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सैटेलाइट बेस्ड टोल कलेक्शन सिस्टम क्या है और कैसे काम करता है? जानिए नितिन गडकरी के नए प्लान की सारी जानकारी

संशोधित: अप्रैल 02, 2024 11:55 am | सोनू

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निकट भविष्य में आपको हाईवे पर यात्रा करते समय टोल प्लाजा पर लंबी लाइनें नहीं मिलेगी और आपके समय की भी बचत होगी

Satellite Based Toll Collection System

भारत में फास्टैग लॉन्च होने से पहले हाईवे पर टोल कलेक्शन पूरी तरह से नकद और कार्ड के माध्यम से ही होता था। फास्टैग आने के बाद टोल पेमेंट प्रोसेस तेज और ज्यादा आरामदायक हो गई, लेकिन अब केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी टोल प्लाजा को हटाकर नया सैटेलाइट बेस्ड टोल कलेक्शन सिस्टम लागू करना चाहते हैं।

जीपीएस बेस्ड टोल कलेक्शन क्या है?

वर्तमान में जब आप हाईवे पर यात्रा करते हैं और रास्तें में कोई टोल प्लाजा आता है तो आपको वहां रूकना पड़ता है, लाइन में इंतजार करना पड़ता है, और फास्टैग के माध्यम से टोल का भुगतान करना होता है, लेकिन जीपीएस या सैटेलाइट बेस्ड टोल कलेक्शन सिस्टम में कारों में ट्रेकिंग सिस्टम इंस्टॉल किए जाएंगे जो आपकी कार द्वारा तय की गई दूरी को मापेंगे और और आपके द्वारा तय की गई दूरी के आधार पर टोल टैक्स वसूला जाएगा।

इस प्रक्रिया में चूंकि ट्रेकिंग डिवाइस से डाटा सीधो सैटेलाइट को भेजा जाता है, इसलिए टोल प्लाजा की जरूरत नहीं होगी जिससे आपको टोल प्लाजा की लंबी लाइनों में भी नहीं लगना पड़ेगा और आपके समय की भी बचत होगी।

यह कैसे काम करेगा?

GPS-based Toll Collection

नए सिस्टम को लागू करना आसान नहीं होगा और हर कार को इस टेक्नोलॉजी से लैस होने में कई साल लगेंगे। हालांकि अगर यह सफलतापूर्वक लागू हो जाता है तो यहां जानिए यह कैसे काम करेगा।

  • कार में एक ओबीयू (ऑन-बोर्ड यूनिट) इंस्टॉल किया जाएगा जो एक ट्रेकिंग डिवाइस है।

  • जब आप हाईवे पर गाड़ी चलाएंगे तो ओबीयू कार को ट्रेक करेगा और आपके द्वारा तय की गई दूरी की गणना करने के लिए डाटा को सैटेलाइट को भेजेगा।

  • यह सिस्टम जीपीएस (ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम) का उपयोग करेगी जो जीएनएसएस (ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम) पर संचालित होगी, जो कार द्वारा तय की गई सटीक दूरी बताने में मदद करेगी।

  • हाईवे पर लगाए गए कैमरों से यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि कार द्वारा तय की गई दूरी सही है। कैमरों से यह पता लगाने में भी मदद मिल सकती है कि हाईवे से गुजरने वाली किन कारों में ओबीयू इंस्टॉल नहीं है।

  • शुरुआत में यह टोल कलेक्शन सिस्टम देश के चुनिंदा हाईवे और एक्सप्रेव पर लागू किया जाएगा।

  • इस टोल कलेक्शन के बाद हाईवे और एक्सप्रेसवे से कई टोल प्लाजा हटा दिए जाएंगे, और आपको रास्ते में गाड़ी की स्पीड कम नहीं करनी पड़ेगी और आपकी यात्रा थोड़ी तेज हो जाएगी।

