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ग्रीन हाइड्रोजन की कीमत को कम करने के लिए नितिन गडकरी ने बताया सरकार का प्लान

प्रकाशित: जुलाई 13, 2022 05:47 pm । भानुटोयोटा मिराई

हाल ही में आयोजित एक कार्यक्रम में, केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने ग्रीन हाइड्रोजन की कीमत लगभग 70 रुपये से 80 रुपये प्रति किलोग्राम या एक डॉलर तक करने की सरकार की मंशाओं के बारे में बात की। गडकरी का ये बयान उस समय आया है जब देश में फ्यूल सेल इलेक्ट्रिक व्हीकल्स को अफोर्डेबल बनाने पर अध्ययन किया जा रहा है।

रेगुलर इलेक्ट्रिक व्हीकल्स से कितने अलग होते हैं फ्यूल सेल इलेक्ट्रिक व्हीकल्स

एक इलेक्ट्रिक व्हीकल और फ्यूल सेल इलेक्ट्रिक व्हीकल में अमूमन फर्क ये होता है कि एक एफसीईवी में इलेक्ट्रिक मोटर्स को पावर देने के लिए हाइड्रोजन का उपयोग करने वाले फ्यूल सेल होते हैं और इन्हें एक्सर्टन चार्जिंग की जरूरत नहीं होती है। वहीं एक इलेक्ट्रिक व्हीकल में एक बड़ा बैट्री पैक दिया जाता है जिससे गाड़ी को पावर मिलती है और इसकी बैट्री को चार्ज करना पड़ता है।

ग्रीन हाइड्रोजन के प्रोडक्शन में कितनी आएगी लागत और भारत की कैसी है इसे लेकर तैयारी

ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन की लागत तीन से चार डॉलर प्रति किलोग्राम (~ 230 रुपये और 350 रुपये प्रति किलोग्राम) के बीच होती है। भारत समेत दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाएं इसे लगभग एक या दो डॉलर प्रति किलोग्राम (80 रूपये या 150 रूपये प्रति किग्रा) तक लाने के लिए इसे कम करने की दिशा में काम कर रहे हैं।

15 अगस्त, 2021 को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेशनल हाइड्रोजन मिशन का शुभारंभ किया। इसका उद्देश्य सरकार को अपने क्लाइमेट टार्गेट के लक्ष्यों को पूरा करने और भारत को ग्रीन हाइड्रोजन हब बनाने में मदद करना है। इसके परिणामस्वरूप 2030 तक 50 लाख टन ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन होगा।

दुनिया में अभी कितनी है हाइड्रोजन पावर्ड कारें

अभी के लिए, दुनिया में केवल टोयोटा मिराई और हुंडई नेक्सो ही ऐसी दो मास-मार्केट कारें जो हाइड्रोजन पर चलती हैं । मिराई हाइड्रोजन फ्यूल के सिंगल टैंक को फुल कराने के बाद 647 किलोमीटर तक ड्राइव की जा सकती है। ऐसे में यदि हाइड्रोजन फ्यूल की कीमत 70 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई तो इस सेडान की रनिंग कॉस्ट 1.65 रुपये प्रति किलोमीटर हो जाएगी।

पिछले कुछ महीनों से, नितिन गडकरी टोयोटा मिराई को दिल्ली में अपनी रूटीन ड्राइविंग के लिए काम में ले रहे हैं। भारत सरकार की ऑटोमोटिव टेस्टिंग एजेंसी, आईकैट (इंटरनेशनल सेंटर फॉर ऑटोमोटिव टेक्नोलॉजी) भी मिराई की टेस्टिंग यह देखने के लिए कर रही है कि इंडियन क्लाइमेट और रोड कंडीशन के हिसाब से हाइड्रोजन से चलने वाला व्हीकल कैसा परफॉर्म करता है।

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भानु

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