पुरानी कार खरीदने के ये हैं 4 बड़े फायदे, आप भी जानिए
प्रकाशित: अगस्त 31, 2020 07:40 pm । भानु
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कई लोगों को अपने लिए एक सेकंड हैंड कार खरीदना काफी मुश्किल लगता है। कुछ लोग पुरानी कार के बजाए नई कार को ज्यादा प्राथमिकता देते हैं, क्योंकि भारत में सेकंड हैंड कार बाजार असंगठित और अविश्सनीय होने के कारण काफी समय से बदनाम है।
मगर अब धीरे-धीरे कुछ बदलाव होने लगे हैं। अब बाजार में कई अच्छी कंपनियां मौजूद है जो एक विशेष प्रोसेस के तहत सेकंड हैंड कारें बेचती है। यदि आपको इस बात पर यकीन नहीं है तो आपको आगे दी गई कुछ जानकारियों के माध्यम से यकीन हो जाएगा।
जैसा कि आप जानते ही हैं जिस दिन आप कार खरीद लेते हैं ठीक उसी दिन से हर सप्ताह उसकी वैल्यू हजार रुपये के लगभग गिरने लगती है।
सेकंड हैंड कारों में आपको इस बात की टेंशन नहीं रहती है। मारुति सुजुकी बलेनो और टाटा नेक्सन जैसी पॉपुलर कारें आपको एक्स शोरूम प्राइस से भी कम में मिल सकती है। इसके अलावा ये कारें सालभर से भी कम पुरानी या महज़ 10 से 15 हजार किलोमीटर चली हुई भी मिल जाती है। वहीं इन्हें खरीदते समय आप मोल भाव भी कर सकते हैं जिससे आपके पैसों की भी बचत होती है।
एक और चीज़ जो ग्राहकों के पक्ष में जाती है वो ये कि जो सेकंड हैंड कार जितनी महंगी होगी उसका डेप्रीसिएशन वैल्यू उतनी की कम गिरी हुई होगी। बता दें कि हर साल एक लग्जरी कार की वैल्यू लाख रुपये तक गिर जाती है। उदाहरण के तौर पर आप 20,000 किलोमीटर चली हुई मर्सिडीज बेंज ई क्लास की एक्सशोरूम प्राइस से भी कम या यूं कहें महज 20 लाख रुपये में इसे अपना बना सकते हैं। इससे बेचने वाले को तो गाड़ी की घट रही वैल्यू से नुकसान होता है मगर खरीदने वाले का एक लग्जरी कार लेने का सपना पूरा हो जाता है।
सवाल ये उठता है कि क्या एक यूज्ड कार को फाइनेंस कराना घाटे का सौदा है? तो जवाब है हां, क्योंकि नई कार के मुकाबले यूज्ड कार पर 4 से 5 प्रतिशत ब्याज ज्यादा देना होता है। मगर फिर भी कम पर्चेज कॉस्ट से आपके लिए कोई घाटे का सौदा नहीं है।
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कम जोखिम
एक नई कार चाहे कितनी भी आकर्षक क्यों ना लगे, मगर उसे सेल के दौरान ही खरीदा जाए तभी फायदा है। चाहे कार मैन्यूफैक्चरर्स कितनी ही टेस्टिंग कर लें मगर कारों के प्रोडक्शन मॉडल की शुरूआती खेप में कुछ ना कुछ छोटे मोटी समस्याएं आ ही जाती हैं। इसके बाद जरूर कंपनियां बाकी के प्रोडक्शन मॉडल्स में उन समस्याओं को ठीक कर देती है। कभी कभी तो समस्याएं ऐसी होती है कि कंपनी को मॉडल रिकॉल ही करने पड़ते हैं।
जब आप एक पुरानी कार खरीदते हैं तो आपको इन सब समस्याओं के बारे में पहले से ही पता होता है और इन्हें ठीक कराने के लिए आपको कीमत का भी अंदाजा रहता है। सबसे महत्वपूर्ण बात, आप अपने स्तर पर ही इन समस्याओं से निपट सकते हैं जो कि ज्यादा खर्चीला साबित नहीं होता है।
