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इंडियन आर्मी के बेड़े में शामिल होंगे अब और ज्यादा इलेक्ट्रिक व्हीकल्स, सीमावर्ती इलाकों में नहीं होगा इस्तेमाल

संशोधित: अप्रैल 20, 2022 05:01 pm | भानु

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जब बात मिलिट्री व्हीकल्स की आती है तो याद आते हैं धुआं छोड़ते बड़े पहियों वाले इनके दमदार ट्रक्स। मगर भारतीय सेना का एक इको फ्रेंडली पहलू भी है क्योंकि सेना की बटालियन जंगलों की कटाई और अन्य पर्यावरणीय मुद्दों से भी लड़ रही है। उदाहरण के लिए, 1980 के दशक से टेरिटोरियल आर्मी की इकोलॉजिकल टास्क फोर्स (ईटीएफ) यूनिट उत्तराखंड में खनन से हुए नुकसान की भरपाई के लिए काम कर रही है जो पर्यावरण को बचाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। 

ऐसा ही एक कदम और लेते हुए अब भारतीय सेना अपने लाइट व्हीकल फ्लीट में नई इलेक्ट्रिक कारें शामिल करने जा रही है। मगर आर्मी के इलेक्ट्रिक कार फ्लीट का इस्तेमाल उत्तरी हिमालय और पाकिस्तान की पश्चिमी सीमा जैसे "ऑपरेशनल एरिया" में कठोर जलवायु और ऑफ-ग्रिड एरिया में नहीं किया जाएगा। 

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वहीं इसका मतलब ये भी नहीं है कि इंडियन आर्मी के फ्लीट से रिटायर हो रही जिप्सी का रिप्लेसमेंट कोई इलेक्ट्रिक कार ही होगी। बल्कि आर्मी देश में इको फ्रेंडली व्हीकल्स का इस्तेमाल दिल्ली स्थित आर्मी हेडक्वार्टर जैसे शांत इलाकों में करेगी। आर्मी वेलफेयर ट्रांसपोर्ट (एडब्ल्यूटी) सोसाइटी के पास पहले से ही 15 ऑल-इलेक्ट्रिक वाहन हैं जिनका उपयोग दिल्ली में कर्मचारियों को लाने ले जाने के लिए किया जाता है। इनमें दस महिंद्रा ई-वेरिटो इलेक्ट्रिक सेडान शामिल हैं जो ईईएसएल (एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड) से लीज पर ली गई हैं।  एडब्ल्यूटी सोसाइटी ने दिल्ली में अपने फ्लीट के एक चौथाई हिस्से के लिए इलेक्ट्रिक कारों की योजना बनाई है। 

कई अध्ययन के जरिए पाया गया है कि पर्यावरण के लिए इलेक्ट्रिक कारें काफी बेहतर साबित होंगी, भले ही फिर उन्हें मिलने वाली पावर ज्यादा धुआं छोड़ने वाले स्टीम पावर प्लांट्स से ही क्यों ना आती हो। भारत में पेट्रोल/डीजल कारों के मुकाबले इलेक्ट्रिक व्हीकल्स से एमिशन 19 से 34 प्रतिशत तक कम हो गया है। जैसे जैसे ग्रीन पावर सोर्सेज बढ़ रहे हैं, वैसे वैसे इलेक्ट्रिक व्हीकल्स भी ज्यादा एफिशिएंट होते जा रहे हैं। 

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सेना के बेड़े में कौनसा इलेक्ट्रिक व्हीकल किया जाएगा शामिल?

टाटा नेक्सन ईवी: टाटा नेक्सन ईवी अपने कंफर्ट और स्पेस के चलते एक परफैक्ट सब कॉम्पैक्ट सिटी एसयूवी का दर्जा प्राप्त कर चुकी है। टाटा नेक्सन ईवी का अपडेटेड मॉडल भी जल्द लॉन्च होने जा रहा है जिसमें बड़ा बैट्री पैक और ज्यादा रेंज मिलेगी। 

टिगॉर ईवी: 306 किलोमीटर की एआरएआई सर्टिफाइड रेंज और ग्लोबल एनकैप से 4 स्टार सेफ्टी रेटिंग पा चुकी टिगॉर ईवी भी सिटी के हिसाब से काफी अच्छी इलेक्ट्रिक कार है। ये इस समय देश की सबसे अफोर्डेबल इलेक्ट्रिक कार भी है। 

एमजी जेडएस ईवी: 2022 एमजी जेडएस ईवी की कीमत तो ज्यादा है, मगर ये आर्मी के लिए काफी काम का लाइट व्हीकल साबित हो सकती है। 461 किलोमीटर की एआरएआई सर्टिफाइड रेंज के साथ ये इंटरसिटी रोड ट्रिप्स के लिए आसान है जिससे आर्मी स्टाफ ऑफिस आराम से आ जा सकता है। इसमें कई एक्टिव सेफ्टी फीचर्स भी दिए गए हैं। 

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हुंडई कोना ईवी: कुछ सरकारी विभागों में हुंडई कोना ईवी का इस्तेमाल किया जा रहा है और ये आर्मी के लिए भी एक बेहतर विकल्प साबित हो सकती है। इसकी एआरएआई सर्टिफाइड रेंज 451 किलोमीटर है और हुंडई के अनुसार इसकी रनिंग कॉस्ट कंपनी के पेट्रोल/डीजल मॉडल्स के मुकाबले मात्र 1/5 है। 

ऊपर बताए गए इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के अलावा आर्मी टाटा अल्ट्रोज ईवी और महिंद्रा एक्सयूवी300 इलेक्ट्रिक जैसे अपकमिंग इलेक्ट्रिक व्हीकल्स पर भी गौर कर सकती है। 

आर्मी के लिए इलेक्ट्रिक व्हीकल अपनाने में ये रहेगा सबसे बड़ा चैलेंज

भारतीय सेना देश के कई इलाकों में सक्रिय रूप से काम करती है जिनमें जैसलमेर जैसे वीरान इलाके शामिल है जहां बिजली की समस्या रहती है। इलेक्ट्रिक व्हीकल्स को चार्ज करने के लिए फास्ट एसी और डीसी चार्जर की जरूरत पड़ती है जहां इन्हें चार्ज करने में समय भी लगता है, ऐसे में दूरस्थ इलाकों में ये कारें सेना के लिए ज्यादा उपयोगी साबित नहीं होंगी। 

मौजूदा दौर में शहरों में पब्लिक चार्जिंग स्टेशंस भी काफी सीमित है, वहीं सीमावर्ती इलाकों में पावर ग्रिड की पहुंच भी काफी सीमित है। 

कुल मिलाकर सेना अब ज्यादा से ज्यादा जीरो एमिशन वाले व्हीकल्स खरीदेगी और बिना प्रदूषण के अपने स्टाफ को ट्रांसपोर्टेशन की सुविधा देगी। भारत मेंं चार्जिंग नेटवर्क भी काफी तेजी से बढ़ रहा है और इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के एक्सपेंशन के लिए ऑटोमोटिव मार्केट भी बढ़ रहा है। 

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