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अब पड़ोसी देश नहीं कर पाएंगे भारतीय कंपनियों का अधिग्रहण, सरकार ने एफडीआई पॉलिसी में किए बदलाव

संशोधित: अप्रैल 21, 2020 10:43 am | सोनू

महामारी बन चुके कोरोनावायरस के कारण इस समय पूरे देश में लॉकडाउन लगा हुआ है, जिसके चलते अधिकांश कंपनियों के शेयर की प्राइस काफी कम हो गई है। ऐसे में पड़ोसी देश भारतीय कंपनियों का कम कीमत में अधिग्रहण करने की फिराक में है। भारतीय कंपनियों को विदेशी हाथों में जाने से रोकने के लिए भारत सरकार ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की पॉलिसी में बदलाव किया है, जिससे अब पड़ोसी देशों को भारतीय कंपनियों में निवेश के लिए भारत सरकार से अनुमति लेनी होगी।

इस समय भारत की बड़ी कंपनियों को सबसे ज्यादा चीन से खतरा बताया जा रहा है। कहा जा रहा है कि चीन भारत की बड़ी कंपनियों का अधिग्रहण कर सकता है।

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एफडीआई पॉलिसी के तहत पहले नॉन-रेजिडेंट संस्थाएं कुछ प्रतिबंधित सेक्टर जैसे लॉटरी, जुआ और परमाणु ऊर्जा आदि को छोड़कर भारत में निवेश कर सकती थी। लेकिन अब पॉलिसी में अपडेट के बाद पड़ोसी देशों की संस्थाओं को भारत में निवेश के लिए सरकार से अनुमति लेनी होगी। भारत की सीमा पड़ोसी देश पाकिस्तान, बांगलादेश, नेपाल, चीन, अफगानिस्तान, भूटान और म्यांमार के साथ लगती है।

इसके अलावा सरकार ने एफडीआई पॉलिसी एक अन्य खंड में भी बदलाव किया गया है, जिसके तहत पुराने निवेश के बाद अब ऑनरशिप ट्रांसफर किया जाना है तो उसके लिए भी सरकार से अनुमति लेनी होगी।

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