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कॉम्पिटिशन में बने रहने के लिए कारों को जल्दी से नए फीचर अपडेट देने के ट्रेंड का ग्राहकों पर किस तरह से पड़ता है असर, जानिए यहां

संशोधित: मार्च 27, 2023 04:42 pm | भानु

ऑटोमोटिव इंडस्ट्री में आमतौर पर कॉम्पिटिशन में बने रहने के लिए कस्टमर्स को बेहतर प्रोडक्ट्स और ज्यादा फीचर्स देकर ही आकर्षित किए जाने की प्रथा चली आ रही है। परफॉर्मेंस, माइलेज और अब टेक्नोलॉजी के मोर्चे पर सभी कंपनियां अपने मुकबाले में मौजूद दूसरी कंपनियों के प्रोडक्ट्स पर भी नजर बनाए रखती हैं ताकि उनका प्रोडक्ट कहीं पीछे ना रह जाए। टेक्नोलॉजी की बात करें तो अब काफी ब्रांड्स ज्यादा फीचर्स देकर खुद को भीड़ से अलग रखने पर भी विशेष ध्यान दे रहे हैं।

ज्यादा फीचर्स के लिए करना पड़ता है ज्यादा इंतजार

कुछ ही समय पहले से ये सिलसिला चला आ रहा है जहां एक ब्रांड किसी सेगमेंट में अपने मुकाबले में मौजूद दूसरे व्हीकल को कड़ी टक्कर देने के लिए अपने मॉडल को अपडेट देता है उसके बाद फिर उसी के मुकाबले में मौजूद दूसरा ब्रांड जनरेशन या फिर फेसलिफ्ट अपडेट देकर नया मॉडल उतार देता है। बता दें कि किसी नए मॉडल के पहले जनरेशन को 3 से 4 साल के बाद फेसलिफ्ट अपडेट दिया जाता है। इसके तहत व्हीकल में कुछ कॉस्मैटिक बदलाव करते हुए कुछ अतिरिक्त फीचर्स और टेक्नोलॉजी को शामिल किया जाता है।

इसका सीधा मतलब ये हुआ कि ग्राहक को उनके फेवरेट ब्रांड के इंप्रूव्ड मॉडल के लिए कुछ साल इंतजार करना पड़ेगा जिससे कि वो मुकाबले में मौजूद दूसरे ब्रांड के मॉडल के बराबर या उससे बेहतर हो सके।

कॉम्पिटिशन बढ़ने से अब जल्द दिए जाने लगे हैं अपडेट्स

कॉम्पिटिशन को देखते हुए अब काफी कंपनियां तुरंत अपने मॉडल्स में कुछ फीचर्स जोड़कर उन्हें अपडेट देते हुए सुधार करने लगे हैं। यहां तक कि फेसलिफ्ट अपडेट देने में कुछ वक्त तो कंपनियां तुरंत प्रभाव से कारों में कुछ टेक्नोलॉजी बेस्ड फीचर्स जोड़कर उन्हें अपडेट देने लगी हैं।

कई बार तो मार्केट में कोई ऐसा प्रोडक्ट लॉन्च हो जाता है जिसमें सेगमेंट लीडिंग फीचर्स दिए गए हों तो उसके कुछ समय बाद ही मुकाबले में मौजूद दूसरे मॉडल्स को भी हल्के फुल्के अपडेट देकर पेश किया जाने लगा है। अब तो सालभर में ही मॉडल्स को फीचर अपडेट्स मिलने लगे हैं और उसके एक साल बाद ही मॉडल को फेसलिफ्ट अपडेट दे दिया जाता है।

उदाहरण के लिए किया मोटर्स ने सोनेट और सेल्टोस को बिना फेसलिफ्ट अपडेट दिए उसमें कई सेफ्टी फीचर्स को स्टैंडर्ड कर दिया है। वहीं टाटा ने भी महिंद्रा एक्सयूवी700 की तरह अपनी हैरियर और सफारी में एडीएएस और बड़ी स्क्रीन दे दी है जबकि इनके फेसलिफ्ट वर्जन को लॉन्च होने में अभी कुछ समय बाकी है।

ग्राहकों के लिए क्या है बेहतर?

अपने कॉम्पिटिटर को चैलेंज देने के लिए किसी भी ब्रांड का तुरंत प्रभाव से अपनी कार में ज्यादा फीचर्स देकर उसे अपडेट करने से ग्राहकों के मन में एक सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इससे ब्रांड्स के बीच तो बराबर का मुकाबला बनता ही है, साथ ही मार्केट में ऑप्शंस भी खुल जाते हैं। हालांकि इससे ब्रांड रिलेशन और ब्रांड लॉयल्टी पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, क्योंकि ग्राहकों के मन में बदलाव की सोच पैदा होती है।

उदाहरण के तौर पर यदि आपने पिछली दिवाली पर टाटा हैरियर कार का फुल फीचर लोडेड वर्जन खरीदा था तो अब आप उससे ज्यादा सेफ्टी फीचर्स और इन केबिन एक्सपीरियंस वाले वर्जन से वंचित रह गए हैं। आधे साल से भी कम के ओनरशिप टाइम में आपके पास मौजूद टॉप वेरिएंट बिना फेसलिफ्ट अपडेट के पहले से बेहतर हो चुका है।

बिजनेस करने के इन तौर तरीकों का इस्तेमाल एप्लायंस और गैजेट्स के क्षेत्र में भी किया जाता है, इसलिए ग्राहकों के लिए ये कोई नई बात नहीं है।

सवाल ये भी उठता है कि कोई कार किसी इंसान द्वारा खरीदी जाने वाली दूसरी सबसे महंगी चीज होती है। ऐसे में आपके ब्रांड की ओर से आपको खराब अनुभव मिले इसलिए ये चीज सही नहीं है।

कैसे बेहतरी ला सकते हैं कारमेकर्स?

जानकारी लीक होने के जोखिम से बचाने के लिए हर कारमेकर को अपनी प्रोडक्ट प्लानिंग को बाजार से गुप्त रखने का अधिकार है। हालांकि कनेक्टेड कार टेक्नोलॉजी वाली कारों को सॉफ्टवेयर संबंधी ओवर द एयर अपडेट मिल जाते हैं, ऐसे में कंपनियों को अपने हालिया ग्राहकों को हर तीन महीनें में अपनी कारों में कुछ छोटे मोटे फीचर्स या तो फ्री में या फिर कम कीमत पर देने चाहिए।

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भानु

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