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सर्टिफाइड और रेगुलेटेड होती हैं ये कारें
अपने लिए एक बेस्ट पुरानी कार खरीदना है तो सबसे पहले आपको एक अप्रूव्ड और ऑर्गनाइज्ड सेलर से संपर्क करना चाहिए। उदाहरण के तौर पर कारदेखो गाड़ी ट्रस्टमार्क शोरूम आपकी जरूरत के हिसाब से आपके घर पर टेस्ट ड्राइव की सुविधा के साथ ट्रस्टमार्क सर्टिफिकेशन वाली कार देते हैं। ट्रस्टमार्क सर्टिफिकेशन वाली पुरानी कारें 217 पॉइन्ट चैक के बाद बिक्री के लिए उपलब्ध होती है जिससे ग्राहकों को एक विश्वसनीय प्रोडक्ट का ऑप्शन मिलता है। ट्रस्टमार्क,डैमेज और मैकेनिकल पार्ट में खराब साबित होने वाली कारों को ये सर्टिफिकेट नहीं मिलता है। इसके अलावा आपको यूज्ड कार के एक एक पार्ट की स्थिति के बारे में रिपोर्ट तैयार करके भी दी जाती है।
एक नई कार खरीदने जैसा अनुभव मिलने के साथ ही आपको इंजन और ट्रांसमिशन पर 6 महीने या 7500 किलोमीटर की वॉरन्टी भी दी जाती है। इसके अलावा कारदेखो गाड़ी ट्रस्टमार्क की ओर से 7 दिन के लिए एक शील्ड प्रोग्राम की पेशकश भी की जाती है, जिसमें गाड़ी खरीदने के 7 दिन के भीतर कार में कोई समस्या आ जाए तो मुफ्त में उसे ठीक किया जाएगा। हालांकि ये सुविधा एक्सिडेंटल केस में नहीं दी जाती है।
सेफ्टी की चिंता नहीं
कार होने का सबसे बड़ा प्लस पॉइन्ट ये है कि आप अपने घर का काफी सामान इसमें लेकर आ सकते हैं। कोविड 19 के मद्देनजर देशभर में लगाए गए लॉकडाउन में एक चीज सामने आई थी। तब लोग एक साथ ही अपने पूरे हफ्ते या महीने का सामान लेने बाजार की ओर जाया करते थे। जिनके पास मोटरसाइकिल होती थी वो ज्यादा सामान नहीं ला पाते थे, वहीं पैदल चलकर जाने वाले भी अपने हाथ में भारी भरकम बैग नहीं ढो सकते थे। हां, कार ओनर्स के लिए काफी प्लस पॉइन्ट था जहां वो काफी सारा सामान लेकर आ जाते थे।
नए एमिशन नॉर्म्स और सेफ्टी नॉर्म्स लागू होने के बाद अब नई कारों की कीमत भी काफी बढ़ गई है। वहीं यूज्ड कारों के कई तरह के ऑप्शंस आपके लिए खुले हैं। यहां 2.50 लाख से लेकर 3 लाख रुपये के मामूली बजट में आप नई कार के तौर पर हुंडई आई10 या आई20, मारुति की वैगन आर और यहां तक कि होंडा सिटी जैसी कारें खरीद सकते हैं। कम बजट में कार मिलने के साथ साथ यूज्ड कार सेगमेंट में आप कम कीमत पर ही कोई महंगा मॉडल भी ले सकते हैं।
यूज्ड कारों के छोटे मोटे कुछ और फायदे भी होते हैं। जैसे कि आप इंश्योरेंस में होने वाले शुरूआती खर्चे को बचा सकते हैं। यहां तक कि आप वो कारें भी खरीद सकते हैं जो बिक्री के लिए उपलब्ध नहीं है और आपको वो काफी पसंद है। उदाहरण के तौर पर बीएस6 नॉर्म्स लागू होने के बाद अब एस-क्रॉस,विटारा ब्रेजा,रैपिड डीजल डीएसजी जैसे मॉडल्स बंद हो चुके हैं।
कुल मिलाकर एक सेकंड हैंड कार खरीदने से ना सिर्फ आप मोटा खर्च बचा सकते हैं बल्कि इसमें जोखिम भी कम ही होता है।
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