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सरकार ने यदि अपना लिए आईआरएफ द्वारा सुझाए गए ये कम खर्चीले तरीके तो हाईवे पर दुर्घटनाओं में नहीं जाएंगी हजारों लोगों की जानें

संशोधित: अक्टूबर 01, 2022 03:10 pm | भानु

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Indian highway

इंटरनेशनल रोड फेडरेशन (आईआरएफ) के इंडियन चैप्टर ने हाल ही में मंडोर, महाराष्ट्र और अछाद, गुजरात के बीच 6-लेन हाई-स्पीड हाईवे के एक सेक्शन पर एक रोड सेफ्टी ऑडिट किया। इस तरह की ऑडिट के जरिए उक्त प्रोजेक्ट में संभावित सुरक्षा चिंताओं को लेकर एक क्वालिफाइड और स्वतंत्र ऑडिटर्स की एक टीम द्वारा एक डीटेल्ड रिपोर्ट तैयार की गई है। 

आईआरएफ टीम द्वारा इस रोड सेफ्टी ऑडिट के निष्कर्षों के आधार पर, ये कुछ प्रमुख मुद्दे और कम लागत वाले उपाय सुझाए गए हैं जो इस प्रकार के हाई स्पीड वाले हाईवे पर घातक दुर्घटनाओं की संख्या को कम करने में मदद कर सकते हैं:

साइनेज की संख्या बढ़ाई जाए 

अधिकांश दुर्घटनाएं जानकारी की कमी के कारण होती हैं जिससे ड्राइविंग करते समय किसी अज्ञात तत्व के आने की स्थिति में रिएक्शन टाइम बढ़ जाता है। ये रिस्क रात में और भी बढ़ जाता है जब विजिबिलिटी काफी कम होती है। यही कारण है कि साइनेज किसी अज्ञात तत्व से एक गंभीर घटना के जोखिम को कम कर सकते हैं। 

उदाहरण के तौर पर बात करें तो ज्यादा लेन वाले नए हाईवे में पुराने और कम चौड़े पुल ही मिलेंगे। ऐसे में आपको यहां रोड की चौड़ाई कम होने का साइन दिखाने वाली एडवांस वॉर्निंग मुश्किल ही नजर आएगी। नतीजतन बिना किसी नोटिस के एक लेन गायब ही हो जाती है। 

Road signage

इसी तरह समतल सड़कों पर तीखें मोड़ आने पर ड्राइवर के लिए टर्न एंगल या व्हीकल स्लो करने या ओवरटेकिंग से बचने के इशारे देने वाले साइनेज की भी कमी पाई जाती है। पहाड़ी इलाकों में तो ऐसे साइनेज मिल जाते हैं मगर वहां व्हीकल्स वैसे ही कम स्पीड पर चलते हैं जबकि समतल हाईवे पर ऐसा नहीं होता है। 

इसके अलावा हाईवे एग्जिट का साइन भी आखिरी मौके पर दिखाई देता है जिससे ड्राइवर को अचानक ब्रेक भी लगाने पड़ते हैं और वो कहीं एग्जिट को पीछे ना छोड़ देने के चक्कर में नियंत्रण खो बैठते हैं। 

ऐसे में यदि साइनेज की संख्या बढ़ा दी जाए तो इस तरह के हादसों को रोका जा सकता है। इसके अलावा रिपोर्ट में ये भी कहा गया है साइनेज की विजिबिलिटी अच्छी होनी चाहिए है और ये रिपीट भी होने चाहिए। उदाहरण के तौर पर इस स्टडी में कहा गया है कि हाईवे पर जहां भी दुर्घटना का रिस्क होता है वहां उससे 600 मीटर पहले से ही साइन बोर्ड लगा देने चाहिए और उसके बाद 200 मीटर पहले भी इन्हें तैनात कर देना चाहिए।  

एडिशनल क्रैश बैरियर्स 

Road barriers

हाई-स्पीड हाईवे के कुछ हिस्सों पर व्हीकल्स की सुरक्षा के इंतजाम नहीं होते हैं जो कंट्रोल खोने की स्थिति में उन्हें सड़क से भटकने से बचा सकें। इससे वे मेन हाईवे से लुढ़क सकते हैं, या इससे भी बदतर, डिवाइडर के दूसरी तरफ उछलकर सामने से आ रहे ट्रैफिक से भी टकरा सकते हैं। विभिन्न प्रकार के क्रैश बैरियर विभिन्न प्रकार की सुरक्षा प्रदान करते हैं, जैसे कि मैटल के बीम जो कम रिस्क वाले आउट ऑफ कंट्रोल व्हीकल की स्पीड को कम करने में मदद कर सकते हैं वहीं कंक्रीट बैरियर्स उनकी स्पीड फोर्स को कम कर सकते हैं। 

