• English
  • Login / Register

तीसरे ग्लोबल क्रैश टेस्ट से चलेगा पता, कितनी सुरक्षित हैं भारत में बनी कारें

संशोधित: मई 11, 2016 07:10 pm | sumit

  • 19 Views
  • Write a कमेंट

भारत में मौजूद कार कंपनियों के लिए जनवरी 2014 में हुआ ग्लोबल एनकैप (न्यू कार एस्समेंट प्रोग्राम) क्रैश टेस्ट एक बड़ा झटका था। इस क्रैश टेस्ट में भारत में तैयार पांच छोटी कारों को उतारा गया था। क्रैश टेस्ट में इनकी सेफ्टी रेटिंग जीरो रही थी। अब तीसरी बार बड़े पैमाने पर यह क्रैश टेस्ट फिर होने जा रहा है। चर्चाएं है कि इस बार भारत में बनी सात कारों का क्रैश टेस्ट होगा। क्रैश टेस्ट के नतीजे 17 मई को सामने आ जाएंगे।

बीते दो साल में ग्राहकों में जागरूकता बढ़ने के साथ ही कार कंपनियों ने सेफ्टी के मामले में ज्यादा ध्यान देना शुरू कर दिया है। ऐसे में उम्मीद की जा सकती है कि इस बार भारतीय कारों का प्रदर्शन पहले से कहीं बेहतर रहेगा।

दो साल पहले हुए ग्लोबल एनकैप क्रैश टेस्ट में टाटा नैनो, मारूति सुज़ुकी ऑल्टो-800, हुंडई आई-10, फोर्ड फीगो और फॉक्सवेगन पोलो को उतारा गया था। सभी कारें टेस्ट में असफल रहीं। इसके बाद इसी साल नवंबर में निसान की डैटसन गो और मारूति सुज़ुकी स्विफ्ट का क्रैश टेस्ट हुआ। इन्हें भी जीरो सेफ्टी रेटिंग हासिल हुई। अब तीसरी बार यह टेस्ट होने जा रहा है।

पहले ग्लोबल क्रैश टेस्ट के बाद तुरंत कदम उठाते हुए फॉक्सवेगन ने पोलो में ड्यूल एयरबैग्स को स्टैंडर्ड कर दिया। फॉक्सवेगन के बाद बाकी कंपनियों ने भी इस दिशा में कदम उठाते हुए एयरबैग्स को स्टैंडर्ड या ऑप्शनल तौर पर देना शुरू कर दिया है।  

यह भी पढ़ें :

क्रैश टेस्ट में फेल हुई शेवरले की सेल सेडान

क्रैश टेस्ट में नई टोयोटा फॉर्च्यूनर को मिली 5 स्टार रेटिंग

was this article helpful ?

Write your कमेंट

कार न्यूज़

  • ट्रेंडिंग न्यूज़
  • ताजा खबरें

ट्रेंडिंग कारें

  • लेटेस्ट
  • अपकमिंग
  • पॉपुलर
×
We need your सिटी to customize your experience