वर्तमान में कारों में ओबीयू सिस्टम पहले से इंस्टॉल नहीं है लेकिन इसे बाहर से इंस्टॉल कराया जा सकेगा। अभी तक इस बारे में जानकारी नहीं मिली है कि ये ओबीयू कहां से और कैसे प्राप्त किए जाएंगे, लेकिन यह प्रोसेस इतनी कठिन नहीं होगी और यह फास्टैग के समान हो सकती है, जब इसे लागू किया गया था तब भी लोगों के मन में कुछ इसी तरह से सवाल आए थे। हमरा मानना है कि यह प्रक्रिया भी इसी प्रकार होगी।

  • फास्टैग की तरह ये ओबीयू यूनिट भी सरकारी वेबसाइटों के माध्यम से उपलब्ध होंगे, जहां आप अपनी कार का रजिस्ट्रेशन नंबर और केवाईसी पूरा करके इन्हें ऑर्ड कर सकेंगे।

  • एक बार जब आप ओबीयू के लिए अप्लाई कर देंगे तो आपको इसे अपने बैंक खाते से लिंक करना होगा।

  • इस टोल कलेक्शन सिस्टम के लागू होने के बाद कंपनियां अपनी कारों के साथ फैक्ट्री फिटेड ओबीयू सिस्टम दे सकती है जिसे आप बाद में अपने बैंक खाते से लिंक कर सकेंगे।

  • फास्टैग की तरह बैंक और प्राइवेट कंपनियां भी ओबीयू की बिक्री शुरू कर सकती है।

  • कार में ओबीयू इंस्टॉल होने के बाद आपके द्वारा हाईवे पर तय की गई दूरी के आधार पर टोल राशि आपके लिंक हुए बैंक खाते से अपने आप काट ली जाएगी।

क्या यह भारत में काम करेगा?

ERP Toll Collection Method In Singapore

जीपीएस बेस्ड टोल कलेक्शन सिस्टम कोई नया नहीं है, यह जर्मनी और सिंगापुर जैसे देशों में पहले से लागू से है और उन देशों में यह सिस्टम काम भी कर रहा है। भारत में डिजिटल ट्रांजेक्शन और टेक्नोलॉजी तेज गति से चल रही है, ऐसे में यहां पर यह नया टोल कलेक्शन सिस्टम काम कर सकता है, और यहां इसकी शुरुआत होने पर इसे अपनाने में ज्यादा समय भी नहीं लगेगा।

हालांकि जीपीएस बेस्ड टोल कलेक्शन सिस्टम को लागू करने के लिए मौजूदा फास्टैग बेस्ड इंफ्रास्ट्रक्चर को हटाना होगा, और नया इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करना होगा, जिसमें न केवल समय लगेगा बल्कि ये महंगा भी होगा। पूरे इंफ्रास्ट्रक्चर को बदलने की कॉस्ट का भार ग्राहकों पर बढ़ी हुई टोल प्राइस के रूप में पड़ सकता है।

फिलहाल इस नई व्यवस्था का विचार तो काफी बढ़िया लग रहा है लेकिन इसे लागू करना और अपनाना आसान नहीं होगा। अगर सरकार अभी इस पर काम शुरू करती है तो हमें इसे पूरे देश में लागू करने में लगभग एक दशक का इंतजार करना होगा।

यह भी पढ़ें: भारत में अप्रैल 2024 में लॉन्च हो सकती हैं ये 7 नई कार, देखिए पूरी लिस्ट

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2 कमेंट्स
1
G
gopikrishna
Apr 6, 2024, 7:48:48 AM

Along with satellite detection for toll,i tgink OBU should also be tracked or intimate to health emergencies if there was any accidents happens to the vehicle with obu when on roads

और देखें...
    जवाब
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    1
    I
    inderbir singh chowdhary
    Apr 4, 2024, 8:39:37 PM

    Excellent article wherein all relevant details of the state of the art road tax collection is spelt out...

    और देखें...
      जवाब
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