इस साल भारत की ऑटोमोटिव इंडस्ट्री में हुए ये 10 डेवलपमेंट
प्रकाशित: दिसंबर 31, 2021 07:01 pm । स्तुति
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भारत की ऑटोमोटिव इंडस्ट्री में लगातार विकास हो रहा है और यह निरंतर बदलावों के दौर से भी गुजर रही है। 2021 में ऑटो इंडस्ट्री ने कई सारी चुनौतियों का सामना किया। इस साल ऑटो इंडस्ट्री में नई और अपकमिंग पॉलिसीज़ के रूप में कई सारे बदलाव देखने को मिले, साथ ही हमने रोड ट्रांसपोर्ट को प्रभावित करने वाले कई सारे फैक्टर्स के बारे में भी जाना। 2021 में भारतीय ऑटो इंडस्ट्री में ये डेवलपमेंट देखने को मिले:-
चिप की कमी के चलते कारों की डिलीवरी में देरी
इलेक्ट्रॉनिक चिप्स और सेमीकंडक्टर्स की कमी के कारण कारों का बिज़नेस सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है। कार कंपनियां भी अपने प्रोडक्ट की समयसीमा में बदलाव लाने को मजबूर हो गई जिसके चलते ग्राहकों को अपने मॉडर्न व लेटेस्ट टेक्नोलॉजी से लैस वेरिएंट को चुनने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ रहा है।
स्क्रेपेज पॉलिसी और इससे जुड़े इन्सेंटिव
पुराने व्हीकल काफी ज्यादा प्रदूषण जनरेट करते हैं जो हमारे स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक है। इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार अपने 2021-22 यूनियन बजट के तहत व्हीकल स्क्रेपेज पॉलिसी लेकर आई है और सरकार ने देशभर में स्क्रैपेज सेंटर्स स्थापित करने के लिए गाइडलाइंस भी जारी कर दी है। इसमें तमाम इन्सेंटिव भी शामिल हैं जो राज्य अनुसार निर्भर करते हैं जिससे लोग अपने एंड ऑफ लाइफ व्हीकल्स (ईएलवी) को स्क्रैप कर सकते हैं। इसके तहत अगली कार पर डिस्काउंट, कम रोड टैक्स और फ्री रजिस्ट्रेशन शामिल हैं।
टेस्ला की ईवी पर इम्पोर्ट टैरिफ कम करने की मांग की चल रही है चर्चा
टेस्ला इलेक्ट्रिक वाहनों के मामले में सबसे बड़ा नाम है। कंपनी का भारत में अपना पहला मॉडल लॉन्च करना फिलहाल बाकी है। अमेरिकी कार निर्माता कंपनी ने भारत में शुरुआत इस आशा से की थी वह एक लोकल ब्रांच रजिस्टर करेगी, मगर कुछ भी नहीं हो सका। कंपनी की रूचि भारत में लोकल मैन्युफैक्चरिंग यूनिट को सेटअप करने की है, लेकिन वह फिलहाल मॉडल्स को इम्पोर्ट करके मार्केट का टेस्ट करना चाहती है। इम्पोर्ट पर लगने वाला ज्यादा शुल्क उस योजना के पक्ष में नहीं है, ऐसे में टेस्ला सरकार के साथ मिलकर अपनी अपकमिंग ईवी के लिए उन्हें कम करने की चर्चा कर रही है। इस अनुरोध को पहले अस्वीकार कर दिया गया था, लेकिन अब उम्मीद है कि कंपनी सरकार के साथ मिलकर एक आपसी समाधान जरूर निकाल सकती है। दूसरे कारमेकर भी ईवी पर टैरिफ कम करने के सपोर्ट में है।
ऑटो इंडस्ट्री के लिए पीएलआई स्कीम
सेमीकंडक्टर्स और इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट्स की वैश्विक कमी ने ऑटो सेक्टर को सबसे जयादा प्रभावित किया है। आजकल अधिकतर मांग इम्पोर्ट के माध्यम से पूरी हो जाती है जो न केवल महंगा है बल्कि सप्लाई में व्यवधान और भी कई लंबी समस्याएं पैदा कर सकता है। भारत सरकार ने प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) के लिए कुल 2.3 लाख करोड़ रुपये (यूएसडी 30 बिलियन) अलग रखे हैं। इस बजट में से 76,000 करोड़ रुपये सिर्फ सेमीकंडक्टर्स और डिस्प्ले के प्रोडक्शन के लिए रखे गए हैं जो ऑटोमोटिव इंडस्ट्री के लिए बेहद महत्वपूर्ण होंगे। हाल ही में यह घोषणा भी की गई थी कि सरकार चिप निर्माण के लिए 50 प्रतिशत तक सब्सिडी देने के लिए तैयार है।