हाईवे पर ना हो ज्यादा कट्स

मेन डिवाइडर जो ट्रैफिक की दो दिशाओं को विभाजित करता है उसे ट्रैफिक की शब्दावली में मीडियन कहा जाता है। भारत में हाईवे पर एक आम समस्या यह भी देखी जाती है कि वे अक्सर इनमें काफी ज्यादा कट्स और एंट्री पॉइन्ट्स होते हैं जिससे हाई स्पीड ट्र्रैफिक के लिए रिस्क बढ़ जाता है। सर्विस लेन से हाईवे को अचानक जॉइन कर रहे व्हीकल्स कम स्पीड में होते हैं जिनके पीछे से तेज रफ्तार से आ रहे व्हीकल्स से भिड़ंत का खतरा बना रहता है। 

Unbroken highway median

इंटरनेशनल रोड फेडरेशन जिस सेक्शन में ये ऑडिट किया है वहां मीडियन पर 30 ऐसी रोड ओपनिंग पाई गई जहां दुर्घटना का खतरा हो सकता है। आम लोगों के लिए हाईवे के ए​क हिस्से दूसरे हिस्से पर उसे पार करने के लिए हाईवे का एलिवेटेड होना जरूरी है जिसके नीचे से अंडरपास बनाए जा सकें। दूसरी एग्जिट रैंप को स्पष्ट रूप से चिह्नित किया जाना चाहिए और यात्रियों को सुरक्षित तरीके से राजमार्ग पर चढ़ने और उतरने के लिए एक रास्ता भी देना चाहिए। 

हाई विजिबिलिटी मैटेरियल्स का ज्यादा से ज्यादा हो इस्तेमाल

जैसा की हमनें पहले भी बताया ज्यादातर सड़क दुर्घनाएं रात में कम विजिबिलिटी होने के कारण होती हैं। वहीं भारी बारिश या धुंध के कारण तो हालात और बदतर हो जाते हैं। हाईवे हर टाइप के ​व्हीकल्स के लिए सांकेतिक चिन्ह और रेलिंग्स में ब्राइट पेंट का इस्तेमाल होना चाहिए या फिर वो काफी ज्यादा रिफ्लेक्टिव होने चाहिए। 

Illuminated road studs

इसके अलावा रोड मार्किंग्स और लेन्स में छोटे रिफ्लेक्टिव पैनलों का उपयोग किया जाना चाहिए जो केवल पेंटेड लाइंस की तुलना में अधिक विजिबल हो सकते हैं। ज्यादातर रोड साइन में अच्छी विजिबिलिटी के लिए रिफ्लेक्टिव मैटेरियल्स का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। 

लगातार होना चाहिए सड़क का रखरखाव 

इस मोर्चे पर भी हाईवे पर काम होना चाहिए। रेलिंग के झड़ते पेंट से लेकर टूटे फूटे बैरियर्स और खराब हो चुके स्ट्रीट लैंप्स की लगातार मेंटेनेंस से हादसों में कमी लाई जा सकती है। 

Road works

इसके अलावा, यह भी सुनिश्चित करना होगा कि सड़क की कंडीशन अच्छी हो और गड्ढों से मुक्त हो जिससे सड़क दुर्घटनाओं पर लगाम कसी जा सके। यदि ऐसी परेशानियां हाईवे पर मौजूद होंगी तो तेज स्पीड के दौरान व्हीकल्स कंट्रोल से बाहर हो सकते हैं या डैमेज हो सकते हैं। वो एरिया जहां बारिश ज्यादा होती है वहां जलभराव को रोकने के लिए अच्छी निकासी का इंतजाम होना चाहिए।

निष्कर्ष 

भारत सड़क सुरक्षा में सुधार लाने और घातक सड़क दुर्घटनाओं की वार्षिक संख्या को कम करने के लिए लगातार काम कर रहा है। हालांकि ये अब भी एक बड़ी चुनौती है और हर संभव बदलावों की काफी ज्यादा जरूरत है। वहीं कारमेकर्स को भी अपनी कारों में ज्यादा से ज्यादा सेफ्टी फीचर्स स्टैंडर्ड देने के लिए कहा जा रहा है। 

Global NCAP crash test

सड़क नेटवर्क में सुधार करना अपने आप में एक महंगी और समय लेने वाली प्रक्रिया है, लेकिन ऊपर बताए गए अधिकांश सुझाव अपेक्षाकृत खर्चीले नहीं हैं और जीवन के नुकसान को कम करने और हमारी सड़कों पर सड़क दुर्घटनाओं की संख्या को कम करने के त्वरति उपाय हैं। 

हम उम्मीद करते हैं कि सड़कों से संबंधित सरकारी विभाग कारों में एयरबैग्स की संख्या बढ़ाने से पहले आईआरएफ द्वारा दिए गए सुझावों पर ध्यान दें और सड़क सुरक्षा में सुधार करें। 

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