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जुलाई 2022 से ग्लोबल एनकैप क्रैश टेस्ट से जुड़े नियम और ज्यादा होंगे सख्त,आसानी से नहीं मिलेगी 5 स्टार रेटिंग

प्रकाशित: जून 28, 2022 08:29 am । भानु

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ग्लोबल न्यू कार एसेसमेंट प्रोग्राम (ग्लोबल एनकैप) अपनी एक पहल के जरिए भारत में कार सेफ्टी में सुधार करने की दिशा में काम कर रही है। कुछ समय से ग्लोबल एनकैप क्रैश टेस्ट में भारतीय कारें अच्छा प्रदर्शन करते हुए 4 और 5 स्टार सेफ्टी रेटिंग पा रही है। मगर अब ऐसी स्कोरिंग के लिए ग्लोबल एनकैप अपना स्टैंडर्ड बढ़ाने जा रही है जो इंटरनेशनल सेफ्टी प्रोग्राम्स जितने सख्त होंगे। 

अभी तक ये बेंचमार्क सेट कर रखे थे ग्लोबल एनकैप ने 

2014 में सेफर कार्स फॉर इंडिया कैंपेन शुरू किया गया था। तब से ग्राहकों और मैन्युफैक्चरर का एक तबका कारों की सेफ्टी को ज्यादा अहमियत देने लग गए हैं। भारत जैसे प्राइस सेंसिटिव मार्केट के लिए ग्लोबल एनकैप ने काफी बेसिक स्टैंडर्ड तय कर रखे हैं। इस क्रैश टेस्ट में सबसे पहले फ्रंट एयरबैग और एबीएस स्टैंडर्ड किट होना जरूरी था ​जो 2019 तक की अनिवार्य था। इसके बाद कारों में ड्युअल एयरबैग्स को अनिवार्य कर दिया गया और देश में काफी अफोर्डेबल कारों तक में अब ये फीचर मिल रहा है। 

Kia Carens crash-tested

इसके अलावा ग्लोबल एनकैप ने एक और बेस लेवल जो सेट कर रखा था वो ये था कि पहले भारतीय कारों का केवल 64 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से फ्रंटल ऑफसेट क्रैश टेस्ट ही किया जाता था। यदि कार ने इसमें अच्छा परफॉर्म किया तो ही उसका साइड इंपेक्ट टेस्ट किया जाता था। अभी तक काफी कम कारें ही सेफ्टी के इस मोर्चे पर इतने लो स्टैंडर्ड बेंचमार्क सेट किए जाने के बावजूद खरी उतर पाई है। मगर अब ग्लोबल एनकैप अपने स्टैंडर्ड्स बढ़ाने जा रही है और सेफ्टी के मोर्चे पर कारों को परखने के नियम सख्त होने जा रहे हैं। 

यह भी पढ़ें: महिंद्रा एक्सयूवी 700 ने ग्लोबल एनकैप के पेडेस्ट्रियन और ईएससी टेस्ट में किया शानदार परफॉर्म, मिला 'सेफर चॉइस’ अवॉर्ड

क्या होंगे बदलाव?

जुलाई 2022 से ग्लोबल एनकैप अपने टेस्टिंग प्रोटोकॉल्स को अपडेट करने जा रही है। ऐसे में कारों को 5स्टार रेटिंग प्राप्त करने के लिए अब और भी कई मोर्चें पर खुद को अपडेट रखना होगा। 

इस टेस्ट को पास करने के लिए अब कारों में इलेक्ट्रॉनिक स्टेबिलिटी कंट्रोल का फीचर स्टैंडर्ड होना जरूरी होगा। ग्लोबल एनकैप की ओर से भी सरकार की मदद से इस फीचर को स्टैंडर्ड कराए जाने पर जोर दिया जा रहा है। इसके अलावा भारतीय कारों को अच्छा स्कोर प्राप्त करने के लिए ना सिर्फ साइड इंपेक्ट टेस्ट में अच्छा परफॉर्म करना पड़ेगा बल्कि इन्हें पेडिस्ट्रियन प्रोटेक्शन संबंधी जरूरतों पर खरा उतरना होगा। 

भारत एनकैप भी होगा शुरू

सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने एक ड्राफ्ट नोटिफिकेशन तैयार किया गया है जिसमें भारत एनकैप क्रैश टेस्ट को अप्रैल 2023 से शुरू करने की बात कही है। मंत्रालय ने इस पर अगले 13 में सुझाव मांगे है जिसके बाद इसे अप्रूव किया जाएगा। बता दें कि कई कार ब्रांड्स ग्लोबल एनकैप क्रैश टेस्ट के सख्त नियमों के खिलाफ है। उनका मानना है कि वहां भारतीय परिस्थितयों को जाने बिना ही कारों के क्रैश टेस्ट किए जाते हैं और खराब रेटिंग मिलने के बाद मीडिया में उनके मॉडल का नाम खराब होता है। 

ऐसे में कई कारमेकर्स का मानना है कि भारतीय कारों की यहीं की सरजमीं पर टेस्टिंग की जानी चाहिए। हालांकि भारत में एनकैप में भी ग्लोबल एनकैप के समान टेस्ट प्रोटोकॉल्स फॉलो किए जाने की बातें सामने आती रही हैं। अब देखना ये होगा कि क्या ग्लोबल एनकैप की ओर से लागू किए जाने सख्त प्रोटोकॉल्स को भारत एनकैप में भी लागू किया जाता है कि नहीं। 

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