एक और पीएलआई स्कीम को भी शुरू किया गया था जिससे भारत में ईवी की लोकल मैन्युफैक्चरिंग को अगले पांच सालों तक मदद मिल सकेगी।
सभी टोल पेमेंट के लिए फास्टैग का इस्तेमाल होना जरूरी
सड़क, परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) ने 2021 की शुरुआत से सभी वाहनों में फास्टैग लगाना अनिवार्य कर दिया था। इसके बाद यह भी अनिवार्य कर दिया था कि सभी हाइवे टोल 15 फरवरी से केवल फास्टैग के माध्यम से ही ऑपरेट किए जायेंगे। जो लोग इस प्रक्रिया के जरिये डिजिटल पेमेंट नहीं कर पाएंगे उन्हें दोगुना टोल देना होगा।
हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट (एचएसआरपी) का होना अनिवार्य
अब सभी नए व्हीकल्स के साथ हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट दी जाएगी, लेकिन पहले की बात करें तो सरकार ने चुनिंदा शहरों में अप्रैल 2019 से पहले बिकने वाले सभी वाहनों में हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट का फिट होना अनिवार्य कर दिया था। एचएसआरपी का फायदा यह है कि यह स्कैनिंग के जरिये अधिकारियों को असली और नकली व्हीकल की पहचान करने में मदद करता है।
मिड-2022 तक फ्लेक्स फ्यूल इंजन का होना अनिवार्य
जून 2021 में भारत के ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर नितिन गडकरी ने फ्लेक्स फ्यूल इंजन को अनिवार्य करने की घोषणा की थी। यह वह इंजन होते हैं जो ईंधन में ज्यादा इथेनॉल मिक्स होने पर चल सकते हैं। कारों में इस इंजन को देने का एकमात्र उद्देश्य फॉसिल फ्यूल के कंज़म्प्शन को कम करना है जिससे तेल आयात पर निर्भरता कम हो। गडकरी जुलाई 2022 तक फ्लेक्स फ्यूल इंजन को कारों में देना अनिवार्य करना चाहते हैं लेकिन इससे जुडी कोई भी पॉलिसी फिलहाल सामने नहीं आई है।
दिल्ली में अनिवार्य रूप से एंड-ऑफ-लाइफ व्हीकल का पंजीकरण रद्द करना
दिल्ली दुनिया के सभी ज्यादा प्रदूषित शहरों में से एक है और यह वाहनों के प्रदूषण से निपटने की लगातार कोशिश कर रही है। दिल्ली सरकार ने पहले ही 10 साल से पुराने डीजल वाहनों और 15 साल से पुराने पेट्रोल वाहनों के सड़कों पर चलने पर रोक लगा दी थी। स्क्रैपेज पॉलिसी आने के साथ सेंट्रल ऑथॉरिटी ने अब 2022 की शुरुआत से ही ईएलवी को डी-रजिस्टर करना अनिवार्य कर दिया है। अगर कोई भी ऐसी कार डीरजिस्ट्रेशन के बाद भी सड़कों पर चलती हुई नज़र आती है तो उसे तुरंत जब्त कर स्क्रैपिंग के लिए भेज दिया जाएगा।
फोर्ड ने अपना लोकल प्रोडक्शन किया बंद
फोर्ड ने इस साल भारत में अपने लोकल ऑपरेशन को बंद करने का फैसला लिया है। कंपनी पिछले कुछ समय से अपने पुराने प्रोडक्ट्स के साथ मार्केट शेयर हासिल करने के लिए संघर्ष कर रही थी। इसके अलावा कंपनी लोकल कार मैन्युफैक्चर महिंद्रा के साथ एक जॉइंट वेंचर के लिए भी बातचीत कर रही थी लेकिन यह साझेदारी सफल नहीं हो सकी जिसके बाद फोर्ड ने देश में अपने लोकल प्रोडक्शन को समाप्त करने का फैसला लिया। फोर्ड कंपनी भारत में ऑपरेशनल रहेगी, लेकिन वह नई मस्टैंग जैसी कारों को इंपोर्ट करके यहां बेचेगी।
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