैठा शख्स इस तकनीक के भरोसे निश्चिंत होकर बैठ सकता है या फिर उसे भी कार की मूवमेंट पर लगातार नजर बनाए रखने की जरूरत होगी?
विशेषज्ञों की नाराजगी
यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ कैरोलिना के लॉ प्रोफेसर और ऑटोनोमस ड्राइविंग से जुड़े मामलों के विशेषज्ञ ब्रेंट वॉकर स्मिथ ने कहा, 'सालों से कंपनियां कह रही हैं कि टेक्नोलॉजी तैयार है लेकिन ऐसा है ही नहीं। यही वजह है कि दुनिया भर के विशेषज्ञ इनकी आलोचना करते हैं। ऑटोमेटिक ब्रेकिंग सिस्टम के मोर्चे पर अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है।